चीन का रूख ताइवान को लेकर क्या है, इससे हर कोई वाकिफ़ है। चीन ने ताइवान को लेकर दुनिया के सामने अपनी कई गाइडलाइन रखी थी लेकिन अब इन गाइडलाइन को दरकिनार रख भारत ने ताइवान में अपनी मौजूदगी दर्ज करा दी है। भारत ने ताइवान से श्रमिक समझौता कर लिया है और अब अपने श्रमिक वहां भेजने की तैयारी कर रहा है।
चीन (China) की विस्तारवादी नीति से पूरी दुनिया दो-चार हो रही है। उसकी इस नीति में ताइवान (Taiwan) भी शामिल है। ताइवान को वो अपना हिस्सा बताता है और ताइवान के लिए उसने नियम-कानूनों के एक फेहरिस्त भी निकाली थी, लेकिन इस लंबे-चौड़े चिट्ठे को भारत ने फाड़कर रख दिया है। दरअसल भारत ने ताइवान के साथ श्रमिक समझौते (India-Taiwan Labor Agreement) पर रजामंदी दी और इसे साइन कर दिया है। जिसके बाद अब भारत ताइवान में लगभग 1 लाख श्रमिक भेजेगा। भारत के इस कदम से चीन को झटका तो लगा ही है, साथ ही उसे अब भारत की बढ़ती ताकत का अंदाजा भी हो गया है कि अब भारत वो देश नहीं है जो उसने 1962 में देखा था। अब भारत उसकी सोच से कहीं ज्यादा आगे बढ़ गया है और ताकतवर बन गया है।
क्या है श्रमिक समझौता (India-Taiwan Labor Agreement)
चीन (china) का हाल तबसे बेहद खराब है, जब से उसे भारत (India) और ताइवान (Taiwan) के मजबूत होते संबंधों की बताती इस डील का पता चला है। दरअसल भारत और ताइवान के बीच हुए इस समझौते से भारतीयों को ताइवान में कई सेक्टर्स में जॉब दी जाएगी, जिससे इन दोनों देशों के बीच एक भरोसेमंद माहौल का आवरण बनेगा जो एक सामरिक और पारस्परिक सहयोग को दर्शाएगा। बीते शुक्रवार को नई दिल्ली में ही इस समझौते को अंतिम रूप दिया गया है। इंडिया-ताइपे एसोसिएशन (ITA)के महानिदेशक मनोहर सिंह लक्ष्मणभाई यादव और ताइपे इकोनॉमिक एंड कल्चरल सेंटर के प्रमुख बैशुआन गैर ने इस समझौते पर साइन किए थे। इस कार्यक्रम वर्चुअल रखा गया था।
भारत के कदम से भड़का चीन
भारत के इस कदम से चीन को बहुत बड़ा झटका लगा है। ऐसे में वो तिलमिलाया हुआ है। चीन के विदेश मंत्रालय के सहायक मंत्री हुआ चुनयिंग (Hua Chunying) ने सोशल मीडिया साइट X पर एक पोस्ट कर अपनी भड़ास निकाली। हालांकि उन्होंने सीधे तौर पर भारत का नाम लेने से परहेज किया, लेकिन अमेरिका से प्रतिनिधि दल से उनके समकक्ष चीनी नेताओं की एक मीटिंग का हवाला देते हुए एक बार फिर ताइवान को अपना हिस्सा बताया। उन्होंने लिखा कि "दुनिया में केवल एक ही चीन है और ताइवान चीन के क्षेत्र का हिस्सा है। यह ताइवान के सवाल की वास्तविक यथास्थिति है। यह ताइवान की स्वतंत्रता अलगाववादी गतिविधियां और बाहरी ताकतों की मिलीभगत और समर्थन है जो इस यथास्थिति को बदलने की कोशिश कर रहे हैं।"
पहले इजरायल अब ताइवान
बता दें कि भारत ने हाल ही में इजरायल (Israel) में अपने लगभग 50 हजार श्रमिकों को वहां पर नौकरी करने के लिए भेजा था, जब इजरायल युद्ध के दौर से गुजर रहा है। अब श्रमिक समझौते के जरिए भारत ने ताइवान में अपने श्रमिकों को भेज दिया है। जिससे चीन की तिलमिलाहट और भारत की ताकत दुनिया के सामने खुलकर सामने आ गई है।