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UN में भारत ने पाकिस्तान के ‘अरमानों’ पर फेर दिया पानी, मुंह देखते रह गए समर्थन करने वाले 179 देश

India Pakistan: पाकिस्तान के इस पारंपरिक हथियार नियंत्रण के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र में 179 देशों में अपना समर्थन तक दे दिया था। अकेले भारत ने इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया था।

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India vote against Pakistan proposal for conventional arms control in UN

भारत ने यूएन में कहा पाकिस्तान बीते चार दशकों से भारत में आतंकवाद को खुलेआम बढ़ावा दे रहा है। (फोटो - ANI)

India Pakistan: न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र सेशन के दौरान पाकिस्तान को दुनिया के सामने भारत ने ऐसा सबक सिखाया जिसे अब वो कभी भूलेगा नहीं। दरअसल पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में 'क्षेत्रीय और उप-क्षेत्रीय स्तरों पर पारंपरिक हथियारों पर नियंत्रण' का प्रस्ताव पेश किया था। इस प्रस्ताव पर 179 सदस्य देशों ने समर्थन में वोट कर पाकिस्तान का साथ दिया लेकिन एक अकेले भारत ने इस प्रस्ताव के विरोध में वोट किया। जिससे पाकिस्तान का ये प्रस्ताव अटक गया और पास नहीं हो पाया।

पाकिस्तान और सीरिया ने पेश किया था ये प्रस्ताव

UNGA यानी संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान और सीरिया की तरफ से ये प्रस्ताव पेश किया गया था। जिसे प्रथम समिति ने स्वीकार कर लिया गया फिर जब मतदान की बारी आई तो इसके पक्ष में 179 सदस्यों ने देशों ने मतदान किया, जबकि इजरायल ने इस वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। वहीं एक मात्र देश भारत ने इस प्रस्ताव के विरोध में वोट किया। 

बता दें कि UNGA की पहली समिति निरस्त्रीकरण, वैश्विक चुनौतियों और शांति के लिए खतरों से निपटती है जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय को प्रभावित करते हैं। पाकिस्तान के पेश किए इस प्रस्ताव में "क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने में पारंपरिक हथियार नियंत्रण की महत्वपूर्ण भूमिका" को मान्यता देने की बात थी। 

प्रस्ताव में कहा गया कि "पारंपरिक हथियारों पर नियंत्रण मुख्य रूप से क्षेत्रीय और उप-क्षेत्रीय मामलों में किया जाना चाहिए, क्योंकि कोल्ड वॉर के बाद सुरक्षा का खतरा उसी क्षेत्र में होता है।

लैटिन अमेरिक और दक्षिणी एशियाई देशों पर ध्यान

इस प्रस्ताव में विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में इस संबंध में की गई पहलों, खासतौर पर अनेक लैटिन अमेरिकी देशों के बीच विचार-विमर्श और दक्षिण एशिया के मामलों में पारंपरिक हथियार नियंत्रण पर बात की गई है। साथ ही इस मामले में क्षेत्रीय सुरक्षा में पारंपरिक हथियार नियंत्रण की प्रासंगिकता और महत्व को मान्यता दी गई है।

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