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Devshayani Ekadashi 2025 Date: इस डेट को सो जाएंगे देव, फिर शुभ काम के लिए चातुर्मास बीतने का करना होगा इंतजार, जानें शुभ योग

Harishayani Ekadashi Kab Hai: हरिशयनी एकादशी से भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं और शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। ऐसे में आइये जानते हैं देवशयनी एकादशी कब है, देवशयनी एकादशी पर शुभ योग क्या बन रहे हैं

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भारत

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Pravin Pandey

Jul 01, 2025

Devshayani Ekadashi 2025 Date

Harishayani Ekadashi Kab Hai: हरिशयनी एकादशी कब है (फोटो क्रेडिटः Pixabay)

Devshayani Ekadashi 2025 Date: आषाढ़ माह के शुक्लपक्ष की एकादशी देवशयनी एकादशी के नाम से जानी जाती है। पुराणों के अनुसार इस दिन से चार माह तक भगवान विष्णु योग निद्रा में रहते हैं यानी सो जाते हैं।

इसी के साथ मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं और फिर कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी देवउठनी एकादसी को भगवान विष्णु की योग निद्रा पूर्ण होती है। इसके बाद मांगलिक कार्य शुरू होते हैं। यानी देवशयनी एकादशी से 4 माह शुभ काम के लिए इंतजार करना होगा। आइये जानते हैं देवशयनी एकादशी 2025 कब है और इसका महत्व क्या है।


कब है देवशयनी एकादशी 2025 (Harishayani Ekadashi Kab Hai)

पंचांग के अनुसार देवशयनी एकादशी इस साल जुलाई में है। इस एकादशी से विष्णु भगवान शयन को चले जाएंगे और चार महीने बाद यानी चातुर्मास 2025 के बाद देवउठनी एकादशी के दिन जागेंगे। ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार इस साल देवशयनी एकादशी रविवार, 6 जुलाई 2025 को पड़ेगी। इसलिए मांगलिक कार्य 6 जुलाई तक ही किए जाएंगे।


हरिशयनी एकादशी का आरंभः शनिवार 5 जुलाई को शाम 6:58 बजे से
हरिशयनी एकादशी का समापनः 6 जुलाई को रात 9:14 बजे तक
देवशयनी एकादशीः उदया तिथि के अनुसार 6 जुलाई को ही हरिशयनी एकादशी व्रत रखा जाएगा।

देवशयनी एकादशी शुभ योग

आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर साध्य योग का संयोग रात 09:27 मिनट तक है। इसके बाद शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से सभी प्रकार के शुभ कामों में सफलता मिलेगी। इसके साथ ही त्रिपुष्कर योग और रवि योग का भी संयोग बन रहा है।

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4 माह तक ये मांगलिक कार्य नहीं होंगे

देवशयनी एकादशी 2025 के बाद से मांगलिक कार्य जैसे यज्ञोपवीत संस्कार, विवाह, दीक्षाग्रहण, यज्ञ, गृहप्रवेश नहीं किए जाते हैं। इन चार महीनों यानी चातुर्मास में कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।

मान्यता है कि चातुर्मास आरंभ होते ही भगवान विष्णु धरती का कार्य भगवान शिव को सौंपकर खुद विश्राम के लिए चले जाते हैं। इसीलिए इस दौरान शिव आराधना का भी बहुत महत्व है। सावन का महीना भी चातुर्मास में ही आता है। इसलिए इस महीने में शिव की अराधना शुभ फल देती है।

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नहीं बजेगी शहनाई

ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार चतुर्मास 2025 का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार चतुर्मास आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से शुरू होकर कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि तक रहता है। साल 2025 में चतुर्मास 6 जुलाई से शुरू होगा। इस दिन देवशयनी एकादशी भी है। 1 नवंबर को देवोत्थान एकादशी है। कहा जाता है कि इस दिन से भगवान विष्णु विश्राम काल पूरा करने के बाद क्षीर सागर से निकल कर सृष्टि का संचालन करते हैं।