
पाकिस्तान रूस की शरण में चला गया है, लेकिन दांव खाली गया। (फोटो: पत्रिका)
India Russia Pakistan diplomacy 2025: भारत-पाक रिश्तों में तनाव के बीच एक नई कूटनीतिक हलचल तेज हो गई है। पाकिस्तान ने हाल ही में रूस से संपर्क साधा है, उसे बहुत उम्मीद थी कि पुतिन भारत-पाक तनाव में 'मध्यस्थ' की भूमिका निभाएंगे। लेकिन भारत के साथ रूस के पुराने रिश्तों (India Russia relations) की वजह से मॉस्को से आई प्रतिक्रिया के सबब इस्लामाबाद की उम्मीदें ताश के पत्तों की तरह बिखर गईं। ध्यान रहे कि कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत (India) की ओर से चलाए गए सैन्य 'ऑपरेशन सिंदूर' ( Operation Sindoor) और सिंधु जल समझौता रदद करने से पाकिस्तान(Pakistan diplomacy 2025) बौखला गया है। पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद (Terrorism) के खिलाफ भारत की ओर से विदेशों में भेजे गए प्रतिनिधिमंडलों के माध्यम से हिंदुस्तान को दुनिया भर के देशों से मिल रहे समर्थन के कारण पाक ने मुंह की खाई है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने साफ कर दिया है कि उनकी सरकार आतंकवादियों का समर्थन नहीं करती, न ही ऐसे किसी एजेंडे को बढ़ावा देती है, जो क्षेत्रीय अस्थिरता फैलाए। यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने रूस को एक औपचारिक पत्र भेजा था, जिसमें उससे दोनों देशों के बीच तनाव कम कराने में भूमिका निभाने की गुहार लगाई गई थी।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के सहयोगी सैयद तारिक फातमी की मॉस्को यात्रा ने एक नई सुर्खी पैदा कर दी। फातमी ने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव को शरीफ का पत्र सौंपते हुए कहा, "हम वार्ता के लिए तैयार हैं, रूस नेतृत्व करे।" मगर यह पहल ऐसे समय आई, जब भारत पहले ही रूस से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर दो टूक समर्थन हासिल कर चुका था।
डीएमके सांसद कनिमोझी करुणानिधि के नेतृत्व में पहुंचे भारतीय संसद प्रतिनिधिमंडल ने रूस से साफ-साफ कहा—आतंकवाद पर भारत की ज़ीरो टॉलरेंस नीति में कोई ढील नहीं दी जाएगी। सूत्रों के मुताबिक, रूस ने भारत को इस नीति पर "ठोस समर्थन" देने का भरोसा भी दिलाया।
साउथ ब्लॉक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "रूस का स्टैंड हमारे लिए रणनीतिक तौर पर बेहद अहम है। इस बयान के जरिए मॉस्को ने वैश्विक मंच पर एक स्पष्ट संदेश दिया है-आतंकवाद के साथ कोई समझौता नहीं होगा।"
एक कूटनीतिक विशेषज्ञ ने कहा, "पाकिस्तान की रूस के प्रति यह अचानक मोहब्बत, दरअसल पश्चिमी दुनिया में हो रही अनदेखी की प्रतिक्रिया है।"
क्या पाकिस्तान चीन के बाद अब रूस की ‘छतरी’ में आना चाहता है?
भारत क्या अब रूस से और सख्त बयान की उम्मीद करेगा?
अमेरिका और यूरोपीय संघ इस बदलाव को कैसे देख रहे हैं?
पाकिस्तान की रूस तक दौड़ बताती है कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उसकी स्थिति कितनी कमज़ोर हो चुकी है। भारत ने हाल के वर्षों में रूस के साथ रक्षा और ऊर्जा संबंधों को बहुत मजबूत किया है, जो अब रणनीतिक बढ़त में बदल रहा है।
Published on:
05 Jun 2025 08:25 pm
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