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“जेल में मेरी जान को खतरा, असीम मुनीर मुझे मारना चाहते हैं”, पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान का दावा

जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान ने अपनी जान को खतरा बताया है। उन्होंने उस शख्स का नाम भी बताया जो उनके अनुसार उन्हें मार सकता है। कौन है वो जिससे इमरान को खतरा है और क्या है पूरा मामला? आइए जानते हैं।

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भारत

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Tanay Mishra

Jul 17, 2025

Imran Khan fears for his life in jail because of Asim Munir

Imran Khan fears for his life in jail because of Asim Munir (Photo - Patrika Network)

पाकिस्तान (Pakistan) के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) इस समय रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद हैं। इमरान अगस्त 2023 से जेल की सज़ा काट रहे हैं। पहले उन्हें अटक जेल में बंद किया गया था, जहाँ से अदियाला जेल में शिफ्ट कर दिया गया था। इमरान, काफी समय से जेल से बाहर आने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल उनके जेल से बाहर आने की कोई भी संभावना नहीं है। इमरान पर शुरुआत में लगे तीन मामलों में अब सिर्फ एक गैर-कानूनी शादी का ही मामला बचा है, लेकिन कुछ महीने पहले उन्हें अल-कादिर ट्रस्ट से जुड़े भूमि भ्रष्टाचार मामले में भी दोषी ठहराते हुए 14 साल की जेल की सज़ा सुनाई गई। अब जेल में बंद इमरान ने एक हैरान करने वाला दावा किया है।

जेल में हो रहा बेहद अमानवीय बर्ताव

इमरान ने एक बयान में बताया कि उनके और उनकी पत्नी बुशरा बीबी के साथ जेल में बेहद ही अमानवीय बर्ताव हो रहा है। इमरान ने बताया कि दोनों को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं और जेल में उनके साथ आतंकियों से भी बुरा व्यवहार किया जा रहा है।

इमरान की जान को खतरा!

इमरान ने यह भी कहा है कि जेल में उनकी जान को खतरा है। इमरान ने अपनी पार्टी पीटीआई को आगाह कर दिया है कि अगर जेल में उनके साथ कुछ भी होता है, तो इसके लिए पाकिस्तानी सेना के चीफ असीम मुनीर (Asim Munir) ज़िम्मेदार होंगे। पहले भी कई मौकों पर इमरान कह चुके हैं कि जेल में मुनीर से उनकी जान को खतरा है।

क्या पहले भी किसी पाकिस्तानी नेता की हुई है जेल में मौत?

अक्सर ही ऐसे दावे सामने आते हैं कि पाकिस्तान में कई नेताओं की जेल में हत्या की गई हैं। हर बार परिस्थितियाँ अक्सर विवादित और विवादास्पद होती हैं, ऐसे में सभी दावों की पुष्टि करना आसान नहीं है। हालांकि इस तरह का सबसे बड़ा मामला पाकिस्तान के पहले लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो (Zulfikar Ali Bhutto) का है, जिन्हें जनरल ज़िया-उल-हक (Zia-ul-Haq) के सैन्य शासन के तहत एक विवादास्पद मुकदमे के बाद 4 अप्रैल, 1979 को रावलपिंडी की सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई थी। फांसी से पहले भुट्टो को जेल की सज़ा भी काटनी पड़ी थी। भुट्टो की मौत के बारे में कहा जाता है कि उन्हें फांसी से पहले जेल में काफी प्रताड़ित किया गया और मार डाला गया था। बाद में फांसी दी गई, जिससे उनकी मौत सज़ा लगे, हत्या नहीं।