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Women Prisoners on strike: नोबेल शांति पुरस्कार विजेता नरगिस मोहम्मदी (Narges Mohammadi)फाउंडेशन ने बताया कि “ 'महिला, जीवन, स्वतंत्रता' आंदोलन और महसा (जिना) अमिनी की हत्या की दूसरी वर्षगांठ के अवसर प ईविन जेल में 34 महिला राजनीतिक कैदी भूख हड़ताल पर चली गई (Women Prisoners on strike) हैं। अमिनी एक 22 वर्षीय ईरानी कुर्द थीं, जिनकी ईरान में गिरफ्तारी के बाद हिरासत में मौत हो गई थी। उन्हें महिलाओं के लिए सख्त ड्रेस कोड का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और उनकी मौत ने व्यापक विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया था। कैदियों ने “ईरान के विरोधी लोगों के साथ एकजुटता में, सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ” भोजन का बहिष्कार किया।
मोहम्मदी ने ईरान में हिजाब पहनने की अनिवार्यता और फांसी की सजा के खिलाफ अभियान चलाया है और वे नवंबर 2021 से तेहरान की ईविन जेल में हैं। उन्होंने पिछले दशक में बार-बार जेल की सजा का सामना किया है और कई बार भूख हड़ताल की है। मोहम्मदी ने अपने आधिकारिक X एकाउंट पर एक बयान में कहा, “'महिला, जीवन, स्वतंत्रता' आंदोलन की दूसरी वर्षगांठ पर, हम लोकतंत्र, स्वतंत्रता और समानता प्राप्त करने और धार्मिक तानाशाही को हराने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं।” “आज, हम अपनी आवाज़ को और भी जोर से उठाते हैं और अपनी संकल्प को मजबूत करते हैं।” मोहम्मदी के बच्चों ने 2023 में उनके जेल में होने के दौरान नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त किया।
उनके परिवार के अनुसार, वे उस समय भूख हड़ताल पर थीं, जब वे बहाई समुदाय के साथ एकजुटता में थीं, जो ईरान के सबसे बड़े धार्मिक अल्पसंख्यक हैं और जिनके साथ भेदभाव किया जाता है। अल्फा ने पिछले महीने ईरान पर मोहम्मदी को उचित चिकित्सा देखभाल न देने का आरोप लगाया था। उन्हें 6 अगस्त को ईविन जेल में शारीरिक हिंसा का सामना करना पड़ा था, जिसमें वे बेहोश हो गईं और उनकी पसलियों और शरीर के अन्य हिस्सों में चोटें आईं थीं। ईरानी अधिकारियों ने एक संघर्ष की घटना की पुष्टि की, लेकिन मोहम्मदी को “उकसाने” के लिए जिम्मेदार ठहराया और कहा कि किसी भी कैदी को पीटा नहीं गया।
महसा अमिनी (Mahsa Amini) की गिरफ्तारी के बाद, 16 सितंबर 2022 को महिलाओं के नेतृत् विरोध प्रदर्शन शुरू हुए। ये प्रदर्शन ईरान के नेतृत्व को चुनौती देने वाले थे, लेकिन अधिकारियों ने इन्हें दबा दिया। मानवाधिकार समूहों का कहना है कि सुरक्षा बलों ने दमनकारी कार्रवाई में असॉल्ट राइफल और शॉटगन का इस्तेमाल किया। मानवाधिकार समूहों का कहना है कि कम से कम 551 लोग मारे गए। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया।
Updated on:
04 Jul 2025 08:10 pm
Published on:
16 Sept 2024 08:59 pm
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