
दुनिया के सबसे गहरे सागर में मिला पारे का प्रदूषण, आखिर पहुंचा कैसे?
न्यूयॉर्क. हाल ही वैज्ञानिकों ने दुनिया समुद्र के सबसे गहरे मारियाना ट्रेंच में इंसान जनित पारा प्रदूषण पाया है। हाल ही दो अनुसंधान समूहों ने इस बारे में अपनी रिपोर्ट हवाई में आयोजित वर्चुअल गोल्डस्मिथ सम्मेलन में पेश की। दोनों टीमों को प्रशांत महासागर में 11 हजार की गहराई पर पारा और मिथाइल मर्करी प्रदूषण के प्रमाण मिले हैं। तियानजिंग यूनिवर्सिटी चीन के डॉ. रोयू सुन ने शोधकर्ताओं की टीम का नेतृत्व किया। दूसरी टीम मिशिगन विवि के डॉ. जोएल ब्लम के नेतृत्व में प्रशांत के केदरमादेक और मारियाना ट्रेंच का विश्लेषण किया। इस शोध में पाया गया कि पृथ्वी पर उत्पन्न पारा वर्षा के माध्यम से समुद्रों में पहुंचा है। जबकि सुन की टीम के मुताबिक पारा समुद्र में 300 से 400 मीटर की गहराई तक उत्पन्न होता है, जिसे मछलियां निगल लेती हैं और मरने के बाद पैंदे में चली जाती हैं। इस तरह यह पारा समुद्र तल पर जमा हो जाता है।
हवाई विवि के प्रोफेसर रुबिन का कहना है कि प्राकृतिक घटनाओं के अलावा मानवीय क्रिया कलापों से भी पैदा होता है। ज्वालामुखी विस्फोट और जंगल के आग जैसी प्राकृतिक घटनाओं के अलावा कोयला, पेट्रोल जलन और खनन जैसी मानवीय गतिविधियों से पारा उत्पन्न होता है और समुद्रों तक पहुंच जाता है। समुद्रों में पारे के प्रदूषण का सबसे बड़ा नुकसान जलीय जीवों को है, जो अनजाने इसे निगल लेते हैं।
Published on:
28 Jun 2020 04:19 pm
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