तब रिश्तों में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया
सम्मेलन के पहले दिन, जयशंकर और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री
शाहबाज़ शरीफ के बीच एक रात्रि भोज के दौरान हाथ मिलाने और संक्षिप्त बातचीत का दृश्य सामने आया। इससे पहले, 2015 में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आखिरी बार पाकिस्तान का दौरा किया था,लेकिन तब रिश्तों में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया था। जब-जब भारत आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान पर सवाल उठाता है, तब-तब पाकिस्तान कश्मीर मसले को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने का प्रयास करता रहता है। ऐसे में, जयशंकर का यह दौरा कूटनीतिक आवश्यकता है, लेकिन क्या इससे रिश्तों में नई शुरुआत होगी, यह देखने वाली बात होगी।
संभावित संवाद के लिए एक अवसर
बहरहाल
भारत-पाकिस्तान के बीच लंबे समय से तनाव और विवादित मुद्दे जैसे आतंकवाद और कश्मीर ने द्विपक्षीय संबंधों को कठिन बना दिया है। जयशंकर का यह दौरा कूटनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, लेकिन यह देखना होगा कि क्या इससे दोनों देशों के बीच कोई नई पहल या संवाद शुरू हो सकेगा। इस प्रकार, जयशंकर का पाकिस्तान दौरा न केवल एससीओ की बैठक के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित संवाद के लिए एक अवसर भी है।