scriptअलका अग्रवाल के ‘बोलते चित्र’ में कविता का इत्र, यत्र-तत्र-सर्वत्र, देखें वीडियो | Alka agrawal Poetry book Released in youth hostel sanjay place agra | Patrika News
आगरा

अलका अग्रवाल के ‘बोलते चित्र’ में कविता का इत्र, यत्र-तत्र-सर्वत्र, देखें वीडियो

सुन मेरी प्यारी सजनी ताजमहल मैं तुझे दिखाऊं, तू बन जा मुमताज मेरी, शाहजहां मैं बन जाऊं।

आगराMay 18, 2019 / 01:01 pm

धीरेंद्र यादव

Alka agrawal

Alka agrawal

आगरा। काव्य संग्रह। बोलते चित्र। मुख पृष्ठ चित्रमय। हर कविता चित्रमय। हर चित्र चित्ताकर्षक। हर कविता आकर्षक। बाएं हाथ पर चित्र। दाएं हाथ पर कविता। कभी चित्र देखता हूं तो कभी कविता पढ़ता हूं। दिग्भ्रमित हो जाता हूं। कविता पढ़कर चित्र खींचा है या चित्र खींचकर कविता लिखी है। इसमें बचपन है, प्रेम है, विरह है, बादल है, बारिश है, सखी है, मां है, पिता है, बेटा है, बेटी है, देश है, बंधन है, तितली है, कछुआ है, अन्न है, गुलाब है, राजा है, फौजी है, प्यार है और फटकार है। आगरा की कवयित्री अलका अग्रवाल ने वाकई कमाल का काव्य संग्रह निकाला है। अलका अग्रवाल ‘आशु कवि’ हैं। हर किसी का कविता में चित्र खींचने की कला में सिद्धहस्त हैं।
आओ और करीब मेरे, धड़कन तुम्हें बुला रही है
बोलते चित्र का लोकार्पण यूथ हॉस्टल, संजय प्लेस में किया गया। मुझे भी एक बोलते चित्र की एक प्रति मिली। कार्यालय में आकर जब इसका अलोकन किया तो देखता ही रह गया। पहली कविता देखिए-
मत बांधो मां, पैरों में बेड़ियां, आगे मुझको बढ़ने दो
दे दे बस तुम एक अवसर मां, इतिहास नया तुम गढ़ने दो..
इसके कविता के साथ पैरों में बेड़ियों वाला चित्र हृदय को छू जाता है।
मिलन की बेला कविता में श्रृंगार रस देखिए-
आओ और करीब मेरे, धड़कन तुम्हें बुला रही है
बेचैनी विरह की आज, मिटनी बड़ी जरूरी है।
अलका अग्रवाल ने नैतिकता का पाठ भी पढ़ाया है। भोजन की बर्बादी पर ये पंक्तियां देखिए-
खा कर भोजन उसने, बाकी का थाली में छोड़ा
पा जीवन मानव का, मानवता से नाता तोड़ा
डॉ. मधु भारद्वाज ने की संपूर्ण समीक्षा
प्रख्यात साहित्यकार डॉ. मधु भारद्वाज ने समीक्षा करते हुए बोलते चित्र में अल्हड़पन और जुगलबंदी का उल्लेख किया-
संग अपने ले चल गाड़ी में, मन न लागे तेरे बिना रे
या तो ले चल ताजमहल, या फिर ले चल नदी किनारे
सुन मेरी प्यारी सजनी ताजमहल मैं तुझे दिखाऊं
तू बन जा मुमताज मेरी, शाहजहां मैं बन जाऊं।
ड़ॉ. अलका अग्रवाल ने प्रेम की परिभाषा का चित्र कुछ यूं खींचा है-
प्रेम समीक्षा, प्रेम परीक्षा
तृप्त मन पर तृप्ति की इच्छा
न कोई पोथी, न कई पत्री
ढाई अक्षर की है यह शिक्षा।
Alka agrawal
हनुमान की तरह होना चाहिए कवि
डॉ. मधु भारद्वाज के अलावा डॉ. अनिल उपाध्याय और डॉ. पुनीता पांडे पचौरी ने भी समीक्षा की। कवयित्री शैलबाला अग्रवाल को भी समीक्षा करनी थी, लेकिन वे कागज घर पर भूल आईं। इस कारण कुछ शब्द बोलकर बैठ गईं। नई दिल्ली से आए कवि एवं समीक्षक जय प्रकाश विलक्षण ने कहा कि कवि को तो हनुमान होना चाहिए। जिस तरह हनुमान जी ने हर कार्य किया, उसी तरह से कवि हर विषय पर लिख सकता है। उन्होंने पुस्तक की भूमिका भी लिखी है। पुस्तक के प्रकाशक मनमोहन शर्मा भी आए।
Alka agrawal
इन्होंने किया लोकार्पण
बोलते चित्र का लोकार्पण मुख्य अतिथि और राज्य महिला आयोग की सदस्य निर्मला दीक्षित, अलका अग्रवाल, प्रसिद्ध गजलकार अशोक रावत, डॉ. त्रिमोहन तरल, संस्कार भारती के डॉ. राज बहादुर सिंह राज, डॉ. हृदेश चौधरी, पवन आगरी, शांति नागर, पवन जैन, मृदुलता मंगल, वीरेन्द्र त्रिपाठी (अयोध्या) आदि ने किया।
Alka agrawal
इन्होंने किया काव्य पाठ
डॉ. अशोक विज, संगीता अग्रवाल, शिवम खैरवार, भरतदीप माथुर, नूतन अग्रवाल, ललिता करमचंदानी, पम्मी सडाना, पूनम भार्गव, रेनु शर्मा, ज्ञानेश शर्मा, सर्वज्ञ शेखर गुप्ता आदि ने काव्याठ किया। डॉ. अनिल उपाध्याय ने संचालन किया। कार्यक्रम के दौरान बातें कर रहे लोगों के साथ वे कड़ाई से पेश आए। आगरा पब्लिक स्कूल के संस्थापक महेश चंद शर्मा, अशोक अश्रु, आगमन के संस्थापक पवन जैन, निहाल चंद शिवहरे झांसी, साकेत सुमन चतुर्वेदी झांसी, शायर अमीर अहमद एडवोकेट, आरएसएस के नेता मनमोहन निरंकारी, डॉ. आराधना भास्कर (नासिक) की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो