
Balochistan
Balochistan issue: पाकिस्तान में बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने जाफर एक्सप्रेस ट्रेन हाइजैक करने जैसा कदम उठाया, जो उनकी ओर से एक बड़ा संदेश देने के लिए था। इसके पीछे उनके कुछ प्रमुख कारण हो सकते हैं। बीएलए के लिए यह एक तरीका था, जिससे वह अपनी समस्याओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उजागर कर सके। ट्रेन हाइजैक जैसी घटना मीडिया में सुर्खियों में आई है, और इसके माध्यम से वे अपनी मांगों को दुनिया के सामने लाए हैं। ट्रेन हाइजैक होने के कदम के जरिए बीएलए ने पाकिस्तान सरकार को चुनौती दी है और यह संदेश दिया है कि वह बलूचिस्तान के मुद्दा हल करने के लिए गंभीर नहीं है। उनका मानना है कि इससे वे पाकिस्तान के खिलाफ अपने प्रतिरोध को और भी मजबूत कर सकते हैं।
बीएलए ने यह चेतावनी दी है कि यदि पाकिस्तान बलूचिस्तान में सैन्य कार्रवाई करता है तो इसके परिणामस्वरूप उनके पास और भी हिंसक और कठोर कदम उठाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। ट्रेन हाइजैक से उन्होंने यह भी दिखाया है कि वे अपनी ताकत और प्रभाव का इस्तेमाल करने में सक्षम हैं।
बलूचिस्तान, जो आज पाकिस्तान का एक प्रमुख प्रांत है, पहले एक स्वतंत्र राज्य था। जब ब्रिटिश साम्राज्य ने भारतीय उपमहाद्वीप को विभाजित किया, तो बलूचिस्तान भी एक स्वतंत्र राज्य के रूप में अस्तित्व में था। सन 1947 में भारत और पाकिस्तान के विभाजन के समय, बलूचिस्तान का पाकिस्तान के साथ विलय किया गया था। हालांकि, बलूचिस्तान का पाकिस्तान में विलय कुछ विवादास्पद था, और इसके बाद से बलूच लोग इसे एक जबरदस्ती का विलय मानते हैं। बलूचिस्तान को पाकिस्तान का हिस्सा बनाने के बाद से वहां के लोग स्वतंत्रता की मांग करते रहे हैं। उल्लेखनीय है कि बलूचिस्तान की अनुमानित आबादी लगभग करोड़ एक 20 लाख के आसपास है, जो पाकिस्तान की कुल आबादी का लगभग 5-6% है। इस राज्य की आबादी में बलूच, पठान, पंजाबी, और अन्य जातीय समूह शामिल हैं।
पाकिस्तान में बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) एक अलगाववादी संगठन है और इसका मानना है कि यह पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में अपनी अपनी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग कर एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना करना है। BLA का मानना है कि पाकिस्तान बलूचिस्तान की प्राकृतिक संसाधनों का शोषण कर रहा है, और वहां के लोग राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से उपेक्षित हैं।
—बीएलए BLA की सबसे बड़ी मांग बलूचिस्तान का पाकिस्तान से अलग होकर एक स्वतंत्र राज्य बनाना है। वे यह मानते हैं कि पाकिस्तान ने बलूचिस्तान पर कब्जा किया है और वहां के लोगों को उनके अधिकारों से वंचित किया गया है।
—बलूचिस्तान के पास बड़ी मात्रा में प्राकृतिक संसाधन हैं, जैसे गैस, तेल, और खनिज हैं, लेकिन बीएलए का आरोप है कि पाकिस्तान इन संसाधनों का लाभ उठाता है, जबकि बलूच लोगों को इसके लाभ से वंचित रखा जाता है।
—बीएलए का यह भी दावा करता है कि पाकिस्तान बलूच संस्कृति और पहचान को दबा रहा है, और बलूच लोगों को उनकी सांस्कृतिक और भाषाई पहचान से वंचित किया जा रहा है।
आजकल बलूचिस्तान पाकिस्तान का एक प्रांत है, और यहां पाकिस्तान सरकार का शासन है। पाकिस्तान के संविधान के अनुसार बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री और विधानसभा होते हैं, लेकिन वास्तविक शक्ति पाकिस्तान की केंद्र सरकार और सेना के हाथों में रहती है। बलूचिस्तान में पाकिस्तान के सैन्य बलों का भी बहुत प्रभाव है, और वहां के लोग अक्सर कहते हैं कि उनकी स्वतंत्रता और अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।
पाकिस्तान बलूचिस्तान को अपना अभिन्न हिस्सा मानता है और बलूच अलगाववादियों की स्वतंत्रता की मांग को अवैध और आतंकवादी गतिविधि मानता है। पाकिस्तान सरकार बलूचिस्तान में बलूच लोगों की स्वतंत्रता की मांग दबाने के लिए सैन्य कार्रवाई करती रहती है, और कई बार मानवाधिकारों के उल्लंघन की रिपोर्ट्स भी आई हैं। पाकिस्तान का रुख स्पष्ट है कि वह बलूचिस्तान को अपने एक हिस्से के रूप में रखना चाहता है और वहां के लोगों की स्वतंत्रता की मांग समाप्त करना चाहता है।
भारत ने बलूचिस्तान के मुद्दे पर समय-समय पर पाकिस्तान की आलोचना की है और बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन का मुद्दा उठाया है। भारत ने कई बार कहा है कि बलूचिस्तान के लोग पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं और उनके अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए। भारत ने हिंसा का समर्थन नहीं किया है, लेकिन वह मानवाधिकार समर्थक है। भारत का रुख पाकिस्तान के खिलाफ एक कूटनीतिक दृष्टिकोण है, लेकिन भारत सरकार ने कभी यह नहीं कहा कि वह बलूचिस्तान को स्वतंत्र बनाने के लिए सीधे तौर पर हस्तक्षेप करेगा।
Updated on:
11 Mar 2025 10:06 pm
Published on:
11 Mar 2025 08:12 pm
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