
आगरा। आज यानी 26 जुलाई 2019 को भारत अपना Kargil Vijay Diwas मना रहा है। वर्ष 1999 में पाकिस्तानी सेना ने कारगिल में नियंत्रण रेखा पार कर भारत की सरजमीं पर कब्जा करने की कोशिश की थी। अपनी सरजमीं को पाकिस्तान के चंगुल से छुड़ाने के लिए भारतीय सेना ने दिन और रात एक कर दिया था। मई से लेकर जुलाई तक भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध चला। 26 जुलाई 1999 को भारत के वीर सपूतों ने पाकिस्तानी फौज को खदेड़कर अपना तिरंगा फहराया था। भारत की इसी जीत के उपलक्ष्य में हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज कारगिल विजय दिवस की 20वीं वर्षगांठ के मौके पर एक बार फिर उस याद को ताजा करते हैं और जानते हैं कि उस समय देश में कैसा माहौल था और आगरा का भारत—पाकिस्तान की इस जंग में क्या रोल था।
ऐसे थे देश के हालात
आगरा के वरिष्ठ पत्रकार राजीव सक्सेना उन दिनों की याद को ताजा कर बताते हैं कि Kargil war के दौरान हर भारतीय के मन में बस एक ही चाह थी कि भारत पाकिस्तान को धूल चटा दे। छोटी दुकानों से लेकर गली, मोहल्ले और चौराहों पर लोगों के बीच कारगिल युद्ध की ही चर्चा चलती रहती थी। देशभर से न जाने कितनी बहनों ने बॉर्डर पर तैनात सिपाहियों को राखियां भेजकर उनकी रक्षा के लिए कामना की थी। लोग हर समय टीवी पर नजर गड़ा कर बैठे रहते थे। उस समय शहीदों के पार्थिव शरीर लाने के लिए पहली बार एयरकंडीशन ताबूतों का इस्तेमाल किया गया था। शहीदों के पार्थिव शरीर हवाई जहाज से आया करते थे। जब भी किसी जवान का शव उसके शहर या गांव पहुंचता, हजारों की संख्या में लोग उसे सलामी देने पहुंच जाते थे। हर शख्स के मन में देशभक्ति की ज्वाला धधक रही थी।
Kargil War के दौरान आगरा डीआरडीओ ने बनाए थे एरोस्टेट
आगरा शहर की भूमिका को लेकर राजीव सक्सेना बताते हैं कि कारगिल युद्ध में आगरा ने भी अहम योगदान दिया था। उस समय आगरा डीआरडीओ ने ऐसे एरोस्टेट बनाए थे जिनमें कैमरे लगे हुए थे। युद्ध के समय इन्हें दुश्मन पर नजर रखने के लिए यहां से भेजा गया था। वहीं पैराब्रिगेड के कुछ ऑपरेशन आगरा से चले थे। भारतीय सेना की मदद के लिए आगरा के तमाम लोगों ने चंदा इकट्ठा करके भेजा था, वहीं नौकरीपेशा लोगों ने एक दिन की सैलरी सेना की मदद के लिए दान की थी।
आगरा में बनाया गया शहीद स्मारक
26 जुलाई 1999 को भारत ने पाकिस्तानी सेना को खदेड़कर अपनी सरजमीं को उनके चंगुल से छुड़ाया था और अपना तिरंगा फहराया था। उस समय लोगों के मन में देश की इस जीत की खुशी भी थी, लेकिन कहीं न कहीं अपने जाबांज जवानों को खोने का गम भी था। भारत की जीत के बाद आगरा के शहीद सपूतों की याद में शहीद स्मारक बनाया गया। नागरी प्रचारिणी सभा, तमाम स्कूलों व कॉलेजों में कई कार्यक्रम आयोजित हुए। तब से लेकर आज तक हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस को याद करके तमाम जगहों पर जवानों को श्रृद्धांजलि दी जाती है।
Updated on:
26 Jul 2019 12:58 pm
Published on:
26 Jul 2019 10:53 am
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