
President of Ukraine Volodymyr Zelenskyy
Russia-Ukraine War : यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ( Volodymyr Zelenskyy )का कार्यकाल आज नियमानुसार खत्म हो रहा है, लेकिन वो पद पर बने रहेंगे। यूक्रेन के संविधान को लेकर असमंजस बना हुआ है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ( Putin) ने इस पर सवाल उठाया है। उन्होंने उनके पद पर बने रहने को असंवैधानिक बताया है।
अब दुनियाभर में ये सवाल उठ रहा है कि अगर यूक्रेन में जेलेंस्की को पद छोड़ना पड़ता है तो उसके बाद क्या होगा ? साथ ही यूक्रेन का संविधान में क्या प्रावधान है। हालांकि विश्व में युद्धग्रस्त देशों के प्रमुखों ने जब चुनावों का सामना किया है तो उनका भाग्य अलग अलग रहा है।
ध्यान रहे कि तत्कालीन राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ( Abraham Lincoln ) ने सन 1864 में गृह-युद्धग्रस्त अमरीका में राष्ट्रपति चुनाव जीता था, इसके उलट सन 1945 में विश्व युद्ध खत्म होने के बाद ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल चुनाव हार गए। जब दुश्मन आपके क्षेत्र पर कब्ज़ा कर रहे हों, उस पर बम बरसा रहे हों, जब बड़ी संख्या में आपके नागरिक लड़ाई कर रहे हों, तब चुनाव कराना मुश्किल होता है। हालांकि ऐसे में सत्ता में बैठे लोगों पर गैर कानूनी होने का आरोप लग ही जाता है।
राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की पांच साल पहले यूक्रेन ( Ukraine) के राष्ट्रपति राष्ट्रपति चुने गए थे। उनका कार्यकाल 20 मई को खत्म हो रहा है। अब उन्हें चुनाव मैदान में जाना ही होगा। हालांकि ये खबरें हैं कि यूक्रेन में उनके विपक्षी चाहते हैं कि वहां चुनाव हों। क्योंकि लड़ाई तो अभी लंबी चल सकती है।
यूक्रेन का संविधान भ्रमित करने वाला है। यूक्रेन के संविधान के अनुच्छेद 103 में कहा गया है कि राष्ट्रपति को 05 साल के के लिए चुना जाता है, लेकिन अनुच्छेद संविधान का अनुच्छेद 108 कहता है कि वह तब तक सत्ता का प्रयोग करता है, जब तक कि कोई नया राष्ट्रपति नियुक्त न हो जाए। एक पुराना कानून (हालांकि संवैधानिक प्रावधान नहीं) कहता है कि मार्शल लॉ लागू होने पर चुनाव नहीं कराए जा सकते। गौरतलब है कि फरवरी 2022 से रूस ने इस देश पर लगातार आक्रमण किए रखा है।
रूस ने यह कहना शुरू कर दिया है कि जेलेंस्की गलत तरीके से पद पर बैठे हैं. वो जानबूझ कर चुनाव नहीं कराना चाहते।हालांकि इस मामले में यूक्रेन को अमरीका और यूरोपीय देशों का समर्थन मिला हुआ है।
जेलेंस्की इस बात पर ज़ोर दे रहे हैं कि उनका लक्ष्य यूक्रेन की खोई हुई सारी ज़मीन वापस पाना है, जो असंभव लगता है। वैसे यूक्रेन की सरकार कथित भ्रष्टाचार और एक छोटे समूह के हाथों में सत्ता के केंद्रीयकरण को लेकर निशाने पर भी है। यूक्रेन की ताकत भी कम हो रही है और सैनिक भी कम हो रहे हैं। हालांकि लंबे समय बाद वहां एक नया भर्ती कानून लागू हो गया है, लेकिन युद्ध के मैदान में इसका प्रभाव महसूस होने में अभी कई महीने लगेंगे।
असंतुष्टों और विपक्ष की दलील है कि अगर यूक्रेन में चुनाव होते हैं तो यूक्रेन की सरकार की वैधता को बल मिलेगा। वहीं जवाबदेही में भी सुधार होगा। साथ ही यह तय होगा कि देश का उदारवादी चरित्र बना हुआ है और चुनाव नहीं रोके जाने चाहिए। अब यह देखने वाली बात होगी कि जेलेंस्की यूक्रेन चुनावों के लिए क्या विकल्प तलाश करते हैं।
ऐसा समझा जा रहा है कि वार्ता होने के बाद रूस यूक्रेन में चुनाव होने की सूरत में युद्ध रोक सकता है, लेकिन यह तय है कि रूस अपने कब्जे वाले क्षेत्रों में मतदान होने देगा। हालांकि मतदान के दौरान भी रूस के संघर्ष विराम पर धुंध के बादल मंडरा रहेह हैं।
रूस-यूक्रेन में करीब 31,000 नागरिक युद्ध ( Russia-Ukraine War) में मारे जा चुके हैं या घायल हुए हैं। युद्ध का आबादी पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है। यूक्रेन के कई लोग क्षतिग्रस्त घरों या इमारतों में रह रहे हैं, जो ठंडे तापमान का सामना नहीं कर सकते हैं। उन्हें पानी, बिजली, हीटिंग, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा जैसी बुनियादी ज़रूरतों तक पहुंचने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
Updated on:
25 May 2024 10:02 am
Published on:
20 May 2024 05:41 pm
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