18 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

डोनाल्ड ट्रंप ने वेनेजुएला तेल टैंकर की पूर्ण नाकाबंदी के दिए आदेश, चीन को क्यों लगेगा झटका?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वेनेजुएला के तेल टैंकरों की पूर्ण नाकाबंदी का आदेश दिया है। इस फैसले का सबसे बड़ा असर चीन पर पड़ सकता है, जो वेनेजुएला का सबसे बड़ा तेल खरीदार है।

2 min read
Google source verification
white house

व्हाइट हाउस (Photo Credit - IANS)

US Venezuela conflict: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वेनेजुएला के तेल टैंकरों की पूर्ण नाकाबंदी का आदेश दिया है। इसके बाद वेनेजुएला के ऑयल शिप की कोई मूवमेंट नहीं हो पाएगी। अगर ये ऑयल शिप अंतरराष्ट्रीय जल सीमा में जाते हैं तो अमरीका इन पर सैन्य कार्रवाई कर इन्हें जब्त कर सकता है। अमरीका ऐसा कर भी चुका है। गौर करने की बात यह है कि वेनेजुएला और अमेरिका के बीच अगर टकराव आगे बढ़ता है तो इससे वैश्विक स्तर पर सबसे ज्यादा प्रभावित चीन होगा।

गौरतलब है कि चीन वेनेजुएला के तेल का सबसे बड़ा खरीदार है। वेनेजुएला के तेल पर रोक से चीन की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक हितों को गंभीर चुनौतियां मिल सकती हैं। चीन वेनेजुएला से लगभग 600,000 से 650,000 बैरल प्रति दिन कच्चा तेल आयात करता है, जो चीन के कुल कच्चे तेल आयात का करीब 4% हिस्सा है।

भारी और सस्ते क्रूड होने की वजह से ये क्रूड ऑयल चीनी रिफाइनरियों के लिए महत्वपूर्ण है। अमरीकी प्रतिबंधों के बावजूद चीन अप्रत्यक्ष रूट्स से यह तेल खरीदता रहा है, जैसे कि मलेशियन लेबलिंग के जरिए। वेनेजुएला का अधिकांश तेल मलेशिया के तट के पास पहुंचता है। वहां इस तेल को दूसरे टैंकर में तेल ट्रांसफर किया जाता है, और इसे मलेशियन ओरिजिन के रूप में री-ब्रांड कर चीन भेजा जाता है।

गहरी हैं चीन-वेनेजुएला संबंधों की जड़ें

दरअसल, पिछले दो दशकों में चीन ने वेनेजुएला को करीब 60 अरब डॉलर का कर्ज दिया है, जिनमें से अधिकांश कर्ज तेल निर्यात से चुकाए जा रहे हैं। चीनी कंपनियां वेनेजुएला के तेल क्षेत्रों में निवेश कर रही हैं, और मादुरो सरकार के लिए बीजिंग एक प्रमुख सहयोगी बना हुआ है। इस वक्त 20 मिलियन बैरल से अधिक वेनेजुएलन तेल के टैंकर समंदर में फंसे हुए हैं। अगर ट्रंप वेनेजुएला के खिलाफ आगे बढ़ते हैं तो इस तेल का चीन तक पहुंचना मुश्किल हो जाएगा और इसके दोनों देशों में तनाव बढ़ सकता है।