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Kargil Vijay Diwas: कारगिल में दुश्मनों को धूल चटाने वाले ये नायक, जरा याद करो कुर्बानी

locationआगराPublished: Jul 26, 2018 07:39:25 pm

Vijay Divas Celebration : 26 जुलाई 1999 की सुबह एक अजीब बैचेनी थी, लेकिन जैसे ही कारगिल विजय की खबर मिली, तो मानो पूरा देश झूम उठा।

Kargil Vijay Diwas

Kargil Vijay Diwas

आगरा। 26 जुलाई 1999 की सुबह एक अजीब बैचेनी थी, लेकिन जैसे ही कारगिल विजय की खबर मिली, तो मानो पूरा देश झूम उठा। इस जीत के लिए भारत मां के वीर सपूतों ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। आगरा के कई वीर भी इस जीत का हिस्सा बने। कारगिल में दुश्मनों को धूल चटा दी गई। देश के लिए जान देने वाले इन शहीदों को आगरावासियों पर गर्व है।

चटाई दुश्मनों को धूल
भारतीय सेना पर जब पाकिस्तान ने हमला किया, तो आगरा के जाबाज युवाओं को इस युद्ध के लिए चुना गया। इसमें गांव मलपुरा के 17 जाट रेजीमेंट के सिपाही धर्मवीर सिंह भी इस युद्ध में शामिल थे। धर्मवीर की शादी नहीं हुई थी। धर्मवीर कुछ साल पहले की सेना की जाट रेजीमेंट की 17 जाट में भर्ती हुए थे। खजान सिंह के पुत्र धर्मवीर सिंह ने 30 मई 1999 को शहादत पाई।
हसन की कुर्बानी भी यादगार
वहीं आगरा के लाल हसन मुहम्मद 22 ग्रेनेडियर्स के जीडीआर थे। गहर्राकलां निवासी इस अमर जवान ने बड़ी बहादुरी से दुश्मन का मुकाबला किया। 30 जून को इन्होंने शहादत पाई।
लांस नायक रामवीर सिंह 17 जाट रेजीमेंट से थे। गांव रिठौरी, खेरागढ़ निवासी लांस नायक ने दुश्मन की गोलियों का जमकर मुकाबला किया। सात जुलाई को दुश्मन से लड़ते लड़ते रामवीर शहीद हो गए।
मरणोपरांत मिला वीर चक्र
जाट रेजीमेंट के हवलदार कुमार सिंह की शहादत पर भी सभी को गर्व है। मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किए गए इस बहादुर ने सात जुलाई को वीरगति पाई थी। जाट रेजीमेंट के इस योद्धा की पत्नी बलवीरी को ये सम्मान दिया गया था। जाट रेजीमेंट के नायक श्यामवीर सिंह अकोला के रहने वाले थे और इन्होंने नौ जुलाई को वीरगति पाई। पांच पैरा रेजीमेंट के नायक जितेंद्र सिंह चौहान ने बड़ी बहादुरी से दुश्मन का मुकाबला किया था। 21 जुलाई को इन्होंने बलिदान दिया। मोहन सिंह राजपूत पांच पैरा रेजीमेंट में हवलदार थे। इनकी पत्नी ओमवती को सेना मेडल मरणोपरांत प्रदान किया गया था। इनकी शहादत 24 जुलाई, 1999 को हुई।
लेकिन वे हार गए मौत से
13 कुमाऊं रेजीमेंट में सिपाही उदय सिंह दुश्मन की गोलियों से छलनी हुए थे। रैपुराजाट निवासी इस सिपाही ने मौत का डटकर मुकाबला किया था। भारत तो Kargil war जीत गया, लेकिन चार सितंबर को ये सिपाही अपनी जंग हार गया।

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