30 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

पत्रकारों को झेलना पड़ रहा है सरकारी दबाव, इन देशों में कवरेज करने की मुश्किलें बढ़ीं

Afghan journalists in Iran and Pakistan: ईरान और पाकिस्तान में अफगान पत्रकारों को गंभीर सुरक्षा और कवरेज की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। मानवीय संगठनों ने इनके लिए सुरक्षा और समर्थन की मांग की है।

2 min read
Google source verification

भारत

image

MI Zahir

Jul 23, 2025

Afghan journalists in Iran and Pakistan

ईरान और पाकिस्तान में अफ़ग़ान पत्रकारों की मुश्किलें बढ़ीं। (फोटो: IANS.)

Afghan journalists in Iran and Pakistan: ईरान (Iran)और पाकिस्तान (Pakistan) में अफ़ग़ान पत्रकारों की मुश्किलें बहुत बढ़ गई हैं। एक अंतरराष्ट्रीय समूह ने हाल ही में चेतावनी दी है कि वहां पत्रकारों को गंभीर खतरे और दबाव का सामना करना पड़ रहा है। इन देशों में काम करने वाले अफ़ग़ान पत्रकारों (Afghan journalists)पर लगातार नजर रखी जा रही है। कई बार उनके खिलाफ डराने-धमकाने और कड़ी कार्रवाई की खबरें भी आई हैं। इससे उनकी पत्रकारिता की स्वतंत्रता खतरे (press freedom) में पड़ गई है। ग्रुप के मुताबिक, इन पत्रकारों को ना सिर्फ सरकारी दबाव झेलना पड़ रहा है बल्कि उन्हें अपने परिवार और खुद की सुरक्षा को लेकर भी चिंता सताती है। ऐसे हालात में उनका काम करना बहुत मुश्किल हो गया है।

अफ़ग़ान पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग

इस बीच, विशेषज्ञों और मानवाधिकार संगठनों ने तुरंत कदम उठाने और अफ़ग़ान पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है, ताकि वे बिना डर के खबरें रिपोर्ट कर सकें।

आम जनता तक सही जानकारी पहुंचना भी मुश्किल

यह एक चिंताजनक स्थिति है कि अफ़ग़ान पत्रकारों को ईरान और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों में इतना दबाव और खतरा झेलना पड़ रहा है। पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्रता किसी भी लोकतंत्र की नींव होती है, और जब ये खतरे में होती है, तो न सिर्फ खबरों की विश्वसनीयता प्रभावित होती है, बल्कि आम जनता तक सही जानकारी पहुंचना भी मुश्किल हो जाता है।

मौजूदा हालात और सुलगते सवाल

अब देखना होगा कि अंतरराष्ट्रीय संगठनों और मानवाधिकार समूहों द्वारा इस मामले पर क्या कदम उठाए जाते हैं। क्या दोनों देशों की सरकारें अफ़ग़ान पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोई ठोस कदम लेंगी? और क्या पत्रकारों की आवाज़ दबाने वाले नियमों या परिपाटी में कोई बदलाव आएगा ?

मानवाधिकारों और मीडिया की स्वतंत्रता सवालों के घेरे में

बहरहाल यह मुद्दा केवल पत्रकारों की सुरक्षा तक सीमित न रखते हुए,इसे मानवाधिकारों और मीडिया स्वतंत्रता के व्यापक संदर्भ में भी देखा जाना चाहिए। खासकर अफ़ग़ानिस्तान के राजनीतिक अस्थिर माहौल के बीच, पत्रकारों की आवाज़ दबाना, सूचना का प्रवाह रोकना और तथ्यों को छिपाना लंबे समय में पूरे क्षेत्र की राजनीतिक स्थिरता और लोकतांत्रिक विकास के लिए खतरा बन सकता है।