
नई दिल्ली।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी UNSC की बैठक में धार्मिक आतंकवाद के मुद्दे पर पूरी दुनिया को नसीहत दी। भारत ने कहा कि वैश्विक समुदाय हिंदू विरोधी, बौद्ध विरोधी, सिख विरोधी सहित धार्मिक आतंक के अधिक विकराल रूपों को पहचान नहीं सका है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने शांति बनाए रखने और शांति कायम रखने: विविधता, राज्य निर्माण और शांति की तलाश विषय पर उच्चस्तरीय खुली चर्चा में कहा कि ऐसे आतंक की आलोचना करने के बारे में चयनात्मक होना हमारे लिए खुद खतरा है। मुरलीधरन ने कहा कि धार्मिक पहचान के संबंध में, हम देख रहे हैं कि कैसे सदस्य देश धार्मिक आतंक के नए स्वरूप का सामना कर रहे हैं।
हालांकि, हमने यहूदी-विरोधी, इस्लामोफोबिया और क्रिस्टियानोफोबिया की निंदा की है, लेकिन हम यह मानने में विफल हैं कि हिंदू विरोधी, बौद्ध विरोधी और सिख विरोधी सहित धार्मिक आतंकवाद के और अधिक विषैले स्वरूप उभर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हमने अपने पड़ोस में और अन्य जगहों पर मंदिरों के विनाश, मंदिरों में मूर्तियों को तोड़ने का महिमामंडन, गुरुद्वारा परिसर का अनादर, गुरुद्वारों में सिख तीर्थयात्रियों का नरसंहार, बामयान में बुद्ध प्रतिमाओं और अन्य धार्मिक प्रतिष्ठित स्थलों का विनाश देखा है। इन अत्याचारों और आतंक को स्वीकार करने में हमारी अक्षमता केवल उन ताकतों को प्रोत्साहित करती है कि कुछ धर्मों के खिलाफ आतंक, दूसरों के मुकाबले अधिक स्वीकार्य है।
विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने कहा कि अगर हम ऐसे आतंक की आलोचना करने या उन्हें अनदेखा करने के बारे में चुनिंदा होना चाहते हैं, तो हम अपने जोखिम पर ऐसा करते हैं। उन्होंने कहा कि काबुल में सत्ता में बदलाव, न तो बातचीत के जरिए हुआ और न ही समावेशी है। हमने लगातार व्यापक आधार वाली, समावेशी प्रक्रिया का आह्वान किया है, जिसमें अफगानों के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व शामिल हो। अफगानिस्तान से अमरीकी सुरक्षा बलों की वापसी के अंतिम चरण के दौरान तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर नियंत्रण कर लिया था।
Published on:
13 Oct 2021 08:28 am
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