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पनडुब्बी डील से फ्रांस हुआ नाराज, पहली बार आस्टे्रेलिया और अमरीका से बुलाने जा रहा अपने राजदूत

फ्रांस और आस्ट्रेलिया के बीच डीजल पनडुब्बियों के निर्माण के लिए करीब सौ अरब डॉलर का सौदा हुआ था। लेकिन आक्स के गठन के बाद पेरिस ने इस सौदे को खो दिया। बताया जा रहा है कि अकेले फ्रांस ही नहीं बल्कि, यूरोपीय यूनियन यानी ईयू भी इस फैसले से नाराज है।  

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Ashutosh Pathak

Sep 18, 2021

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नई दिल्ली।

समंदर में चीन को मात को देने के लिए आस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ रणनीतिक हिंद-प्रशांत गठबंधन ऑक्स बनाने के अमरीका के राष्ट्रपति जो बिडेन के फैसले से नुकसान उठाने वाला फ्रांस नाराज हो गया है। पनडुब्बी सौदे को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर करने के उद्देश्य से कूटनीतिक कदम उठाते हुए फ्रांस ने अमरीका और आस्ट्रेलिया से अपने राजदूत वापस बुलाने का फैसला लिया है।

इससे पहले, फ्रांस और आस्ट्रेलिया के बीच डीजल पनडुब्बियों के निर्माण के लिए करीब सौ अरब डॉलर का सौदा हुआ था। लेकिन आक्स के गठन के बाद पेरिस ने इस सौदे को खो दिया। बताया जा रहा है कि अकेले फ्रांस ही नहीं बल्कि, यूरोपीय यूनियन यानी ईयू भी इस फैसले से नाराज है।

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वर्ष 2003 में इराक युद्ध समेत अन्य वैश्विक मामलों पर फ्रांस और अमरीका के बीच कई बार मतभेद रहे हैं। लेकिन पेरिस ने कभी वाशिंगटन से अपने राजदूत को वापस नहीं बुलाया। यानी यह पहली बार है, जब फ्रांस ने अमरीका से अपने राजदूत को हटाने का फैसला लिया है। फ्रांसिसी डिप्लोमेट ने यह अनुमान लगाने से इनकार कर दिया है कि आखिर फ्रांस के राजदूत कब तक अमरीका छोड़ेगे।

आक्स के गठन और आस्ट्रेलिया को पनडुब्बी देने का असर फ्रांस और अमरीका के रिश्ते पर काफी गहरा पड़ रहा है। फ्रांसिसी अधिकारियों ने इस हफ्ते वाशिंगटन और बाल्टिमोर में फ्रेंको-अमरीकी संबंधों का जश्न मनाने के लिए आयोजित एक समारोह को पहले ही रद्द कर दिया है। वहीं, व्हाइट हाउस की ओर से बताया गया कि बिडेन प्रशासन पेरिस के साथ अपने मतभेदों को दूर करने की कोशिश करेगा। फ्रांस और अमरीका महामारी और सुरक्षा समेत तमाम मुद्दों पर सहयोग करना जारी रखेंगे।

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अमरीका, ब्रिटेेन और आस्ट्रेलिया ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की दादागिरी कम करने और उसकी घेराबंदी क लिए नया त्रिपक्षीय सुरक्षा गठबंधन ऑक्स यानी एयूकेयूएस का ऐलान किया है। यह बात अलग है कि इन तीनों देशों के इस नए गठजोड़ में भारत नहीं है, लेकिन ऑक्स की घोषणा भारत के लिए अच्छी खबर है, जबकि चीन के लिए परेशानी का सबब बनेगा।

इस गठबंधन के तहत तीनों राष्ट्र संयुक्त क्षमताओं के विकास करने, प्रोद्यौगिकी को साझा करने, सुरक्षा के गहन एकीकरण को बढ़ावा देने और रक्षा संबंधित विज्ञान, प्रोद्यौगिकी, औद्योगिक केंद्रों और आपूर्ति श्रंखलाओं को मजबूत करने पर सहमत हुए। सुरक्षा त्रिपक्षीय गठबंधन यानी ऑक्स एक तरह से चीन को कड़ा संदेश होगा। यह प्रमुख रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आस्ट्रेलिया की क्षमताओं को बढ़ाएगा।

ऑक्स आने से हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में चीन को काबू में रखने के वैश्विक प्रयासों में मदद मिलेगी। ऑक्स आस्ट्रेलिया की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाएगा। यह इंडो-पैसिफिक में भारत के करीबी रणनीतिक साझेदारों में से एक बन गया है। साथ ही तीन देशों के नए गठबंधन से क्वॉड की क्षमताओं में भी बढ़ोतरी होगी। इसमें अमरीका और आस्ट्रेलिया दोनों सदस्य हैं।