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आरटीई का असर, 15 हजार बच्चों ने छोड़ा सरकारी स्कूल

सरकारी स्कूलों से प्रतिवर्ष बच्चों की संख्या घटती जा रही है। सरकार सहित शिक्षा विभाग बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिले के लिए रिझाने की लाख कोशिशें कर ले लेकिन धरातल पर नतीजे सिफर साबित हो रहे हैं। 

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Shajapur Desk

Aug 01, 2017

RTE effect, 15 thousand children leave government

RTE effect, 15 thousand children leave government school

अरविंद दुगारिया. आगर-मालवा
सरकारी स्कूलों से प्रतिवर्ष बच्चों की संख्या घटती जा रही है। सरकार सहित शिक्षा विभाग बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिले के लिए रिझाने की लाख कोशिशें कर ले लेकिन धरातल पर नतीजे सिफर साबित हो रहे हैं। यहीं कारण है कि बच्चे सरकारी स्कूल में पढऩे से अब जी चुरा रहे हैं। सरकारी स्कूलों में नामांकन कम हो रहा है, जबकि क्षेत्र में निजी स्कूलों की भरमार होती चली जा रही है। जानकारों का मानना है कि सरकारी स्कूलों मे बच्चों का नामांकन कम होने का प्रमुख कारण आरटीई भी है।
जिले में सरकारी स्कूलों मे नामांकन स्थिति देखी जाए तो काफी चिंताजनक है। प्रतिवर्ष बड़ी संख्या मे सरकारी स्कूलों में नामांकन का स्तर घटता जा रहा है। पिछले चार वर्षों में करीब 20 हजार से अधिक बच्चो ने शासकीय स्कूलों मे पढऩा जरूरी नहीं समझा है। चार वर्ष पूर्व सत्र 2014-15 मे जिले के माध्यमिक तक के सरकारी स्कूलो में पढऩे वाले बच्चों की संख्या 62 हजार 283 थी। वही इस वर्ष जुलाई तक जिले के सरकारी स्कूलों में केवल यह 37 हजार 226 पर ही सिमट कर रह गई। वही सत्र 2015-16 मे नामांकन कम होते हुए 55 हजार 515 पर गया उसके बाद सत्र 2016-17 मे फिर बच्चों की संख्या मे कम हो गई बच्चों की संख्या जिले में 52 हजार 502 ही रह गई।
अभी भी जारी है प्रवेश प्रक्रिया
अभी सरकारी स्कूूलों में सितंबर माह तक प्रवेश प्रक्रिया चलेगी लेकिन शिक्षा विभाग के जानकारों के अनुसार सितंबरतक नाममात्र के बच्चों के ही प्रवेश हो पाते हैं। जिनको प्रवेश लेना होता हैवे जून-जुुलाई में ही प्रवेश ले लेते है।
&प्रतिवर्ष शिक्षा विभाग प्रयासकरना है कि सरकारी स्कूलों में नामांकन ज्यादा से ज्यादा हो, इस बार भी हमारे प्रयास जारी हैं। अभी 30 सितंबर तक बच्चों को प्रवेश दिलवाने के लिए सभी जगह पर शिक्षक जुटे हुए हैं।
केपी नायक, प्रभाारी डीईओ व डीपीसी

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