
US President Donald Trump and China President Xi Jinping
Donald Trump 2.0: अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप का 2.0 अवतार एक ऐसी टीम को अपने साथ ला रहा है, जिन्हें खुले तौर पर अपनी चीन विरोधी नीतियों के लिए जाना जाता है। माना जा रहा है कि इन नियुक्तियों के जरिए ट्रंप ने चीन (China) को साफ संदेश दिया है कि अब अमेरिका की चीन के साथ समंजस्यवादी और संदिग्ध नीतियों का युग खत्म हो रहा है। अमेरिका (US China Relations) के आगामी विदेश मंत्री मार्को रूबियो, नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर माइक वाल्टज, डिप्टी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर एलेक्स वांग, अमेरिका के चीन में राजदूत डेविड परड्यू और संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में अमेरिका की राजदूत एलिस स्टेफनिक सभी में अगर कोई एक बात सामान्य है तो वो ये कि ये सभी चीन और उसकी कम्युनिस्ट पार्टी को अमेरिका के अस्तित्व के लिए खतरा मानते हैं।
आगामी विदेश मंत्री रूबियो पर तो चीन 2020 में उनकी हांगकांग नीतियों के कारण प्रतिबंध भी लगा चुका है। ट्रंप टीम के अहम सदस्य एलन मस्क को छोड़ दें, तो इन सभी लोगों का मानना है कि आक्रामक रूप से हथियारों के निर्माण और विस्तारवादी नीतियों में जुटे चीन को ज्यादा समय तक समायोजित नहीं किया जा सकता।
खास तौर पर हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की गतिविधियों की ज्यादा समय तक उपेक्षा नहीं की जा सकती। साथ ही ट्रंप की पूरी टीम जैसे विवेक रामास्वामी, काश पटेल, तुलसी गैबार्ड पर नजर डालें तो ये भी साफ है कि ट्रंप की नई टीम में ऐसे लोगों की भी कोई कमी नहीं है, जो साफ तौर पर लोकतांत्रिक और दुनिया की नई उभरती ताकत भारत को सहयोगी देश के रूप में देखते हैं।
शपथ ग्रहण से पहले ट्रंप ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से फोन पर बातचीत की है। ट्रंप ने बताया कि उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ कई अहम मुद्दों जैसे व्यापार, फेंटेनाइल (ड्रग) और टिकटॉक जैसे मुद्दों पर बात की। उन्होंने कहा, चीन और अमेरिका के लिए ये बातचीत बहुत अच्छी रही। राष्ट्रपति शी और मैं पूरी कोशिश करेंगे ताकि दुनिया को और ज्यादा शांतिपूर्ण और सुरक्षित बनाया जा सके।
चीन में अमेरिका के राजदूत डेविड परड्यू ने अमेरिका चीन संबंधों पर कहा है कि खुद को बचाने के लिए, अमेरिकियों को सबसे पहले ये समझना होगा कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी वास्तव में हमारे साथ युद्ध में है। लोकतांत्रिक पूंजीवादी देशों की संयुक्त आर्थिक और सैन्य ताकत पर टिके सत्तावादी देशों की तुलना में कई गुना अधिक है। लोकतांत्रिक देशों को ये तय करना होगा कि वे ताइवान में लोकतंत्र की रक्षा के लिए क्या कर सकते हैं। स्वतंत्रता की रक्षा के लिए, इन स्वतंत्र देशों को एकजुट होने और एक सहयोगी मोर्चा बनाने की आवश्यकता है, जो द्वितीय विश्व युद्ध जैसा ही है। हमारी रणनीतिक अस्पष्टता को अब सहयोगी देशों के साथ साझा करने और स्पष्ट करने की जरूरत है।
अमेरिका के नवनियुक्त डिप्टी NSA एलेक्स वोंग ने कहा है कि बीजिंग के साथ तनाव से संभावित संघर्ष का खतरा इस कदर बढ़ गया है, जो हमने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से नहीं देखा है।
अमेरिका के नवनियुक्त NSA माइक वॉल्ट्ज ने कहा कि चीन पर लगाम लगाने के लिए हमें प्रशांत क्षेत्र की ओर रुख करना होगा...जहां स्थिति विस्फोटक है...चीन 1930 के दशक के बाद से सबसे तेजी से सैन्य निर्माण कर रहा है। चीन से अमरीका को अस्तित्वपरक का खतरा है।
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक रुबियो ने कहा कि अमेरिका का अब तक का सबसे शक्तिशाली और खतरनाक प्रतिद्वंद्वी चीन है। यदि अमरीका ने जल्द ही कोई रोकथामक कार्रवाई नहीं की तो इसके भयंकर परिणाम होंगे। यदि हम उसी राह पर चलते रहे, जिस पर हम अभी चल रहे हैं, तो 10 वर्ष से भी कम समय में हमारे जीवन में जो कुछ भी महत्वपूर्ण है, उस सबके लिए हम चीन के मोहताज होंगे...हमारी रक्तचाप की दवा से लेकर, हम कौन सी फिल्में देखते हैं, तक सब कुछ।
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की नवनियुक्त राजदूत एलिस स्टेफनिक ने कहा कि जब हम उभरते खतरों के बारे में सोचते हैं, तो चीन सबसे महत्वपूर्ण उभरते खतरों में से एक है। केवल अमरीका में ही नहीं, बल्कि जब हम अपने सहयोगियों के साथ साझेदारी करते हैं, तो भी हमें इसका सामना करना पड़ता है।
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Published on:
19 Jan 2025 11:18 am
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