
No More Pakistan Movement
आगरा। "No More Pakistan Movement" राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के संगठन महामंत्री गौलोक बिहारी राय ने बताया कि पाक आजादी के प्रारंभ से ही आक्रमण करते आया है, साथ ही आतंक फैलाते आया है। 1948 से पुलवामा तक, 1965 कच्छ का रण, ससंद भवन, कारगिल 1999, मुंबई, उरी पुलवामा हर बार पाकिस्तान आतंकी हमले करता रहा है। वह सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। अब हमें 70 वर्षों से चली आ रही मजबूत व समृद्ध पाकिस्तान की नीति को त्यागना चाहिए। बल्कि उसे कड़े सबक सिखाना चाहिए। जैसे के साथ तैसे का व्यवहार करना होगा।
खबर के अंतिम पैरा में देखिये, 2027 में क्या होने जा रहा है....
इसलिए चीन और पाकिस्तान आये साथ
चीन- पाक संबंधों का चित्र स्पष्ट करते हुए उन्होंने चाइना और पाकिस्तान की गठजोड़ का कारण भारत को हताहत करना बताया। उन्होंने गंभीर चिंता व्यक्त की कि चीन के विगत रवैये को देखते हुए आज विश्व व एशिया की सामरिक शक्तियों को यह डर भी उत्पन्न हो राह है कि कहीं चीन CPEC परियोजना के पूरा होने से पहले ही निकट भविष्य में पाकिस्तान को निगल सकता है। क्षेत्रीय विकास में भारत के योगदान की चर्चा करते हुए बताया कि भारत की वैश्विक यात्रा जो फ्रीडम कॉरिडोर, एशिया अफ्रीका ग्रोथ कैरिडोर, मोरे कंबोडिया ट्राइलैटेरल रोड, साउथ नार्थ ग्रोथ कैरिडोर, मेकांग गंगा KTM ग्रोथ कैरिडोर जो चीन के OBOR से भी बृहद और विश्वसनीय प्रोजेक्ट है, उसे रोकने के लिए चीन पाकिस्तान को सहयोग कर भारत के अंदर अशांति व असुरक्षा फैलाकर भारत को कमजोर करने का प्रयत्न कर रहा है, जिसमें पाकिस्तान जो भूखा नंगा एक असफल राष्ट्र जो भारत विरोध के स्वर में खुलकर खेल खेल रहा है।
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2027 तक होगा ऐसा हाल
अंत में उन्होंने बताया कि पाकिस्तान 2027 तक स्वतः अलगाववाद के कारण ही विलीन हो जाएगा और यह बात हम भारतीय नहीं बल्कि उन्हीं के मुल्क के लोग प्रसिद्ध दार्शनिक डॉ. असरार अहमद, जो वहां की दूषित राजनीति से बुरी तरह परास्त थे, उन्होंने की है। उनकी भविष्य वाणी का अर्द्ध सत्य यदि बांग्लादेश के बनना, उदय है तो शेष आधा सत्य भविष्य की गोद में छिपा है। जो ठीक समय पर दुनिया के सामने जग जाहिर हो जाएगा। इसके लिए हम भारत के 130 करोड़ लोग बलूचिस्तान, सिन्धुदेश, महाजिरस्तान, पस्तूनिस्तान, वलवारिस्तान आदि क्षेत्रीय स्मिताएं जो अपनी पहचान व स्वतंत्रता के लिए संघर्षरत हैं, उनको मात्र अपना नैतिक समर्थन प्रदान करें। श्रीगोलोक ने भारत के वैश्विक यात्रा को इतिहास के रघुकुल काल से रेखांकित करते हुए कहा कि पूरे विस्व मे भारत का परचम त्रेता युग से ही लहराता रहा है यद्यपि बारहवीं शताब्दी में यह आभा कुछ कम हुई परंतु अब भारत पुनः अपनी आभा को पुनर्स्थापित कर रहा है।
Published on:
11 Jun 2019 11:01 am
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