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इटारसी. दो महीने पहले दो जुलाई को वृहद पौधरोपण हुआ था। इस पौधरोपण में महागोलमाल हुआ है। जनपद पंचायत के अधिकारी पौधरोपण पर हुए खर्च का ब्योरा देने से बच रहे हैं। पत्रिका की पड़ताल में ऐसे तथ्य सामने आए हैं जो घोटाला होने का प्रमाण हैं। सबसे बड़ा प्रमाण तो यह है कि जनपद ने अमरूद के २५ हजार पौधे २० रुपए ज्यादा में खरीदे और उन पर ५ लाख रुपए अतिरिक्त खर्च कर दिया।
वृहद पौधरोपण के तहत पूरे केसला जनपद में १ लाख ७५ हजार पौधों का रोपण किया जाना था। पौधों का रोपण किया गया है लेकिन इसकी गिनती में भारी गड़बड़ी है। जमीनी हकीकत यह है इतने पौधे लगे ही नहीं है। जो पौधे लगाए गए थे उसमें से अधिकांश नष्ट हो चुके हैं जबकि शासन से मिली राशि पूरी खर्च हुई है।
यहां से बुलाए गए पौधे : हरदा के कुही ग्वाड़ी और झाबुआ के बिछुआ भारत माता नर्सरी से।
यह है घोटाले के प्रमाण - जनपद सदस्य अजय महालहा ने बताया कि शिक्षा विभाग ने जो अमरूद के पौधे मात्र रुपए १५ रुपए नग में खरीदे हैं वही पौधा जनपद पंचायत में प्रति नग ३५ रुपए में खरीदा गया है। जनपद पंचायत ने अमरूद के २५ हजार पौधे खरीदे गए हैं। मतलब २५ हजार पौधे खरीदने पर ५ लाख रुपए ज्यादा खर्च हुए हैं।
जनपद पंचायत में १ सितंबर को एक बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में पौधरोपण का मुद्दा जनपद सदस्य मनोज गुलबांके ने उठाया था। उस समय पौधरोपण के प्रभारी एनपी मेहर ने जानकारी दी थी कि पूरे पौधे लगा दिए गए हैं। जब पौधरोपण पर हुए खर्च का लेखा-जोखा मांगा गया तो उपलब्ध नहीं कराया गया। इस बैठक के दो-तीन दिन बाद अचानक रातोंरात १२ हजार पौधे बुलवाकर मंगलभवन में रखवा दिए जो ताले में बंद हैं।
वृहद पौधरोपण के तहत पौधरोपण का जिम्मा पौध रक्षकों को सौंपा गया था। पौधरक्षक की जिम्मेदारी थी कि वह मनरेगा के तहत मजदूरों से काम कराएं और फिर मजदूरों के जॉब कार्ड और खाता नंबर ग्राम पंचायत के सचिव को दे। इसके बाद काम करने वाले मजदूरों को इसका भुगतान किया जाए लेकिन पौधरक्षकों को पता ही नहीं है कि कितनी राशि खर्च हुई और किसे कितना भुगतान किया गया। इसका सीधा सा अर्थ यह है कि अनियमितता हुई है।
पौधरोपण के लिए पौधे झाबुआ से मंगाए गए हैं जबकि होशंगाबाद जिले में अच्छी नस्ल के पौधे मिल सकते हैं।
Published on:
08 Sept 2017 07:06 pm
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