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Diwali 2024: इस डेट पर दिवाली मनाने पर दुर्भाग्य छाने का डर, इन 4 विद्वानों ने जताई शंका, जानें सही डेट

Diwali 2024 Confirm date: दिवाली 2024 का कंफ्यूजन दूर होता नजर आ रहा है। उज्जैन के 3 विद्वानों ने स्कंद पुराण के नियमों पर दीपावली 2024 डेट का कंफ्यूजन दूर कर दिया है। वहीं उन्होंन चिंता भी जताई है कि नियमों की अनदेखी कहीं दुर्भाग्य को न्योता न दे। आइये जानते हैं दिवाली 2024 की पक्की डेट ...

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Diwali 2024 Confirm date

Diwali 2024 Confirm date: दिवाली 2024 कब है

Diwali 2024 Confirm date: सनातन धर्म के अनुसार किसी भी धार्मिक या आध्यात्मिक आयोजन की तिथि और विधि का निर्धारण वेद, स्मृति और पुराणों के आधार पर किया जाता है। इन शास्त्रों में स्पष्ट रूप से त्योहारों की तिथियां और उनके पालन की विधियां बताई गई हैं। विशेष रूप से दीपावली जैसे पर्वों के संदर्भ में स्कंद पुराण, जो कि सनातन धर्म के प्रमुख पुराणों में से एक है, दीपावली के पूजन का सही समय बताता है।

इंदौर के कृष्णा गुरुजी ने बताया स्कंद पुराण के वैष्णव खंड, कार्तिक महात्म्य के अध्याय 9, 10 और 11 में स्वयं भगवान ब्रह्माजी ने दीपावली पूजन के लिए त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या के संगव काल (संधि काल) को श्रेष्ठ समय बताया है। इस संगव काल में लक्ष्मी पूजन से अधिकतम लाभ और समृद्धि प्राप्त होती है।

अमावस्यायुक्त प्रतिपदा पर पूजन वर्जित

पुराणों में यह स्पष्ट रूप से वर्णित है कि यदि अमावस्या के साथ प्रतिपदा का थोड़ा भी योग हो, तो उस समय लक्ष्मी पूजन वर्जित होता है। ऐसा पूजन लक्ष्मी का नाश और दुर्भाग्य का कारण बन सकता है। स्कंद पुराण के अनुसार, अमावस्या युक्त प्रतिपदा पर मांगलिक कार्य और पूजन का निषेध किया गया है। इसलिए, दीपावली का पूजन तब करना चाहिए जब अमावस्या का शुद्ध समय हो और प्रतिपदा का योग ना हो।

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पंचांग की सीमाएं और शास्त्रों की महत्ता

पंचांग का उपयोग जानकारी के लिए किया जाता है, लेकिन धर्म और पूजन के निर्णय केवल वेद, स्मृति और पुराणों के आधार पर किए जाते हैं।

व्यक्तिगत पंचांग या लेखों के आधार पर निर्णय लेने से बचना चाहिए। शास्त्रों में दी गई व्यवस्थाएं ही सर्वमान्य होती हैं और इन्हें प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इस वर्ष 31 अक्टूबर को ही दीपावली का पूजन करना शास्त्रों के अनुसार उचित है। स्कंद पुराण के अनुसार, अमावस्या युक्त प्रतिपदा पर लक्ष्मी पूजन का निषेध है, इसलिए सही तिथि का चयन करते हुए, शास्त्र-सम्मत मार्ग पर चलकर 31 को दीपावली पूजन करें और लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त करें।

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यह कहना है ज्योतिषाचार्य का

ज्योतिर्विद पं. आनंदशंकर व्यास ने बताया कि चौदस और अमावस 31 अक्टूबर को रहेगी, वहीं 1 नवंबर को दोपहर 3.45 बजे तक अमावस्या मानी जाएगी। इसके बाद एकम तिथि लग जाएगी, क्योंकि तिथि बदल जाने के बाद मां लक्ष्मी का पूजन करना उचित नहीं होगा, इसलिए 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाना चाहिए।


ज्योतिषाचार्य पं अमर डब्बावाला का कहना है 31 तारीख को ही मां लक्ष्मी का पूजन करना उचित है, क्योंकि काल गणना और ज्योतिष विधि के अनुसार 31 को ही अमावस्या होना माना जा रहा है। 1 नवंबर को शाम होने से पहले ही अमावस्या खत्म हो जाएगी।


ज्योतिषाचार्य अजयशंकर व्यास का कहना है, हिंदू धर्म में 5 दिन दीपोत्सव मनाने की परंपरा है। इस अनुसार 31 को दीपावली मनाना श्रेष्ठकर होगा, 1 नवंबर को दोपहर बाद अमावस्या खत्म हो जाएगी इसलिए 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाई जाए।


डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।