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भारत के नए अमेरिकी राजदूत को एलन मस्क ने कह दिया था ‘सांप’, जानें गोर कैसे बन गए ट्रंप के अच्छे दोस्त?

डोनाल्ड ट्रम्प ने सर्जियो गोर को भारत का नया अमेरिकी राजदूत नियुक्त किया है, जो विवादों से घिरे रहे हैं और एलन मस्क तक ने उन्हें 'सांप' कह दिया था! गोर, ट्रम्प के करीबी सहयोगी हैं, लेकिन विदेश नीति के अनुभव की कमी उनकी आलोचना का विषय है। क्या गोर भारत और अमेरिका के बिगड़े रिश्तों को सुधार पाएंगे और चीन-रूस के प्रभाव को कम कर पाएंगे? जानिए पूरी कहानी।

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भारत

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Mukul Kumar

Aug 24, 2025

टेस्ला के सीईओ एलन मस्क और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ भारत के नए अमेरिकी राजदूत सर्जियो गोर। (फोटो- IANS)

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सर्जियो गोर को भारत में अमेरिका का राजदूत बनाने की घोषणा की है। गोर को ऐसे समय में भारत भेजा जा रहा है जब टैरिफ को लेकर अमेरिका से विवाद जारी है। कौन हैं गोर और वह विवादों से कैसे घिरे रहे हैं, आइए जानते हैं:

सर्जियो गोर का जन्म 30 नवंबर 1986 में तत्कालीन सोवियत संघ के ताशकंद में हुआ। वह 12 साल की उम्र में परिवार के साथ अमेरिका पहुंच गए थे। पिता यूरी गोरोकोवस्की सोवियत सेना के लिए एयरक्त्रसफ्ट डिजाइन करते थे। उनकी मां इजरायली मूल की थीं। उन्होंने जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की।

ट्रंप से 2020 में जुड़े, बन गए अच्छे दोस्त

गोर साल 2020 में ट्रंप के राजनीति कैंपेन से जुड़े, खासकर फंड जुटाने और पॉलिटिकल एक्शन कमिटी में। अभी वह वाइट हाउस प्रेसिडेंशियल पर्सनल ऑफिस का नेतृत्व कर रहे हैं।

ट्रंप ने कहा कि सर्जियो मेरे अच्छे दोस्त हैं। उन्होंने मेरे ऐतिहासिक राष्ट्रपति अभियानों में काम किया, मेरी किताबें प्रकाशित कीं। दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले क्षेत्र के लिए यह जरूरी है कि मेरे पास ऐसा व्यक्ति हो जिस पर मैं पूरी तरह भरोसा कर सकूं।

ट्रंप और मस्क की दूरियों का कारण बने

गोर का करियर विवादों में घिरा रहा। टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने उन्हें सांप तक कह दिया था। टकराव तब बढ़ा जब नासा प्रमुख के पद के लिए मस्क के सहयोगी जारेड इसाकमैन का नाम आया। गोर ने ट्रंप को बता दिया था कि इसाकमैन ने डेमोक्रेट्स को चंदा दिया था, जिसके बाद नामांकन वापस ले लिया गया।

विदेश नीति का ज्ञान न के बराबर

गोर को ट्रंप का दाहिना हाथ माना जाता है। हालांकि, उनकी आलोचना में कहा जाता है कि विदेश नीति में उनका अनुभव बेहद सीमित है। उनकी भूमिका ज्यादातर ट्रंप के विदेश दौरों में शामिल रहने और राष्ट्रीय सुरक्षा समिति के उन अधिकारियों को हटाने तक सीमित रही है जिन पर संदेह किया जाता था।

बिगड़े रिश्ते सुधारेंगे

भारत से टैरिफ वॉर के बीच ट्रंप गोर को भारत भेज रहे हैं। दोनों देशों के बीच ट्रेड वार्ता पहले ही खटाई में पड़ चुकी है। ट्रंप गोर को यह काम दे सकते हैं कि रूस और चीन की तरफ भारत का झुकाव कैसे रोका जाए। हिंद प्रशांत और क्वॉड में अहम सहयोगी भारत को ट्रंप खोना नहीं चाहेंगे।