
यूक्रेन के रूस पर हमले से प्रिमोर्स्क बंदरगाह पर उठता धुआं। (फोटो: वाशिंगटन पोस्ट.)
Ukraine drone attack Russia oil terminal: यूक्रेन ने 12 सितंबर 2025 को रूस के काला सागर के किनारे स्थित प्रिमोर्स्क बंदरगाह के सबसे बड़े तेल टर्मिनल(Ukraine drone attack Russia oil terminal) पर एक बड़ा ड्रोन हमला (Ukraine drone attack) किया। यह पहला मौका है जब यूक्रेन ने इस महत्वपूर्ण तेल निर्यात केंद्र को निशाना बनाया है। इस हमले ने रूस की ऊर्जा सुरक्षा और तेल निर्यात व्यवस्था को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। रूसी अधिकारियों के अनुसार, इस ड्रोन हमले में प्रिमोर्स्क बंदरगाह (Primorsk port strike) पर एक तेल टैंकर और एक पंपिंग स्टेशन में आग लग गई। हालांकि, आग को जल्द ही बुझा दिया गया और तेल रिसाव जैसी कोई गंभीर समस्या नहीं आई। बंदरगाह पर तेल लोडिंग प्रक्रिया फिलहाल अस्थायी रूप से रोक दी गई है, जिससे रूस के तेल निर्यात पर असर पड़ा है। यह बंदरगाह रूस (Russian energy infrastructure)के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बाल्टिक सागर में स्थित है और देश के तेल निर्यात का एक प्रमुख केंद्र है।
यूक्रेन की सुरक्षा सेवा (SBU) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है, जबकि रूस ने इसे यूक्रेनी ड्रोन हमला बताया है। पिछले कुछ महीनों में यूक्रेन ने रूस के कई ऊर्जा और सैन्य ठिकानों पर ड्रोन हमले तेज कर दिए हैं। इन हमलों का मकसद रूस की आर्थिक कमर तोड़ना और उसकी मुख्य आय के स्रोतों को नुकसान पहुंचाना है।
यूक्रेन का यह रणनीतिक कदम युद्ध के दौरान रूस पर आर्थिक दबाव बढ़ाने की कोशिश का हिस्सा है। रूस की अर्थव्यवस्था में तेल निर्यात की अहमियत को देखते हुए, ऐसे हमले उसकी आय को प्रभावित कर सकते हैं और उसे कमजोर बना सकते हैं। इसके अलावा, यह हमला यह भी दर्शाता है कि इस युद्ध में अब केवल लड़ाई सीमाओं तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि ऊर्जा और सैन्य बुनियादी ढांचे पर भी हमला हो रहा है।
रूस के लिए यह हमला एक बड़ा झटका है ,क्योंकि प्रिमोर्स्क बंदरगाह से रोजाना हजारों बैरल तेल का निर्यात होता है, जो देश की आर्थिक शक्ति का बड़ा हिस्सा है। इस हमले से न सिर्फ रूस की तेल सप्लाई में रुकावट आई है, बल्कि वैश्विक तेल बाजार पर भी इसका असर पड़ा है। अमेरिका और अन्य देशों के रिफाइनरियों को इसका फायदा हो सकता है क्योंकि रूस को अपनी घरेलू तेल आपूर्ति कम करनी पड़ सकती है।
यूक्रेन ने इस हमले के जरिये यह बात साफ कर दी है कि वह रूस के कमजोर पहलुओं को निशाना बनाकर युद्ध में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है। वहीं, रूस को अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए नए उपाय करने पड़ सकते हैं ताकि ऐसे हमलों से बचा जा सके।
इस घटना से साफ है कि युद्ध की रणनीति अब नई दिशा ले चुकी है और इसमें ऊर्जा संसाधनों की सुरक्षा सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। भविष्य में भी ऐसे हमले जारी रह सकते हैं, जो दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ाएंगे।
बहरहाल इस हमले के बाद दुनिया भर की नजरें रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष पर टिकी हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों देश इस चुनौती का सामना कैसे करते हैं और आगे की रणनीतियां क्या होती हैं।
Updated on:
12 Sept 2025 06:54 pm
Published on:
12 Sept 2025 06:53 pm
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