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जर्मन फुटवियर कंपनी को चीन से भारत लाने में इस युवा कारोबारी का हाथ

आई ट्रिक कंपनी के सीईओ हैं आशीष जैन2015 में उन्होंने आई ट्रिक इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड की की थी शुरुआत

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जर्मन फुटवियर कंपनी को चीन से भारत लाने में इस युवा कारोबारी का हाथ

जर्मन फुटवियर कंपनी को चीन से भारत लाने में इस युवा कारोबारी का हाथ

आगरा. दुनियाभर में जूता बनाने के लिए मशहूर जर्मनी कंपनी कासा ऐवर जिम्ब जूता निर्यात का चीन से कारोबार समेटकर भारत लाएगी। हाल ही स्वदेशी जूता निर्यातक कंपनी आई ट्रिक और जर्मनी की कंपनी कासा ऐवर जिम्ब के बीच समझौता हुआ है। जल्द ही आगरा में ये कंपनी काम शुरू करेगी। भारत में इस कंपनी के आने से 10 हजार लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलने की उम्मीद है।

आगरा के हिस्से आयी इस उपलब्धि का श्रेय जाता है युवा कारोबारी आशीष जैन को। आशीष आगरा से ताल्लुक रखते हैं और आई ट्रिक कंपनी के सीईओ हैं। आगरा के सेंट पीटर्स स्कूल से 12वीं पास करने के बाद उन्होंने सेंट जॉन्स से बीकॉम की पढ़ाई की। इसके बाद आगे की शिक्षा के लिए बाहर चले गए। 2015 में उन्होंने आई ट्रिक इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत की। आशीष के मुताबिक कोविड 19 के मद्देनजर परेशानियों को देखते हुए पूरी दुनिया का व्यापार परिदृश्य बदल रहा है। इसी कारण जर्मनी कंपनी कासा ऐवर जिम्ब ने अपना चीन का बिजनेस भारत में लाने के लिए उनकी कंपनी के साथ करार किया है।

करार के मुताबिक आई ट्रिक कंपनी इस जर्मनी कंपनी का माल बनाएगी और उस माल पर क्वालिटी कंट्रोल जर्मन की कंपनी का ही रहेगा। आई ट्रिक कंपनी के मालिक फैक्ट्री को आगरा में ही लगाना चाहते हैं और भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार से सहयोग की अपेक्षा कर रहे हैं।

भारत में आई ट्रिक कंपनी पहले से ही इस जर्मनी कंपनी का माल वन विलेज जर्मन के नाम से बना रही है। आशीष का कहना है कि हमारी भविष्य की योजना है कि जर्मन सहायक उद्योग भारत में स्थापित हों ताकि जूता निर्माण में प्रयुक्त होने वाला कच्चा माल गुणवत्ता के साथ सुगमता से उपलब्ध हो सके। फिर विश्वस्तरीय बनाकर निर्यात कर सकें। बता दें कि फुटवियर क्षेत्र में यह पहला समझौता है जो जर्मन तकनीक और भारतीय जनसांख्यिकीय को ध्यान में रखकर किया गया है। इसमें मुख्य बात तकनीक की है, जो भारत में अभी तक उपलब्ध नहीं है। यह पूरी तरह से निर्यात इकाई है और इससे भारत के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। सुचिता मिश्रा