
earthquake in India of 6.4 on 30 september 1993 and Indonesia of 7.6 on 2009
Earthquake: सुबह 3 बजकर 56 मिनट का वक्त, लोग आराम से घरों से सो रहे थे, तभी अचानक बहुत तेज धमाके की आवाज़ हुई, और सेकेंडों में घर की छतें लोगों के ऊपर गिर गईं और पूरा का पूरा घर ज़मींदोज हो गया। सोते हुए लोग उसी में दब गए और फिर कभी नहीं उठे। लोगों को संभलने तक का मौका नहीं मिला। दरअसल ये मंजर महाराष्ट्र के लातूर का था जहां सुबह 3:56 मिनट पर 6.4 तीव्रता का जबरदस्त भूकंप आया था। ये दिन था 30 सितंबर, 2009 का। इस दिन (Earthquake in India) लातूर में आए इस जबरदस्त भूकंप से चंद मिनटों में ही 1 लाख से ज्यादा घर ज़मींदोज़ हो गए थे।
30 सितंबर 1993 को लातूर में आए इस भूकंप (Earthquake) से कम से कम 30 हजार लोगों की मौत हो गई थी, चारों तरफ चीख-पुकार मची हुई थी। महिलाओं और बच्चों की रोने की आवाज़ से सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि पूरा देश दहल उठा था। इस भूकंप का केंद्र सोलापुर से करीब 70 किलोमीटर ईशान्य में था। इस भूकंप में आधिकारिक तौर पर सिर्फ 7,928 लोगों के मारे जाने की बात थी लेकिन अनाधिकारिक तौर पर कई बड़ी मीडिया रिपोर्ट में मरने वालों की संख्या 30 हजार बताई गई है। जिसमें करीब 15,854 जानवर भी इस भूकंप में मारे गए थे। वहीं करीब 16,000 लोग घायल हुए थे। 52 गांव पूरी तरह से तबाह हो गए थे। करीब 2 लाख 11 हज़ार घरों को नुकसान पहुंचा था। इनमें से 1 लाख घर तो पूरी तरह जमींदोज हो गए थे। इस भूकंप का सबसे ज़्यादा असर लातूर के औसा ब्लॉक और उस्मानाबाद ज़िले में रहा था। इस भूकंप के कारण लातूर का पूरा इलाका तबाह हो गया था।
30 सितंबर को सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि इंडोनेशिया (Earthquake in Indonesia) में भी 7.6 तीव्रता का भीषण भूकंप आया था। 30 सितंबर, 2009 को इंडोनेशिया के सुमात्रा के तट पर आए इस भूकंप का समय था शाम 5 बजकर 16 मिनट, जब लोग दफ्तरों से लौट कर अपने-अपने घरों को आ रहे थे, किसी को क्या पता था कि वो लोग जिन घरों को जा रहे हैं, वो उन्हें मिलेंगे ही नहीं, ना ही वो अपने मिलेंगे जो उस घर में रहते थे, ना ही वो खुद मिलेगा। वो इस जमीन में जमींदोज हो जाएगा।
इंडोनेशिया में आए इस भूकंप से 1200 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं 1,214 लोग गंभीर रूप से घायल और 1,688 लोगों के मामूली रूप से घायल हुए थे। इंडोनेशिया में आए इस विनाशकारी भूकंप का केंद्र पश्चिम सुमात्रा के पडांग से 45 किलोमीटर पश्चिम-उत्तरपश्चिम में और रियाउ के पेकनबरु से 220 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में था। इस भूकंप में लगभग 135,000 पूरी तरह जमींदोज हो गए थे। वहीं 65,000 घर मध्यम दर्जे पर क्षतिग्रस्त हुए थे। रिपोर्ट के मुताबिक 250,000 परिवार यानी 1,250,000 लोगों की अजीविका का साधन को भी नुकसान पहुंचा था।
आए दिन आते भूकंपों से पूरी दुनिया हैरान और परेशान है। दुनिया के कई देश रिंग ऑफ फायर रेंज में आते हैं, मतलब जो भूकंप को लेकर सबसे ज्यादा संवेदनशील हैं। इसमें जापान, इंडोनेशिया, फिलींपींस, भारत का हिमालयी क्षेत्र जैसे इलाके शामिल हैं। अतीत में आए इन भूकंपों से अभी दुनिया उबरी भी नहीं है कि जापान में वैज्ञानिकों ने 9 तीव्रता के भीषण भूकंप का अलर्ट जारी कर दिया है। ये भूकंप कभी भी आ सकता है। वहीं जापान में रहने वाले भारतीयों के लिए दूतावास ने एडवाइजरी भी जारी कर दी है।
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Updated on:
30 Sept 2024 01:24 pm
Published on:
30 Sept 2024 11:20 am
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