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स्कूल बना तालाब, कैसे बनाएं भविष्य

जिला मुख्यालय से 5 किमी दूर स्थित राजाखेड़ी में बारिश के दिनों में दिया तले अंधेरा जैसी स्थिति बन गई है। जवाबदारों की अनदेखी से वर्षाकाल के दौरान यहां के प्राथमिक विद्यालय में अधिकांश समय ताला लगा रहता है। बुरी तरह जर्जर हो चुका यह स्कूल भवन बारिश में चारों ओर से पानी से घिर जाता है।

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Shajapur Desk

Jul 29, 2017

School Become pond, how to create a future

School Become pond, how to create a future

दुर्गेश शर्मा. आगर-मालवा
जिला मुख्यालय से 5 किमी दूर स्थित राजाखेड़ी में बारिश के दिनों में दिया तले अंधेरा जैसी स्थिति बन गई है। जवाबदारों की अनदेखी से वर्षाकाल के दौरान यहां के प्राथमिक विद्यालय में अधिकांश समय ताला लगा रहता है। बुरी तरह जर्जर हो चुका यह स्कूल भवन बारिश में चारों ओर से पानी से घिर जाता है। ऐसी दशा में बच्चे स्कूल जाने से भी डरते हैं। सम्पन्न ग्रामीणों ने तो अपने बच्चों को निजी स्कूलो में भर्ती करा दिया लेकिन आर्थिक स्थिति से कमजोर ग्रामीणों के बच्चे वर्षाकाल की अवधि में पढऩे से वंचित रहते हैं।



बड़ौद विकासखंड के ग्राम पंचायत कुलमड़ी के ग्राम राजाखेड़ी जुनार में एक मात्र प्रावि स्कूल ही है। यहां के इस स्कूल की स्थिति काफी दयनीय है। यह स्कूल जर्जर तो है ही सही साथ ही हर साल बारिश के दौरान यह स्कूल बंद रहता है। स्कूल के हर भवन में पानी भरा रहता है। शुक्रवार को भी इस स्कूल मे कुछ ऐसी ही स्थिति निर्मित हो गईथी। दो दिनों से हो रही बारिश के कारण यहां पर स्कूल भवन के अंदर पानी घुस गया व अंदर से पूरा स्कूल तालाब बन गया। बच्चे रोजाना की तरह स्कूल तो आए लेकिन अंदर पानी होने के कारण पढ़ नही पाए।
शिक्षक भी अपने समय पर स्कूल में पहुंच गए लेकिन वो भी यहां की स्थिति के कारण मजबूर होकर स्कूल में ताले लगाकर अपने घर को चल दिए। ग्रामीणों ने बताया कि यह स्थिति आज नहीं बनी है।हर साल इस स्थिति का सामना करना पड़ता है। कईबार जवाबदारो को लिखित व मौखिक शिकायत की लेकिन आज तक इस स्कूल का उद्धार नहीं हो पाया।
अधिकतर बच्चे पढ़ रहे प्राइवेट में
वर्ष1988 मे इस स्कूल भवन को बनाया गया था। दीवारें इतनी जर्जर हो गई कि इनमें से पानी टपकने लगा। यहां पर पहले काफी संख्या में बच्चे पढ़ते थे लेकिन हर साल यह समस्या आने के कारण अभिभावकों ने इस स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाने से ही तौबा कर लिया। इस गांव के अधिकांश बच्चे प्रायवेट स्कूलो मे पढऩे जाते है। अभी फिलहाल इस स्कूल मे 60 से अधिक बच्चे दर्ज है।
पंचायत ने भी की थी शिकायत
जर्जर भवन और बारिश के दौरान पानी घुसने को लेकर पंचयात ने भी शिक्षा विभाग को लिखित मे शिकायत कर अवगत करा दिया था कि यह भवन जर्जर है। यहां पर नया प्रावि भवन बनाया जाए लेकिन इसके बाद भी शिक्षा विभाग के कानों पर जूं तक नही रेंगी।
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अतिरिक्त कक्ष पर जाने का रास्ता नहीं
इस गांव मे प्रावि का एक अतिरिक्त कक्ष है। लेकिन वहां तक जाने के लिए सही रास्ता ही नहीं है। गांव से करीब 200 मीटर की दूरी पर अतिरिक्त कक्ष का निर्माण कर रखा है। सामान्य दिनों में ग्रामीण उस रास्ते को शौच करने के रूप में इस्तेमाल करते हैं। बारिश के दौरान इस मार्ग पर एक नाला होने के कारण वहां जाना भी बच्चों के लिए नामुमकिन है।
शौचालय भी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में
यहां पर स्कूल भवन के अलावा शौचालयों की स्थिति भी काफी चिंताजनक है। शौचालय के दरवाजे क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। कही शौचालयो पर छत ही नहीं है। लड़के तो जैसे-तैसे शौचालय का उपयोग कर लेते है लेकिन लड़कियों को यहां काफी समस्यां का सामना करना है।
जर्जर स्कूल भवन के संबंध में कई बार पंचायत के माध्यम से वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है इस प्रकार की स्थिति प्रतिवर्ष निर्मित होती है। स्कूल पानी से घिर जाता है।
घनश्याम मेघवाल, सहायक सचिव, राजाखेड़ी पंचायत