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Patrika Exclusive: पंचायत भवनों के निर्माण में बड़ा घोटाला, एक लाख में दिए गए कार्यपूर्ति के प्रमाण पत्र

ग्रामीण क्षेत्रों में प्रस्तावित 17 में से बनाए गए 11 ग्राम पंचायत भवनों में बड़ा घोटाला हुआ है।

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आगरा

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Dhirendra yadav

Aug 02, 2018

Big scam

Big scam

आगरा। ग्रामीण क्षेत्रों में प्रस्तावित 17 में से बनाए गए 11 ग्राम पंचायत भवनों में बड़ा घोटाला हुआ है। इन भवनों के निर्माण में न तो गुणवत्ता का ध्यान रखा गया और नाहीं मानकों को ध्यान में रखकर निर्माण कार्य कराया गया। खुलासा तब हुआ जब आधे अधूरे बने इन भवनों के मूल कार्य की कार्यपूर्ति के प्रमाण पत्र बिना डेट के जारी कर दिए गए। इस मामले में कमिश्नर के राम मोहन राव ने जांच के आदेश दिए हैं। 15 दिन में रिपोर्ट मांगी गई है।

ये है मामला
ग्राम पंचायत भवन बनाने के लिए 17 गांव प्रस्तावित थे। इनमें से 12 गांव में इन भवनों को बनाने के लिए पैसा रिलीज हो गया। इनमें से भी सिर्फ 11 गांव में इनका निर्माण कार्य कराया गया है, जबकि एक गांव में जमीन न मिलने पर वहां इसका निर्माण नहीं हो सका। प्रति भवन निर्माण के लिए 27 लाख रुपये जारी किया गया, जिसमें से पांच लाख रुपये जमीन खरीद के लिए और 22 लाख रुपये इमारत बनाने के लिए रिलीज किया गया।

दूसरे गांव में बना दिया भवन
बिसैरी गौरवा ब्लॉक बरौली के लिए एक ग्राम पंचायत भवन स्वीकृत था, लेकिन इसे 10 किलोमीटर दूर दूसरे गांव बिसैरी भांड में बना दिया गया। सबसे बड़ी बात ये है कि कागजों में ये भवन बिसैरी गौरवा में ही बना हुआ दिखाया गया है।

शिकायत के बाद शुरू हुई जांच, नहीं आई रिपोर्ट
इन भवनों के निर्माण में मानकों का ध्यान नहीं रखा गया। इस मामले में भारतीय किसान यूनियन के नेता श्याम सिंह चाहर ने शिकायत की, तो जिलाधिकारी आगरा ने 8 मई 2018 को जांच कमेटी गठित कर दी। इस कमेटी में अपर नगर मजिस्ट्रेट द्वितीय अभिषेक, अधिशासी अभियंता निर्माण खंड वन नरेश कुमार, किसान नेता श्याम सिंह चाहर और एनटीपीसी के जीएम को शामिल किया गया। इस कमेटी द्वारा न तो जांच की गई और नाहीं रिपोर्ट बनाई गई, जिसके बाद 19 जून 2018 को सीडीओ ने मामला संज्ञान में लेते हुए तुरंत सत्यापन रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिये, फिर भी कुछ नहीं हो सका। 20 जुलाई 2018 को जिलाधिकारी से शिकायत की, तो जिलाधिकारी ने तुरंत निरीक्षण कर आख्या देने के लिए कहा, लेकिन इस बार भी मामला यूंही लटक गया। इसके बाद कमिश्नर के राम मोहन राव ने 24 जुलाई 2018 को इस मामले में 15 दिन में रिपोर्ट मांगी है।

कैसे जारी हो गये हस्तांतरण पत्र
इस मामले में जो सबसे बड़ी बात सामने आई है, वो है हस्तांतरण पत्र। ग्राम पंचायत भवनों का निर्माण कार्य पूरा हो गया है, इसकी कार्यपूर्ति का एक प्रमाण पत्र ग्राम प्रधान से हस्ताक्षर कराया जाता है। ये पत्र जारी हुए, तो कुछ ग्राम प्रधानों ने इन पर हस्ताक्षर नहीं किये। हैरत की बात ये थी, कि इन पत्रों पर विभाग द्वारा दर्ज की जाने वाली भवन निर्माण कार्य शुरू होने और समाप्त होने की तिथि नहीं है। किसान नेता श्याम सिंह चाहर का आरोप है कि ग्राम प्रधानों से एक एक लाख रुपये देकर हस्ताक्षर कराये गए हैं।