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CONTROVERSY : राजसमंद झील से सिंचाई के लिए 16 फीट पानी छोडऩे के पूर्व निर्णय पर प्रशासन अडिग़, शहरवासी असंतुष्ट

झील से 16 फीट पानी सिंचाई के लिए देने के निर्णय का है विरोध

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राजसमंद. झील से किसानों को सिंचाई का पानी देने के मुद्दे पर बुधवार को जिला कलक्टर से दो बार वार्ता के बावजूद शहरी प्रतिनिधिमण्डल असंतुष्ट रहा। सिंचाई विभाग ने कहा कि रबी के लिए पानी तय समय पर और पूर्व में हुए निर्णय के मुताबिक ही दिया जाएगा।


सुबह 11.30 बजे शहर के प्रतिनिधि सिंचाई विभाग के फैसले के विरोध में कलक्टर पीसी बेरवाल के पास पहुंचे। वहां वार्ता के दौरान कोई सहमति नहीं बनने पर कलक्टर ने सिंचाई विभाग के एक्सईएन महेन्द्र सिंह चारण को बुलाया। बातचीत में दोनों पक्ष अपनी-अपनी मांगों पर अड़े रहे। इससे पूर्व सुबह हुई बैठक में कलक्टर ने शहरी प्रतिनिधियों को कहा कि अगर कहीं भी सिंचाई विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार झील के पानी की चोरी होगी तो, कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वार्ता में कोई हल नहीं निकलने पर दोपहर में फिर सिंचाई अधिकारियों को वार्ता के लिए बुलाया। बातचीत के दौरान शहरी प्रतिनिधिमण्डल ने एक हजार एमसीएफटी पानी अतिरिक्त छोडऩे पर आपत्ति जताई। लोक अधिकार मंच व माहेश्वरी सेवा समिति के २५ लोगों के प्रतिनिधिमण्डल ने किसानों को जरूरत से ज्यादा पानी देने व झील को खाली करने का आरोप लगाया। कलक्टर को झील के पानी को लेकर हुए निर्णय के कागजात व नक्शे बताए कि पानी कैसे और कितना दिया जाता है। दो घंटे की वार्ता के दौरान एक्सईएन चारण विभाग के फैसले पर अड़े रहे। दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें दी। बाद में कहा गया कि सिंचाई विभाग भी अपना रिकॉर्ड लेकर आए और बताए कि झील का कितना पानी देना चाहिए। कलक्टर ने एक्सईएन चारण के प्रति इस मुद्दे पर लापरवाही बरतने पर नाराजगी भी जताई। प्रतिनिधिमण्डल ने यहां तक कहा कि हम झील का पानी पैसा चुकाकर पी रहे हैं, जबकि किसानों को निशुल्क दिया जा रहा है, फिर क्यों नहीं उनकी बात भी सुनी जा रही? एईएन भगवतीलाल सालवी ने कहा कि हमें ऐसा कोई ओदश नहीं मिला, जिससे हमारा फैसला बदले। एक नवम्बर को नहरें खुल जाएंगी और टेल तक पानी दिया जाएगा।


यह हुआ था निर्णय
सिंचाई विभाग ने गत दिनों झील के कमाण्ड क्षेत्र के गांवों के दो-दो किसान प्रतिनिधियों की बैठक बुला उनकी सूची तैयार की थी। किसानों की मांग पर एक रेलणी और तीन पाण पानी देने का फैसला किया। रेलणी के लिए एक नवम्बर से नहर खोली जाएगी, जो 30 दिन तक चलेगी, वहीं एक पाण के लिए 27 दिन तक नहर में पानी बहेगा। पूरे रबी सीजन में झील से करीब 2300 एमसीएफटी पानी दिया जाएगा। फिर 1486 एमसीएफटी यानि करीब 14 फीट पानी रह जाएगा।


20 फीट रखने की मांग
लोक अधिकार मंच व माहेश्वरी सेवा समिति के पदाधिकारियों ने झील का जलस्तर न्यूनतम 20 फीट रखने की मांग की। ज्ञापन में बताया कि राज्य सरकार जल संरक्षण के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। झील के पानी को भी संरक्षित किया जाए। 20 फीट जलस्तर रखने पर सिंचाई के लिए जरूरत पडऩे पर बाद में भी पानी दिया जा सकेगा। मंच ने वर्ष 1973 के बाद पहली बार पूरी तरह भरी झील का सीमांकन करने की भी मांग की। साथ राज्य सरकार से राजसमंद झील संरक्षण प्राधिकरण बनाने की भी मांग की। ज्ञापन देने वालों में मंच के राष्ट्रीय संयोजक नरेन्द्र सिंह कछवाहा, जिलाध्यक्ष सम्पत लडï्ढा, फतहलाल गुर्जर अनोखा, भगवत शर्मा सहित कई पदाधिकारी शामिल थे।