
PM Narendra Modi, Volodymyr Zelensky And Vladimir Putin
India on Russia Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध को 3 साल से ज्यादा का वक्त हो गया है लेकिन इसके बावजूद इस युद्ध का अंत अभी तक नहीं हो पाया है। दुनिया के बड़े-बड़े देश इस युद्ध को खत्म करने की कोशिश में लगे हुए हैं। लेकिन भारत ने अब इस युद्ध को खत्म करने का बीड़ा उठा लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के रूस और यूक्रेन की यात्रा के बाद अब इस जंग के खत्म होने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। बीते दिन रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन (Vladimir Putin) ने बयान जारी कर इस युद्ध में भारत की मध्यस्थता की इच्छा जताई थी। पुतिन ने सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि चीन और ब्राजील को भी (China and Brazil) मध्यस्थता करने को कहा है। लेकिन पूरी दुनिया की नजरें भारत और प्रधानमंत्री मोदी पर ही टिकी हुई हैं, कि भारत इस युद्ध को रुकवाने की क्षमता रखता है और ये युद्ध रुकवा सकता है।
रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए भारत के पास आखिर क्या प्लान है। आखिर कैसे वो इस 3 साल से चल रहे युद्ध को रोकेगा। तो इसका जवाब है भारत का सिद्धांत और दुनिया में उसकी बढ़ती ताकत, जिनसे भारत इस युद्ध को रोकने की क्षमता रखता है। दरसअल भारत दुनिया के शक्तिशाली देशों की लिस्ट में शामिल है। रूस ने भले ही चीन और ब्राजील को मध्यस्थता के लिए बुलावा भेजा है लेकिन चीन और ब्राजील ऐसा करने में असमर्थ साबित हो सकते हैं।
व्लादिमिर पुतिन ने ये भारत पर भरोसा इसलिए जताया है क्योंकि भारत एक ऐसा देश है जो इस युद्ध के समय में भी दोनों देशों के साथ खड़ा है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि PM मोदी ने जो दोनों पक्षों को बातचीत की वो शांति को आगे बढ़ाने में सफल साबित हुआ है। उनकी यूक्रेन यात्रा ने भी पूरी दुनिया को यही मैसेज दिया है कि भारत इस युद्ध को रुकवाने की एक सफल कोशिश कर सकता है। क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता को रूस जैसे शक्तिशाली देश के मजबूत राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन मध्यस्थता के लिए भारत का नाम नहीं लेते।
भारत के रिश्ते रूस-यूक्रेन समेत अमेरिका से काफी गहरे हैं। एक बड़ी वजह ये भी है कि भारत के किसी प्रस्ताव को अमेरिका दरकिनार नहीं कर सकता है, क्योंकि ये बात अमेरिका भी जानता है कि भारत और प्रधानमंत्री मोदी उसके लिए कितने जरूरी हैं। भारत और रूस (सोवियत संघ) के बीच संबंध 1947 में भारत की आजादी के बाद से ही काफी गहरे रहे हैं। सोवियत संघ ने भारत की आजादी का समर्थन किया और आजादी मिलने के बाद रूस और भारत ने एक मजबूत राजनीतिक साझेदारी स्थापित की। दोनों देशों ने आपसी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मिलकर काम किया है। जिसमें सबसे अहम है आर्थिक और सैन्य सुरक्षा संबंध हैं।
यहां एक बात और ध्यान देने वाली है कि रूस पर अमेरिका के CAATSA जैसे कई प्रतिबंध लगाने के बाद भी भारत ने रूस के साथ कोई रिश्ता तोड़ा नहीं है बल्कि उसे और ज्यादा गहरा ही किया है।
अंतर्राष्ट्रीय न्यूज वेबसाइट CNA की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन इस युद्ध को ना तो रुकवा सकता है और ना ही वो रोकना चाहता है। इसका कारण बताते हुए रिपोर्ट ने कहा है कि चीन 13 सालों से रूस का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार रहा है, रूस के आयात में चीनी वस्तुओं की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत से ज्यादा है। खास बात यह है कि रूसी सैन्य-औद्योगिक परिसर चीन से बड़ी मात्रा में घटकों का आयात करता है। यूक्रेन में लड़ रहे रूसी सैनिकों के ड्रोन और हल्के वाहनों जैसे दोहरे उपयोग वाले चीनी उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए, रूस की युद्ध मशीन पर बीजिंग का कुछ प्रभाव है।
फिर भी, रूस एक बड़ी शक्ति है और दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जबकि यूक्रेन पैसों की कमी वाला एक छोटा देश है। चीन के साथ व्यापार में कमी रूस की आर्थिक संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकती है। लेकिन ये रूस और यूक्रेन के बीच शक्ति असंतुलन को ठीक करने के लिए कुछ नहीं करेगी।
वहीं चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों के चलते पूरी दुनिया का आंख का कांटा बना हुआ है। दुनिया का लगभग हर देश चीन से परेशान है खासकर अमेरिका, यूके और एशियाई देश। ऐसे में दुनिया भारत की सुनेगी या चीन की मानेगी इसका अंतर साफ-साफ नजर आता है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने ब्राजील को भी मध्यस्थता के लिए कहा है। अब सवाल ये है कि क्या ब्राजील इस युद्ध को रुकवाने में मदद कर सकता है? ब्राजील के रिश्ते रूस और यूक्रेन दोनों से ही अच्छे हैं। ब्राजील G-20 जैसे वैश्विक संगठन में भी सक्रिय है। ब्राज़ील अपने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में राष्ट्रीय स्वतंत्रता और लोगों के आत्मनिर्णय, गैर-हस्तक्षेप, राज्यों के बीच समानता और अंतर्राष्ट्रीय विवादों से निपटने के लिए शांतिपूर्ण तरीकों को अपनाता है। ब्राज़ील की कूटनीति ने ऐतिहासिक रूप से इन सिद्धांतों के आधार पर कार्य किया है, ऐसे में ब्राजील से इस शांति को स्थापित करने में उम्मीद की जा सकती है।
Updated on:
06 Sept 2024 02:11 pm
Published on:
06 Sept 2024 02:10 pm
बड़ी खबरें
View Allविदेश
ट्रेंडिंग
