भ्राविष्यवक्ता और वैदिक सूत्रम के चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया अनंत चतुर्दशी की पूजा के शुभ मुहूर्त के बारे में बताते हुए कहा कि इस वर्ष अनंत चतुदर्शी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06:10 से लेकर दोपहर 3 बजकर 15 तक चलेगा। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान श्री हरि की पूजा की जाती है। यह व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। इस व्रत में सूत या रेशम के धागे को लाल कुमकुम से रंग, उसमें चौदह गांठे (14 गांठे भगवान श्री हरि के द्वारा 14 लोकों की प्रतीक मानी गई है) लगाकर राखी की तरह का अनंत बनाया जाता है। इस अनंत रूपी धागे को पूजा में भगवान पर चढ़ा कर व्रती अपने बाजु में बांधते हैं। पुरुष दाएं तथा स्त्रियां बाएं हाथ में अनंत बांधती है। यह अनंत जातक पर आने वाले सब संकटों से रक्षा करता है। यह अनंत धागा भगवान विष्णु को प्रसन्न करने वाला तथा अनंत फल देता है। यह व्रत धन पुत्रादि की कामना से किया जाता है। इस दिन नए धागे के अनंत को धारण कर पुराने धागे के अनंत का विसर्जन किया जाता है।
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वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि अनंत चतुर्दशी के दिन अनन्त भगवान की पूजा करके समस्त संकटों से रक्षा करने वाला अनन्त सूत्र बांधा जाता है। वैदिक हिन्दू शास्त्रों में कहा जाता है कि जब पाण्डव सारा राज-पाट हारकर वनवास के दुख भोग रहे होते हैं, तब भगवान श्रीकृष्ण उन्हें अनन्त चतुर्दशी व्रत करने को कहते हैं। श्रीकृष्ण के कथन अनुसार धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाइयों तथा द्रौपदी के साथ पूरे विधि-विधान से इस व्रत का पालन करते हैं और अनन्तसूत्र धारण किया जिसके फलस्वरुप पाण्डवों को अपने समस्त कष्टों से मुक्ति प्राप्त होती है।
वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि अनंत चतुर्दशी के दिन अनन्त भगवान की पूजा करके समस्त संकटों से रक्षा करने वाला अनन्त सूत्र बांधा जाता है। वैदिक हिन्दू शास्त्रों में कहा जाता है कि जब पाण्डव सारा राज-पाट हारकर वनवास के दुख भोग रहे होते हैं, तब भगवान श्रीकृष्ण उन्हें अनन्त चतुर्दशी व्रत करने को कहते हैं। श्रीकृष्ण के कथन अनुसार धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाइयों तथा द्रौपदी के साथ पूरे विधि-विधान से इस व्रत का पालन करते हैं और अनन्तसूत्र धारण किया जिसके फलस्वरुप पाण्डवों को अपने समस्त कष्टों से मुक्ति प्राप्त होती है।
ऐसे करें व्रत और पूजन
वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने अनंत चतुर्दशी पूजा विधि के सन्दर्भ में बताते हुए कहा कि अनंत चतुर्दशी के पूजन में व्रतकर्ता को प्रात:स्नान करके व्रत का संकल्प करना चाहिए। पूजा घर में कलश स्थापित करना चाहिए। कलश पर भगवान विष्णु का चित्र स्थापित करनी चाहिए। इसके बाद धागा लें जिस पर चौदह गांठें लगाएं इस प्रकार अनन्तसूत्र (डोरा) तैयार हो जाने पर इसे प्रभु के समक्ष रखें इसके बाद भगवान विष्णु और अनंतसूत्र की षोडशोपचार-विधिसे पूजा करनी चाहिए और “ॐ अनन्ताय नम:” मंत्र का जाप करना चाहिए। पूजा के बाद अनन्तसूत्र मंत्र पढ़कर स्त्री और पुरुष दोनों को अपने हाथों में अनंत सूत्र बांधना चाहिए। पूजा के बाद व्रत-कथा का श्रवण करें। अनंतसूत्र बांधने लेने के बाद ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए और स्वयं सपरिवार प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।
वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने अनंत चतुर्दशी पूजा विधि के सन्दर्भ में बताते हुए कहा कि अनंत चतुर्दशी के पूजन में व्रतकर्ता को प्रात:स्नान करके व्रत का संकल्प करना चाहिए। पूजा घर में कलश स्थापित करना चाहिए। कलश पर भगवान विष्णु का चित्र स्थापित करनी चाहिए। इसके बाद धागा लें जिस पर चौदह गांठें लगाएं इस प्रकार अनन्तसूत्र (डोरा) तैयार हो जाने पर इसे प्रभु के समक्ष रखें इसके बाद भगवान विष्णु और अनंतसूत्र की षोडशोपचार-विधिसे पूजा करनी चाहिए और “ॐ अनन्ताय नम:” मंत्र का जाप करना चाहिए। पूजा के बाद अनन्तसूत्र मंत्र पढ़कर स्त्री और पुरुष दोनों को अपने हाथों में अनंत सूत्र बांधना चाहिए। पूजा के बाद व्रत-कथा का श्रवण करें। अनंतसूत्र बांधने लेने के बाद ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए और स्वयं सपरिवार प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।