
Woman Astronaut in International Space Station
Periods in Space: मेन्स्ट्रुेएशन साइकिल यानी माहवारी (मासिक धर्म) हर महिला के साथ होने वाली एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। हर एक महिला को अपनी उम्र का एक लंबा सफर इसके साथ तय करना होता है। हर स्थिति हर कठिन हालात में महिलाएं इन मुश्किल दिनों में दर्द के साथ काम करती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि धरती पर रहकर तो महिलाएं पीरियड्स (Menstruation Cycle) के दौरान खुद को बखूबी संभाल लेती हैं लेकिन क्या हो अगर आप धरती पर नहीं और अंतरिक्ष में हों और वहां पर आपको पीरियड्स हो जाएं। ये सुनने में थोड़ा अटपटा लग रहा है लेकिन ये सच है।
दरअसल हम बात कर रहे हैं अंतरिक्ष में जाने वाली महिला अंतरिक्षयात्रियों (Woman Astronaut) की। ये अंतरिक्षयात्री भी महिलाएं हैं, जाहिर है पीरियड्स जैसे मुश्किल दिन अंतरिक्ष में भी इनका पीछा नहीं छोड़ेंगे, ऐसे में ये महिला अंतरिक्षयात्री इन पीरियड्स को कैसे मैनेज करती होंगी। कैसे वो इस दौरान काम करती होंगी। तो इस सवाल का जवाब हम आपको देते हैं।
आज से लगभग 50 साल पहले 1963 में वेलेंटीना टेरेश्कोवा (Valentina Tereshkova) पहली महिला अंतरिक्षयात्री थीं जो अंतरिक्ष में गईं थी। तब से लेकर अब तक करीब 60 महिलाएं अंतरिक्ष की यात्रा पर जा चुकी हैं। एक अंतर्राष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इन महिलाएं ने बताया है कि उन्हें अंतरिक्ष में जब पीरियड्स आते थे वो उसे कैसे मैनेज करती थीं।
इनमें से एक महिला अंतरिक्षयात्री ने बताया कि जब वो पहली बार अंतरिक्ष में गईं, तो ये नहीं पता था कि यहां पर पीरियड्स का क्या प्रभाव होगा। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष उड़ान के दौरान मानव शरीर की ज्यादातर प्रणालियाँ प्रभावित होती हैं लेकिन महिला की माहवारी जरा भी प्रभावित नहीं होती अंतरिक्ष में भी वो वैसे ही आता है जैसे धरती पर आता था।
महिला अंतरिक्ष यात्री ने कहा कि अंतरिक्ष में स्थित अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) में वैसे को कुछ सुविधाएं हैं जिससे इंसान के खून को संभाल लिया जाता है लेकिन यहां पर इन पीरियड्स के रक्त को संभालने की सुविधा नहीं है। ऐसा कुछ मैनेज करने के लिए इस स्टेशन को डिजाइन ही नहीं किया गया। यहां सबसे बड़ा मुद्दा ये है कि पीरियड्स के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले सैनेटरी पैड्स, टैंपोन जैसी चीजों ये यहां एक्स्ट्रा वजन तो होता ही है साथ ही सामान की गिनती भी ज्यादा हो जाती है। रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA में अंतरिक्ष यात्रियों को उनकी जरूरतों, मिशन की अवधि और शरीर के विज्ञान के मुताबिक कई टेस्ट से गुजरना पड़ता है।
महिला अंतरिक्ष यात्रियों ने इस रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। जिसमें उन्होंने कहा है कि ज्यादातर महिलाएं अपने पीरियड्स को मिशन के दौरान रोकने के उपायों का सहारा लेती हैं। जिसमें सबसे ज्यादा इस्तेमाल गर्भ निरोधक दवाओं का होता है। वो अंतरिक्ष उड़ान की तैयारी के दौरान इसे खाती हैं जो उनके पीरियड्स को रोक देता है।
रिपोर्ट के मुताबिक महिला एस्ट्रोनॉट का कहना है कि ये मिशन 6 महीने से लेकर 3 साल तक के होते हैं, ऐसे में लंबे समय तक गर्भनिरोधक गोलियां लेने से शरीर को काफी नुकसान पहुंचता है।
रिपोर्ट में लगातार गर्भनिरोधक दवाओं के सेवन से पैदा हुई मुश्किलों का भी जिक्र है। जिसमें कहा गया है कि अंतरिक्ष में गर्भ निरोधकों के लंबे समय तक इस्तेमाल करने पर कोई रिसर्च आज तक की ही नहीं गई। लेकिन धरती पर इसके लंबे समय तक इस्तेमाल का नतीजा सभी जानते हैं कि ये शरीर के लिए बहुत हानिकारक साबित होगा। महिला एस्ट्रोनॉट्स का कहना है कि मंगल जैसे मिशन के लिए जिसमें सालों साल लग जाते है, उसमें उन्हें 1100 गर्भनिरोधक गोलियां ले जानी होती हैं।
दरअसल महिला अंतरिक्ष यात्रियों का कहना है कि अगर वो पीरियड्स के दौरान सैनेटरी पैड्स या टैंपोन का इस्तेमाल करती भी हैं तो वहां अंतरिक्ष में इसके निपटान यानी इसे डिकंपोज़ का कोई तरीका नहीं है। धरती की तरह वहां अतरिंक्ष में इसे कचरे में नहीं फेंका जा सकता।
रिपोर्ट में लिखे डॉक्टर्स के बयानों के मुताबिक अंतरिक्ष जहां पर जीरो ग्रैविटी है यानी शून्य गुरुत्वाकर्षण है, वहां पर माना जाता है कि इंसानों के शरीर मे खून का प्रवाह उल्टी दिशा में होता है लेकिन ऐसा महिलाओं के साथ उनके पीरियड्स में हो, ऐसा नहीं है। इसके कई सबूत भी सामने आ चुके हैं। इसलिए महिला अंतरिक्षयात्रियों के पास गर्भनिरोधक दवाओं के लेने के अलावा वहां कोई और दूसरा विकल्प नहीं है।
Updated on:
12 Jul 2024 05:23 pm
Published on:
11 Jul 2024 02:11 pm
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