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  गृहस्थों को नहीं रखना चाहिए ये 8 व्रत, जानिए क्यों 

वैष्णव को उदियातिथि का व्रत है विशेष फलदायी, देवशयनी और देव प्रबोधिनी के लिए हैं खास नियम

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Prem Shankar Tiwari

Jan 07, 2017

Ekadashi fasting importance and Dates

Ekadashi fasting importance and Dates

जबलपुर। वर्ष 2017 में भी 26 एकादशियों का व्र्रत रखा जाएगा। 8 एकादशी व्रत ऐसे हैं जिनमें गृहस्थ को व्रत करने की मनाही है। चतुर्मास के दौरान नियम कठिन होने से व्रत न करने की बात धर्मग्रंथों में मिलती है। पुराण के जान जबलपुर निवासी पंडित ओंकार दुबे ने बताया कि पद्म पुराण के अनुसार सभी उपवासों में एकाद्शी व्रत श्रेष्ठतम कहा गया है। जैसे सितारों से झिलमिलाती रात में पूर्णिमा के चांद की होती है। इस व्रत को रखते वाले व्यक्ति को अपने चित, इंद्रियों, आहार और व्यवहार पर संयम रखना होता है. एकाद्शी व्रत का उपवास व्यक्ति को अर्थ-काम से ऊपर उठकर मोक्ष और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। वैष्णव को उदिया तिथि का व्रत फलदायी है।


तीन दिनों का है व्रत

शास्त्री पं. रामकिशोर मिश्रा ने बताया कि एकादशी उपवास तीन दिनों तक चलता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि अगले दिन पेट में भोजन का कोई अवशेष न रहे श्रद्धालु उपवास के एक दिन पहले केवल दोपहर में भोजन करते हैं। एकादशी के दिन श्रद्धालु कठोर उपवास रखते हैं और अगले दिन सूर्योदय के बाद ही उपवास समाप्त करते हैं। एकादशी उपवास के समय सभी तरह के अन्न का भोजन करना वर्जित होता है। श्रद्धालु अपनी मनोशक्ति और शरीर की सामर्थ के अनुसार पानी के बिना, केवल पानी के साथ, केवल फलों के साथ अथवा एक समय सात्विक भोजन के साथ उपवास को करते हैं।

Ekadashi fasting importance and Dates

यह है व्रत की तिथियां

08जनवरी(रविवार) पौष पुत्रदा एकादशी
09जनवरी(सोमवार)वैष्णव पौष पुत्रदा एकादशी
23जनवरी(सोमवार)षटतिला एकादशी
07फरवरी(मंगलवार)जया एकादशी
22फरवरी(बुधवार)विजया एकादशी
08मार्च(बुधवार)आमलकी एकादशी
24मार्च(शुक्रवार)पापमोचिनी एकादशी
07अप्रैल(शुक्रवार)कामदा एकादशी
22अप्रैल(शनिवार)बरूथिनी एकादशी
23अप्रैल(रविवार)वैष्णव बरूथिनी एकादशी
06मई(शनिवार)मोहिनी एकादशी
22मई(सोमवार)अपरा एकादशी
05जून(सोमवार)निर्जला एकादशी
20जूनमंगलवार)योगिनी एकादशी
04जुलाई(मंगलवार)देवशयनी एकादशी
19जुलाई(बुधवार)कामिका एकादशी
20जुलाई(बृहस्पतिवार)वैष्णव कामिका एकादशी
03अगस्त(बृहस्पतिवार)श्रावण पुत्रदा एकादशी
18अगस्त(शुक्रवार)अजा एकादशी
02सितम्बर(शनिवार)परिवर्तिनी एकादशी
16सितम्बर(शनिवार)इन्दिरा एकादशी
01अक्टूबर(रविवार)पापांकुशा एकादशी
15अक्टूबर(रविवार)रमा एकादशी
31अक्टूबर(मंगलवार)देवुत्थान एकादशी
14नवम्बर(मंगलवार)उत्पन्ना एकादशी
30नवम्बर(बृहस्पतिवार)मोक्षदा एकादशी
13दिसम्बर(बुधवार)सफला एकादशी
29दिसम्बर(शुक्रवार)पौष पुत्रदा एकादशी

अधिक मास में बढ़ता है व्रत

प्रत्येक वर्ष में बारह माह होते है. और एक माह में दो एकादशी होती है। अमावस्या से ग्यारहवीं तिथि, एकाद्शी तिथि, शुक्ल पक्ष की एकाद्शी कहलाती है। इसी प्रकार पूर्णिमा से ग्यारहवीं तिथि कृष्ण पक्ष की एकाद्शी कहलाती है. इस प्रकार हर माह में दो एकाद्शी होती है। जिस वर्ष में अधिक मास होता है। उस साल दो एकाद्शी बढने के कारण 26 एकाद्शी एक साल में आती है. यह व्रत प्राचीन समय से यथावत चला आ रहा है. इस व्रत का आधार पौराणिक, वैज्ञानिक और संतुलित जीवन है।

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एकाद्शी व्रत के फल

एकाद्शी का व्रत जो जन पूर्ण नियम, श्रद्धा व विश्वास के साथ रखता है, उसे पुण्य, धर्म, मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस उपवास के विषय में यह मान्यता है कि इस उपवास के फलस्वरुप मिलने वाले फल अश्वमेघ यज्ञ, कठिन तपस्या, तीर्थों में स्नान-दान आदि से मिलने वाले फलों से भी अधिक होते है। यह उपवास, उपवासक का मन निर्मल करता है, शरीर को स्वस्थ करता है, ह्रदय शुद्ध करता है, तथा सदमार्ग की ओर प्रेरित करता है. तथा उपवास के पुन्यों से उसके पूर्वज मोक्ष प्राप्त करते है।

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इस लिए नहीं रखने 8 व्रत

पंडित मिथलेश द्विवेदी के अनुसार चतुर्मास के दौरान कठिन नियमों का पालन करना होता है। इस दौरान ब्रम्हचर्य, भूमिशयन प्रमुख हैं। इसके साथ ही कई खाद्य पदार्थों का परित्याग करना होता है। गृहस्थ में कई ऐसे काम हैं जिनका पालन हो पाना संभव नहीं हो पाता। इसलिए हो सके तो व्रत को न किया जाए। जो करने में सामथ्र्य रखते हैं उनके लिए मनाही नहीं है।

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