
हमास की कैद के दौरान यौन हिंसा का शिकार इजरायली युवक अलोन ओहेल। ( फोटो: AI Generated)
Shocking Testimony: युद्ध और संघर्ष के दौरान अक्सर महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की तो चर्चा होती है, लेकिन पुरुषों के खिलाफ होने वाली यौन हिंसा (Hamas Sexual Abuse) पर दुनिया खामोश (Israel Hostage Crisis) रहती है। हमास की कैद से रिहा हुए तीन इजरायली पुरुषों' गाय गिलबोआ-दलाल, रोम ब्रास्लावस्की (Rom Braslavsky) और एलोन ओहेल' ने अपनी आपबीती (TASACC Report) सुनाकर इस खामोशी को तोड़ दिया है। इन तीनों ने बड़ी हिम्मत जुटाकर दुनिया को बताया है कि कैद में उन्हें किस तरह के नरक से गुजरना पड़ा। इजरायली मीडिया (War Crimes Investigation) के अनुसार, गाय गिलबोआ-दलाल दो साल से अधिक समय तक हमास की कैद में रहे। उन्होंने खुलासा किया कि वहां गार्ड्स ने उनका यौन शोषण (Sexual Violence Against Men) किया। गाय का यह बयान इसलिए ऐतिहासिक है, क्योंकि इसने उस पुरानी धारणा को तोड़ दिया है कि पुरुष यौन हिंसा के शिकार नहीं हो सकते या उन्हें इस पर चुप रहना चाहिए। उनकी हिम्मत ने उन हजारों पुरुषों को आवाज दी है, जो शर्म के मारे घुट-घुट कर जीते हैं।
दूसरे पीड़ित, रोम ब्रास्लावस्की ने अपने अनुभवों को सीधे शब्दों में 'नरक' बताया है। उनकी गवाही यह साबित करती है कि यौन हिंसा केवल शारीरिक चोट नहीं, बल्कि आत्मा को छलनी कर देने वाला आघात है। रोम के खुलासे ने समाज की उस सोच पर तमाचा मारा है, जो मानती है कि पुरुष 'सुरक्षित' हैं या उनके साथ हुआ अपराध कम गंभीर होता है। वहीं, एलोन ओहेल की कहानी और भी दर्दनाक है। ज्यादातर बंधकों के रिहा होने के बाद वे अकेले रह गए थे और उन्हें अकेलेपन में यौन शोषण का शिकार होना पड़ा।
आंकड़े बताते हैं कि दुनिया में हर 5 में से 1 पुरुष कभी न कभी यौन शोषण का शिकार होता है, लेकिन शर्म, मजाक उड़ने का डर और समाज के ताने उन्हें चुप रहने पर मजबूर कर देते हैं। ऐसे में गाय, रोम और एलोन का सामने आना सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि एक क्रांति है।
इजरायल में अब इस मुद्दे पर गंभीरता से काम हो रहा है। 'तेल अवीव यौन उत्पीड़न संकट केंद्र' (TASACC) इसमें अहम भूमिका निभा रहा है। केंद्र के निदेशक और अनुभवी मनोचिकित्सक एरान हैन ने पुरुष बंधकों की वापसी और उनके इलाज के लिए विशेष प्रोटोकॉल बनाए हैं। उनकी टीम यह सुनिश्चित कर रही है कि पुरुष पीड़ितों को भी बिना किसी भेदभाव के मदद मिले। TASACC की हेल्पलाइन (1203) धार्मिक और रूढ़िवादी पुरुषों के लिए भी एक उम्मीद की किरण बनकर उभरी है।
बहरहाल, हमास के इन पूर्व बंधकों की गवाही ने यह साफ कर दिया है कि यौन हिंसा न तो महिलाओं का मुद्दा है और न ही पुरुषों का मामला है, यह तो बस मानवता के खिलाफ एक अपराध है। इनकी आवाज अब दुनिया भर में गूंज रही है और मांग कर रही है कि हम यह सच स्वीकार करें और पीड़ितों का साथ दें।
Updated on:
17 Dec 2025 09:19 pm
Published on:
17 Dec 2025 09:16 pm
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