
ahoi ashtami katha
आगरा। अहोई अष्टमी का व्रत संतान के लिए रखा जाता है। लेकिन, इस बार 31 अक्टूबर 2018 को पड़ने वाली अहोई अष्टमी विशेष दैवीय शक्ति से युक्त पुष्य नक्षत्र से युक्त है, क्योंकि पुष्य नक्षत्र को 27 नक्षत्रों का राजा कहा जाता है और अहोई अष्टमी के दिन यह दैवीय शक्ति से युक्त नक्षत्र अर्ध रात्रि के बाद 2 बजकर 34 मिनट तक रहेगा जो विशेष महा सिद्धयोग बना रहा है अहोई अष्टमी के दिन और रात्रि में। ब्रज में अहोई अष्टमी का विशेष महत्व माना जाता है।
ऐसे रखा जाता है व्रत
पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि अहोई अष्टमी के व्रत की पूजा के दौरान अहोई माता से अपने बच्चों की रक्षा और उनकी लंबी आयु की कामना की जाती है। ये व्रत निर्जला होता है। इसमें महिलाएं पिछले रात के बारह बजे से उपवास शुरू कर देती हैं। वो पूरे दिन न तो कुछ खाती हैं, न ही पीती हैं। अहोई अष्टमी के व्रत का शुभ मुहूर्त के सन्दर्भ में बताते हुए कहा कि 31 अक्टूबर को अहोई अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:30 मिनट से लेकर शाम 7:01 मिनट तक है। जबकि तारों के उदय होने का समय शाम 6:20 मिनट एवं चंद्रमा के उदय होने का समय रात 11:50 मिनट पर है।
तारा देखकर खोलती हैं व्रत
पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि अहोई अष्टमी का व्रत रखने वाली महिलाएं रात में तारे देख कर व्रत खोलती हैं। कई महिलाएं चांद के भी दर्शन करती हैं। सभी अपने पारिवारिक मान्यता के अनुसार पूजा करते हैं। व्रत तोड़ते समय तारे व चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। यदि कभी मौसम साफ न हो तो व्रत रखने वाले लोग पूजा के मुहूर्त के अनुसार अपना व्रत खोलते हैं।वैदिक सूत्रम चेयरमैन भविष्यवक्ता पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि बृज क्षेत्र वृंदावन, मथुरा आदि जगहों पर अहोई अष्टमी को कृष्णाष्टमी भी कहते हैं। यह अहोई अष्टमी का दिन उन विवाहित जोड़ों के लिए विशेष खास होता है जिनके कोई संतान नही होती। ऐसे लोग अहोई अष्टमी के दिन मथुरा के राधा कुंड में डुबकी लगाते हैं। वे इस पवित्र सरोवर में सूर्योदय से पहले स्नान करते हैं। इससे उनके इस जन्म व पिछले जन्म के जाने अनजाने में किये गये गलत कर्म समाप्त हो जाते हैं और उन्हें जल्द ही संतान की प्राप्ति होती है।
महासिद्ध नक्षत्र
पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि सोभाग्य से इस बार अहोई अष्टमी के दिन और अर्ध्य रात्रि के बाद 2 बजकर 34 मिनट तक महा सिद्ध नक्षत्र पुष्य की उपस्थिति रहेगी जो निसंतान दम्पतियों के लिए राधा कुण्ड में स्नान व पूजा के लिए विशेष महासिद्ध योग है, इसलिए अहोई अष्टमी की रात्रि राधाकुण्ड व श्याम कुण्ड में स्नान व पूजा विशेष फलदायी व सिद्धिदायक होगी और श्री राधा कृष्ण की कृपा से सन्तान प्राप्ति का प्रबल योग बनेगा जिन दम्पतियों को वर्षों से सन्तान सुख की प्राप्ति नही हो पा रही है उनके लिए यह दिन विशेष है। क्योंकि वैदिक हिन्दू ज्योतिष शास्त्रों में कहा जाता है कि पुष्य नक्षत्र में की गई पूजा व व्रत उस कार्य की सिद्धि प्रदान करता है जिसकी वह व्यक्ति कामना करता है।
Published on:
29 Oct 2018 11:18 am
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