
यूपी में एक नया शहर बनने जा रहा है, यह शहर आगरा के पास यमुना एक्सप्रेसवे पर बनाया जायेगा। जानकारी के मुताबिक न्यू आगरा अर्बन सेंटर के नाम से जाना जाने वाला यह शहर 10,500 हेक्टेयर में निर्मित किया जाएगा, और ये आकार में नोएडा का आधा होगा। यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने एक मास्टर प्लान तैयार करने के लिए सलाहकारों को आमंत्रित किया है।
आगरा के पास ही नया शहर बसने और इंडस्ट्री लगने से आगरा के लोगों को रोजगार की तलाश में अपने घर से ज्यादा दूर नहीं जाना पड़ेगा। इस नए शहर में इंडस्ट्रीज यूनिट के साथ-साथ ट्रांसपोर्ट हब पर स्पेशल फोकस रहेगा। प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए 15 प्रतिशत जमीन ग्रीन बेल्ट के लिए रिजर्व होगी। बता दें कि ताजमहल की वजह से आगरा के आसपास किसी भी प्रदूषणकारी गतिविधि की इजाजत नहीं है ताकि स्मारक को नुकसान न पहुंचे। यही वजह है कि नए शहर केवल हरित उद्योगों को बढ़ावा दिया जा सकता है ताकि प्रदूषण के जोखिमों को नियंत्रित किया जा सके।
जेवर एयरपोर्ट के बनने के बाद नोएडा और आसपास के बड़े शहरों में कारोबार के अवसर बढ़ेंगे जिनमें आगरा भी शामिल है। ऐसे में रोजगार के लिए आकर्षित होने वाली जनसंख्या को अच्छी सुविधाओं वाले एक शहर की आवश्यकता होगी। यदि एक्सप्रेसवे पर नया शहर नहीं बसाया गया तो नोएडा और आगरा जैसे शहरों पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा जिससे इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी समस्याएं जन्म ले सकती हैं। इन्हीं सब बातों को मध्य नजर रखते हुए एक नए शहर के निर्माण की काफी ज्यादा जरूरत है।
YEIDA ने दिल्ली-NCR में आबादी के दबाव को कम करने के मकसद से मास्टर प्लान 2031 तैयार किया है। इस नए मास्टर प्लान के तहत ताज नगरी आगरा के निकट अधिसूचित क्षेत्र में 10,500 हेक्टेयर भूमि में नया शहर बसाने की तैयारी शुरू कर दी गई है।ताज नगरी के पास बसाया जाने वाला यह नया शहर अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगा। मास्टर प्लान-2031 में नए शहर की आबादी लगभग 11 लाख होने का आकलन किया गया है, और इसी को ध्यान में रखते हुए इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य योजनाएं तैयार की जाएंगी। साथ ही शहर के कुल क्षेत्रफल का सात प्रतिशत हिस्सा पर्यटन के लिए आरक्षित किया जाएगा।
आगरा के पास यमुना एक्सप्रेसवे पर बसाए जाने वाले इस शहर की 25 प्रतिशत जमीन को इंडस्ट्री के लिए आरक्षित किया जा सकता है, इसके अलावा आवासीय भूमि 20 प्रतिशत और व्यावसायिक भूमि 4 प्रतिशत तक रखी जा सकती है ट्रांसपोर्ट के लिए भी 13 प्रतिशत भूमि को आरक्षित रखे जाने का प्रावधान है,जैसा कि हमने पहले ही बताया, ग्रीन बेल्ट के लिए 15 प्रतिशत और पर्यटन के लिए 7 प्रतिशत भूमि आरक्षित रखी जा सकती है। बाकी की जमीन अन्य मदों में इस्तेमाल के लिए रखी जा सकती है
Published on:
05 Oct 2024 06:56 pm
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