
Airtel Satellite Internet (Image: Gemini)
Airtel Satellite Internet: विदेशी धरती, चारों तरफ तबाही का मंजर और बाढ़ के पानी में डूबे शहर… श्रीलंका इन दिनों इतिहास की सबसे भीषण प्राकृतिक आपदाओं में से एक का सामना कर रहा है। चक्रवात दितवा (Cyclone Ditwah) के बाद वहां हालात ऐसे बिगड़े कि जमीन पर मौजूद इंसान तो क्या, संचार के साधन भी घुटने टेक गए। जब मोबाइल टावर डूब गए और ऑप्टिकल फाइबर लाइनें बह गईं, तब वहां भारतीय सेना संकटमोचक बनकर पहुंची।
लेकिन इस बार सेना के पास सिर्फ राशन और दवाइयां ही नहीं थीं, बल्कि उनकी पीठ पर था देश की दिग्गज टेलीकॉम कंपनी एयरटेल (Airtel) का वो तकनीकी कवच, जिसने आपदा के बीच हजारों जिंदगियां बचाने में अहम भूमिका निभाई है।
श्रीलंका में भारतीय सेना ऑपरेशन सागर बंधु चला रही है। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि जिस इलाके में सब कुछ तबाह हो चुका हो, वहां राहत कार्य कैसे चले? बिना नेटवर्क के न तो मरीजों की जानकारी भेजी जा सकती थी और न ही डॉक्टरों से संपर्क हो पा रहा था।
यहां एंट्री हुई भारती एयरटेल और उसकी पार्टनर यूटेलसैट वनवेब (Eutelsat OneWeb) की। उन्होंने भारतीय सेना को लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट कनेक्टिविटी से लैस कर दिया। आसान शब्दों में कहें तो, यह इंटरनेट जमीन पर लगे टावरों से नहीं, बल्कि सीधे अंतरिक्ष में घूम रहे सैटेलाइट्स से आता है। नतीजा यह हुआ कि जहां श्रीलंका के लोकल नेटवर्क ठप पड़े थे, वहां भारतीय सेना का कम्युनिकेशन सिस्टम 5G की रफ्तार से दौड़ रहा था।
इस सैटेलाइट टेक्नोलॉजी का सबसे मार्मिक और प्रभावी इस्तेमाल अस्पतालों में देखने को मिला। टेलीकॉम टॉक की रिपोर्ट के मुताबिक, सेना ने बाढ़ ग्रस्त इलाकों में फील्ड हॉस्पिटल बनाए हैं।
एयरटेल के सैटेलाइट इंटरनेट की बदौलत, वहां मौजूद सेना की मेडिकल टीम भारत या अन्य सुरक्षित स्थानों पर बैठे बड़े स्पेशलिस्ट डॉक्टरों से वीडियो कॉल पर जुड़ सकी। इसे टेलीमेडिसिन कहते हैं। सोचिए, एक मरीज जो बाढ़ में फंसा है, उसका इलाज एक ऐसे एक्सपर्ट डॉक्टर की देखरेख में हो रहा है जो वहां से हजारों किलोमीटर दूर बैठा है। यह सब उस निर्बाध इंटरनेट कनेक्टिविटी के कारण संभव हुआ।
आपदा में यही है भविष्य की तकनीक यूटेलसैट वनवेब की वाइस प्रेसिडेंट नेहा इदनानी बताती हैं कि संकट के समय संचार ही लाइफलाइन होती है। हमें गर्व है कि हम भारतीय सेना के इस मानवीय मिशन में तकनीकी मदद दे पा रहे हैं।
यह घटना भारत के लिए भी एक बड़ा सबक और उम्मीद है। हमारे देश में भी अक्सर बाढ़ और तूफान में मोबाइल नेटवर्क सबसे पहले जवाब दे जाते हैं। ऐसे में यह सैटेलाइट इंटरनेट तकनीक भविष्य में केदारनाथ या वायनाड जैसी त्रासदियों के दौरान गेमचेंजर साबित हो सकती है। उम्मीद है कि 2026 तक यह सर्विस भारत के आम लोगों के लिए भी शुरू हो जाएगी।
फिलहाल, श्रीलंका में भारतीय सेना और भारतीय तकनीक का यह जुगलबंदी दुनिया के लिए एक मिसाल बन गई है।
Published on:
15 Dec 2025 11:47 pm
बड़ी खबरें
View Allटेक्नोलॉजी
ट्रेंडिंग
