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kargil vijay diwas: छुट्टियों के बीच में ही युद्ध के लिए रवाना हुए हरिओम, छह दिन बाद आई शहादत की ख़बर

locationबदायूंPublished: Jul 26, 2019 11:32:52 am

Submitted by:

jitendra verma

Kargil vijay diwas के अवसर पर उन वीर सैनिकों को याद किया जा रहा है जिन्होंने देश की रक्षा के लिए दुर्गम पहाड़ियों पर अपनी जान गंवा दी।
कारगिल की लड़ाई में बदायूं जिले के हरिओम पाल भी शहीद हुए थे।
ऑपरेशन विजय में शहीद हुए हरिओम पाल सिंह को स्पेशल सर्विस मैडल मरणोपरांत मिला।
 
 

बदायूं। आज पूरा देश कारगिल विजय दिवस Kargil Vijay Diwas की 20वीं वर्षगांठ मना रहा है। इस अवसर पर उन वीर सैनिकों को याद किया जा रहा है जिन्होंने देश की रक्षा के लिए दुर्गम पहाड़ियों पर अपनी जान गंवा दी। इस लड़ाई में 500 से ज्यादा जवानों और अफसरों ने देश के लिए अपनी शहादत दी और वो सदा के लिए अमर हो गए। आज कारगिल विजय दिवस kargil vijay diwas के अवसर पर इन सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है। कारगिल की लड़ाई में बदायूं जिले के हरिओम पाल भी शहीद हुए थे। ऑपरेशन विजय operation vijay में शहीद हुए हरिओम पाल सिंह को स्पेशल सर्विस मैडल मरणोपरांत मिला।

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9 पैरा स्पेशल फोर्सेज में थे तैनात
बदायूं जिले की बिसौली तहसील के रहने वाले हरिओम पाल सिंह 9 पैरा स्पेशल फोर्सेज के जवान थे। हरिओम पाल सिंह कहते थे कि मैदान में आकर मैं मोटा हो जाता हूं और एक जवान को मोटा नहीं होना चाहिए। इसलिए उन्होंने पहाड़ों पर और शियाचिन जैसे जबरदस्त बर्फीले इलाके में सरहदों की हिफाजत करते हुए अपनी ज्यादातर ड्यूटी पूरी की। हरिओम पाल सिंह 19 दिसम्बर 1986 को फौज में भर्ती हुए थे। हरिओम पाल सिंह एक शानदार फौजी थे। उन्होंने तीन युद्ध लड़े ऑपरेशन रक्षक, ऑपरेशन मेघदूत और अपने अंतिम युद्ध ऑपरेशन विजय। 01 जुलाई 1999 में ऑपरेशन विजय के दौरान वे शहीद हो गए। ड्यूटी के दौरान उन्हें कई मैडल मिले थे, लेकिन स्पेशल सर्विस मैडल उन्हें मरणोपरांत मिला।
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2 जुलाई को आई खबर
हरिओम की पत्नी गुड्डी देवी ने बताया कि हरिओम सिंह कारगिल युद्ध से पूर्व छुट्टियां बिताने अपने गाँव इटौआ आए थे। छुट्टियों के बीच में ही अचानक कंपनी कमांडर की तरफ से फरमान आने के बाद उन्हें कारगिल युद्ध में जाना पड़ा। आदेश मिलते ही वह 26 जून 1999 को ड्यूटी पर रवाना हो गए। इसके बाद परिवार के लोगों से उनकी कभी कोई बात नहीं हो सकी। फिर 2 जुलाई को उनके शहीद होने की खबर पहुंची जिससे पूरा परिवार टूट गया। लेकिन भारत सरकार ने शहीद के परिवार को घर चलाने के लिए उन्हें बरेली के डीडीपुरम में पेट्रोल पंप दिया है जिसे उनकी पत्नी गुड्डी देवी और बेटा प्रताप संचालित करते हैं। अब शहीद हरिओम का परिवार बरेली में ही रहता है।

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