7 December 2025,

Sunday

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

15 August 2018 Independence Day : आगरा ने दिए थे बड़े क्रांतिकारी, पढ़िए आजादी के आंदोलन की घटनाएं

August Kranti for Indepencence : ठाकुर राम सिंह को काला पानी की सजा, दो भाइयों के हाथों एक अंग्रेज दारोगा की मौत हो गई और इस आरोप में दोनों भाइयों को कोतवाली में फांसी दे दी गई।

2 min read
Google source verification

आगरा

image

Abhishek Saxena

Aug 10, 2018

आगरा। देश की आजादी में जान की बाजी लगाने वाले वीर सपूतों को नमन करने का समय है। क्रांति की इस मशाल को जलाए रखने में आगरा के वीर सपूतों का भी खासा योगदान रहा है। आजादी की अलख में कई दीवानों ने सीने पर गोली खाकर मातृभूमि के लिए अपने प्राण त्याग दिए तो कईयों ने जेल की सलाखों के पीछे अपनी जवानी गुजार दी। आजाद भारत का सपना देखने वालों को अंग्रेजों ने कई यातनाएं दीं।

आगरा के राजामंडी में पैतृक घर में रहने वाले ठाकुर राम सिंह का नाम उन क्रांतिकारियों में शामिल है जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया था। ठाकुर राम सिंह पर राजस्थान के डिंगरा इलाके में जिलाधीष को गोली मारने का आरोप लगा था। उन्हें अंडमान निकोबार में सेल्यूलर जेल में लंबी यातना दी गई।

जिलाधीष हार्डी पर फेंका बम
जनरल डायर की हत्या के बाद अंग्रेज सरकार ने पत्रकारों को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। इस पर पत्रकार रोशनलाल करुणेश ने प्रतिशोध का फैसला किया। उन्होंने साथियों के साथ वर्ष 1940 में राम बारात के मौके पर बेलनगंज में बरौलिया बिल्डंग के आगे बने मंच पर रेलवे पुल के ऊपर से बम फेका। तब मंच पर जिलाधीश हार्डी बतौर मुख्य अतिथि मौजूद था। हार्डी बम कांड के नायक रोशनलाल गुप्त करूणेश और उनके साथी गिरफ्तार हुए और जेल में लंबी यातना झेलनी पड़ी।

भूमिगत रहे डॉ. राजेंद्र प्रसाद
बिहार के बड़े कांग्रेसी नेता डॉ. राजेंद्र प्रसाद स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान आगरा आए और यहां जयपुर हाउस से सामने सिरकी मंड़ी स्थित एक घर में लंबे समय तक भूमिगत रहकर आंदोलन की गतिविधियों का संचालन करते रहे।

लोहामंडी में आए नेताजी सुभाष
नेताजी सुभाष चंद्र बोस आजादी के आंदोलन के दौरान एक बार आगरा आए थे। यहां मोतीगंज स्थित पुरानी चुंगी मैदान में जनसभा संबोधित की थी। वह आगरा प्रवास के दौरान लोहामंडी स्थित सेठ रोशनलाल जैन के घर ठहरे थे। नेताजी उस दौर में कांग्रेस में सक्रिय थे।

कोतवाली में दो भाइयों की फांसी
आजादी के आंदोलन के दौरान पुलिस बर्बर जुल्म करने से नहीं चुकती थी। तभी रोशन मोहल्ला में एक झड़प के दौरान दो भाइयों के हाथों एक अंग्रेज दारोगा की मौत हो गई और इस आरोप में दोनों भाइयों को कोतवाली में फांसी दे दी गई।