
india-Us military exercise in Uttarakhand-Auli
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Bagchi) ने कहा है कि औली में अमेरिका के साथ संयुक्त अभ्यास का चीन के साथ 1993 और 1996 के समझौतों से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा, भारत जो भी चुनता है, उसके साथ अभ्यास करता है और यह इन मुद्दों पर तीसरे देशों को वीटो नहीं देता है।
भारत-अमेरिकी सैन्य अभ्यास
भारत और अमेरिका भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगभग 100 किलोमीटर दूर उत्तराखंड (Uttarakhand) के औली में युद्ध अभ्यास कर रहे हैं। ये युद्ध अभ्यास एक दोनों देशों की सेनाओं की ट्रेनिंग है। ये 2004 से हर साल आयोजित किया जाता है। इसका उद्देश्य 'भारत-प्रशांत क्षेत्र में पारंपरिक, जटिल और भविष्य की चुनौतियों' के लिए भागीदार क्षमता बढ़ाने के लिए भारतीय और अमेरिकी सेनाओं की अंतर-क्षमता में सुधार करना है।
क्या कहा था चीन ने
चीन ने बुधवार को कहा कि यह उत्तराखंड के औली में संयुक्त भारत-अमेरिका के सैन्य अभ्यासों का विरोध करता है। चीन ने यह भी दावा किया कि इस सैन्याभ्यास ने 1993 और 1996 में दो देशों द्वारा हस्ताक्षरित दो सीमा समझौतों की भावना का उल्लंघन किया।
भारत ने दिया जवाब
भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, युद्ध अभ्यास का 1993 और 1996 के समझौतों से कोई लेना-देना नहीं है। चीन ही इन समझौतों का उल्लंघन करता है। उन्हें अपने गिरेबान में नजर डालनी चाहिए कि उन्होंने इसका कितना उल्लंघन किया है। चीन या किसी भी दूसरे देश को भारत के सैन्य अभ्यास के बारे में कुछ भी कहने का कोई अधिकार नहीं है।
क्या है यह समझौते
1993 का समझौता चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बनाए रखने से संबंधित है। जबकि 1996 का समझौता दोनों देशों की सेना के बीच सीबीएम (Confidence Building Majors) यानी विश्वास निर्माण उपायों के बारे में था।
Published on:
02 Dec 2022 12:12 pm
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