
बरेली। 1857 की क्रान्ति को अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ पहला स्वतन्त्रता संग्राम आंदोलन माना जाता है। 1857 की क्रान्ति में रुहेलखण्ड का भी विशेष योगदान है। रुहेला सरदार नवाब खान बहादुर खान और अन्य क्रांतिकारियों ने इस क्षेत्र में अंग्रेजों से सीधा मोर्चा लिया था उस दौर में नौमहला मोहल्ले में स्थित नौमहला मस्जिद क्रांतिकारियों का गढ़ थी और यहीं पर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ क्रांतिकारी रणनीति तैयार करते थे।
सैयद शाजी बाबा ने कराया था निर्माण
इस मस्जिद का निर्माण 1749 में सैयद शाजी बाबा ने कराया था जिसका पक्का निर्माण 1906 में हुआ। 1857 की क्रान्ति में इस मस्जिद में रुहेलखण्ड के क्रांतिकारी अक्सर एकत्र होते थे और अंग्रेजों के खिलाफ रणनीति तैयार करते थे।इन योजनाओं को बनाने में प्रमुख रूप से नवाब खान बहादुर खां, दीवान शोभाराम और बरेली कॉलेज के शिक्षक मौलवी महमूद अहसन, फारसी शिक्षक कुतुबशाह और कॉलेज के कई राष्ट्रवादी छात्र सम्मिलित होते थे। नवाब खान बहादुर खां व सूबेदार बख्त खां के मध्य कई मीटिंगों के बाद तय हो पाया कि अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांति की जानी है।
मस्जिद में हुई तकरीर से पड़ा बड़ा असर
बताया जाता है कि 22 मई 1857 को जुम्मे के दिन शिक्षक मौलवी महमूद अहसन ने मस्जिद में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ तकरीर की जिसका यहां की जनता पर गहरा प्रभाव पड़ा और अंग्रेजों के खिलाफ क्रान्ति की शुरुआत हुई।
शहीदों की कब्र है मस्जिद में
मस्जिद की देख रेख करने वाले कमाल साबरी ने बताया कि नौमहला मस्जिद क्रांतिकारियों का प्रमुख गढ़ था और यहां पर अंग्रेजों के खिलाफ रणनीति बनाई जाती थी इसकी जानकारी जब अंग्रेजी हुकूमत को हुई तो उन्होंने मस्जिद पर हमला कर दिया और यहां पर इस्माइल शाह को अजान देते समय शहीद कर दिया गया इसके साथ ही अंग्रेजों से अपनी अस्मत बचाने के लिए तमाम महिलाओं ने कुए में कूद कर जान दे दी।उन्होंने बताया कि तमाम क्रांतिकारियों को यहां दफनाया गया है लेकिन पक्की कब्र न होने की वजह से अब उनका कोई अभिलेख नहीं है।
Published on:
10 Aug 2017 06:06 pm
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