
जापान में परमाणु बमबारी की बरसी पर ताइवान को न बुलाने का फैसला। (फोटो क्रेडिट: ANI)
Taiwan Exclusion Nagasaki जापान में इस साल परमाणु बमबारी की 80वीं बरसी (Nagasaki anniversary) के अवसर पर आयोजित होने वाले नागासाकी शांति समारोह (Nagasaki peace ceremony) से ताइवान को बाहर रखने का विवाद छिड़ गया है। इससे जापान और ताइवान के रिश्तों (Taiwan China relations) पर प्रभाव पड़ने की संभावना है। यह फैसला चीन के दबाव ( China pressure) से प्रेरित माना जा रहा है, जापान में तीव्र विरोध का कारण बन गया है। ताइवान को कार्यक्रम में शामिल न करने की घोषणा (Taiwan exclusion) ने स्थानीय अधिकारियों को एकजुट कर दिया है और यह स्थिति राजनीतिक उथल-पुथल का रूप ले चुकी है।
इस विवाद के बीच, जापान में ताइवान के प्रति सकारात्मक भावनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। जापान के कई सांसद और जनता ताइवान को "लोकतंत्र और स्वतंत्रता का प्रतीक" मानते हैं और इसे एक विश्वसनीय सहयोगी के रूप में देखते हैं। जापान के ताइवान के साथ रिश्तों को लेकर यह सार्वजनिक रुख चीन के प्रति एक खतरनाक चुनौती बन गया है। साथ ही, ताइवान के "2.3 करोड़ नागरिकों का समर्थन भी इस घटनाक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
नागासाकी के मेयर सुजुकी शिरो ने इस निर्णय पर सख्त प्रतिक्रिया दी है और इसे "कंपकंपी दबाव" करार दिया है। कोबे सिटी काउंसलर उएहता नोरिहिरो ने इसे "निंदनीय" बताते हुए कहा, "जो लोग चीन का दबाव स्वीकार करते हैं, वे शांति की बात नहीं कर सकते।" वहीं, ताइवान की सेंट्रल न्यूज एजेंसी (CNA) ने भी इस फैसले की आलोचना की और जापान के समर्थन की आवश्यकता जताई। जापान में बहुत से लोग इस बात से सहमत हैं कि ताइवान लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान करता है और एक स्वतंत्र राष्ट्र है।
मेयर सुजुकी शिरो ने अपनी टिप्पणी में यह भी कहा कि यदि भविष्य में स्थिति बदलती है, तो ताइवान को आमंत्रित करने पर विचार किया जा सकता है। हालांकि, उन्होंने इसे "संभावनाओं" के रूप में व्यक्त किया, लेकिन चीन के दबाव के चलते ऐसा निमंत्रण बहुत दूर की बात प्रतीत होता है।
यह घटना चीन-जापान संबंधों में नए तनाव का संकेत है। जापान के द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के कूटनीतिक रिश्तों में यह सबसे महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है, विशेष रूप से जब ताइवान के राष्ट्र-सम्मान और लोकतांत्रिक प्राथमिकताओं का सवाल सामने हो।
जापान के कुछ वरिष्ठ कूटनीतिज्ञों का मानना है कि ताइवान की उपेक्षा से जापान की वित्तीय और राजनीतिक स्थिति पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, और संघर्ष की संभावना बढ़ सकती है।
बहरहाल यह घटना नागासाकी शांति समारोह के उद्देश्य और ताइवान के अंतरराष्ट्रीय सम्मान के बीच एक गहरा तनाव उजागर करती है। चीन का राजनीतिक दबाव इस निर्णय के पीछे प्रमुख कारण है, लेकिन जापान में बढ़ती ताइवान समर्थक लहर इसे राजनीतिक संतुलन में एक महत्वपूर्ण मोड़ बना सकती है।
Updated on:
17 May 2025 07:13 pm
Published on:
17 May 2025 07:12 pm
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