
Muslim Community
Muslims: दुनिया के लगभग हर देश में मुस्लिम आबादी रहती है। वहीं कुछ देश ऐसे हैं जहां पर इस समुदाय की मौजूदगी ही नहीं है या ना के बराबर है। मिडिल ईस्ट (Middle East) में छाए गतिरोध को मुस्लिम और गैर मुस्लिम युद्ध का नाम दिया जा रहा है। जैसे गाज़ा में इजरायल का युद्ध (Israel Hamas War), लेबनान में इजरायल का युद्ध। गौर करने वाली बात ये है कि जो देश इस युद्ध को मुसलमानों पर अत्याचार बता रहे हैं खुद उन देशों में ही मुसलमानों की हालात बद से बदतर है। यहां तक कि वो नरसंहार और भुखमरी जैसी स्थिति से भी गुजर रहे हैं। इसमें भारत (India) के पड़ोसी देश शामिल हैं। ये देश कौन से हैं और इस समुदाय की वहां पर ऐसी हालत क्यों है, ये हम आपको बता रहे हैं।
कई मीडिया रिपोर्ट्स और मानवाधिकार संघों ने ये रिपोर्ट जारी की है कि चीन में उइगर मुसलमानों का उत्पीड़न हो रहा है। उइगर मुसलमानों की इस हालत पर रिपोर्ट्स का कहना है कि चीन में इन मुसलमानों का उत्पीड़न किया जा रहा है। इन्हें मूलभूत सुविधाएं भी शासन-प्रशासन की तरफ से नहीं मुहैया कराई जा रही हैं। इसका कारण बताते हुए एक अंतर्राष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट ने कहा कि उइगर मुसलमानों को चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों को ‘री-एजुकेशन कैंप्स’ में भेजा जाता है। जहां उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को दबाने की कोशिश की जाती है।
दरअसल उइगर तुर्की मूल के अल्पसंख्यक मुसलमान है। ये मुख्य तौर पर चीन के शिनजियांग प्रांत में रहते हैं। ह्यूमन राइट वॉच के मुताबिक चीन ने तो मस्जिदों तक पर पाबंदियां लगाई हुई हैं। वहां पर उइगर मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता पर सख्त नियंत्रण और निगरानी है।
दुनिया में रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय सबसे ज्यादा हाशिए पर हैं। म्यामांर के रहने वाले रोहिंग्या मुसलमानों को सरकार ने नागरिकता से वंचित किया गया है। इसलिए वे लंबे समय से हिंसा, उत्पीड़न, और विस्थापन का सामना कर रहे हैं। सिर्फ इतना ही रोहिंग्या के इस आपसी संघर्ष में लाखों रोहिंग्या हिंदू और मुसलमानों का नरसंहार हुआ है। इससे बचन के लिए लाखों रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश, भारत दूसरे अन्य देशों में शरण लेने को मजबूर हुए हैं। रोहिंग्या मुसमलान, म्यांमार के रखाइन (अराकान) राज्य में रहने वाले मुस्लिम समुदाय को कहते हैं। ये सैकडो़ं सालों से म्यांमार में रह रहे हैं। 25 अगस्त, 2017 को म्यांमार में रोहिंग्या लोगों के ख़िलाफ़ हमले हुए थे. इस दिन को रोहिंग्या नरसंहार दिवस के रूप में मनाया जाता है
अंतर्राष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक फ्रांस में मुसलमानों को धार्मिक पहचान, खासौतर से हिजाब या दूसरे धार्मिक प्रतीकों पर प्रतिबंध के चलते भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। यहां कुछ मुसलमानों को नौकरी और आवास में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। रिपोर्ट के मुताबिक ये नियम फ्रांस में हुए आतंकी हमलों और सांप्रादायिक घटनाओं के बाद से ज्यादा कड़े हो गए हैं।
इसके अलावा यूरोपी के जर्मनी, नीदरलैंड्स, और बेल्जियम जैसे देशों में मुसलमानों की स्थिति चिंताजनक है। वहां पर उन्हें रोजगार मिलने में तो परेशानी होती है साथ ही समाज में भी उन्हें स्वीकार्य होने में कई मुश्किलें देखने को मिलती हैं।
ह्यूमन राइट वॉच की रिपोर्ट बताती है कि इजराइल में रह रहे फिलिस्तीनी मुसलमानों की हालत काफी खराब है। यहां वे लंबे समय से राजनीतिक और सामाजिक संघर्ष का सामना कर रहे हैं। वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में रहने वाले फिलिस्तीनी मुसलमान हाशिए पर जीवन व्यतीत करते हैं, गाज़ा में हो रहा इजरायल का युद्ध इसी संघर्ष की निशानी है।
Published on:
18 Nov 2024 02:04 pm
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