Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti; शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को पुणे के पास स्थित शिवनेरी के दुर्ग में हुआ था। आइए जानते हैं उनका UP से क्या संबंध है।
भारत के योद्घा छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म मुगल शासन काल में आज ही के दिन यानी 19 फरवरी 1630 में हुआ था। छत्रपति शिवाजी महाराज मराठा के शासक थे। शिवाजी महाराज के प्रति श्रद्घा और प्रेम सिर्फ पश्चिमी भारत में ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश में भी दिखता है। फिर चाहे इतिहास हो या राजनीति। उत्तर प्रदेश से शिवाजी महाराज क्या संबंध रहा। इस पर हम विस्तार से आपको बता रहे हैं।
वाकया है साल 1666 का। उस समय मुगल शासक औरंगजेब था। वह दक्कन में विस्तार करना चाह रहा था। लेकिन उसे ये आभास हो गया था कि दक्कन तक विस्तार में उसको मराठा चुनौती दे सकते हैं। औरंगज़ेब ने अपने कार्यकाल में राजा जय सिंह को दक्कन जीतने नीति बनाने की जिम्मेदारी सौंपी। इसी वजह से न चाहते हुए भी उसे राजा जय सिंह की बात माननी पड़ी।
व्यक्तिगत रूप से नापंसद करने के बाद भी औरंगजेब ने शिवाजी के साथ संधि करने पर अपनी हामी भरी। यहीं से शिवाजी महाराज की यूपी एतिहासिक संबंध जुड़ गया है।
मुगलों के निमंत्रण पर शिवाजी औरंगज़ेब के आगरा दरबार में पहुंचे। उस वक़्त मुगलों के दरबार में सिर्फ बादशाह ही बैठते थे। बाक़ी दरबारी खड़े रहते थे। दरबार के नियम के मुताबिक, जिसको जितनी ऊंची मनसबदारी दी जाती थी, उसकी हैसियत उतनी बड़ी होती। मुगल बादशाह के दरबार में उसकी पूछ उतनी ही ज्यादा होती थी। मनसबदारी का अर्थ आम भाषा में 'रैंक' होता है।
शिवाजी जब औरंगज़ेब के दरबार में पहुंचे, तो उनको 5000 वाली मनसबदारी दी गई। जबकि वो 7000 वाली मनसबदारी चाहते थे। इसलिए वो नाराज हो गए और भरी सभा में उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर की। इसके बाद औरंगजेब ने उन्हें आगरा के में कैद कर लिया था।
मुगलों के दक्कन में विस्तार को शिवाजी ने रोक रखा था
इतिहासकारों की मानें तो 1630 से 1650 तक शिवाजी अपनी अलग सल्तनत खड़ी करना चाहते थे। उनका कार्यक्षेत्र दक्कन था और उनकी नीति दक्कन और दक्कनवासियों के लिए थी। इस वजह से वह किसी भी ताकत का हस्तक्षेप दक्कन में नहीं चाहते थे। इधर औरंगजेब भी अपना साम्राज्य दक्कन में फैलाना चाहता था। उसके साम्राज्यवादी नियत में शिवाजी सबसे बड़ा रोड़ा थे। क्योंकि मुगलों के दक्कन में विस्तार को शिवाजी ने रोक रखा था।
संधि के नाम पर शिवाजी के साथ हुआ था धोखा
औरंगजेब ने मराठों को अपने साथ मिलाने के लिए राजा जय सिंह को सेना के साथ दक्कन भेजा था। राजा जय सिंह को शुरुआती जीत मिली। शिवाजी मुगलों से संधि के लिए तैयार हो गए। संधि पर बात करने के लिए राजा जय सिंह ने छत्रपति शिवाजी को आगरा आने को कहा था। आगरा में उनके मान सम्मान के रक्षा का वादा भी किया गया था।
धोखा देकर शिवाजी को मारने की मंशा
इतिहासकारों की मानें तो शिवाजी हारे नहीं थे, लेकिन कमजोर जरूर हो गए थे। शिवाजी को मुगलों पर रणनीतिक जीत मिली थी। उन्होंने राजा जय सिंह के सामने शर्तें रखी थी। उन्हीं शर्तों पर बात करने के लिए औरंगजेब ने उन्हें आगरा आने का न्योता दिया था, लेकिन वो एक धोखा था। औरंगज़ेब की मंशा शिवाजी को मारने की थी।
टोकरी में बैठकर शिवाजी ने बचाई थी अपनी जान
औरंगजेब की कैद से शिवाजी महाराज कैसे छूटे, इसपर कई किस्से हैं। अधिकतर इतिहासकार मानते हैं और कुछ किताबों में जिक्र है कि एक वक़्त जेल में जब मिठाई और फल बांटे जा रहे थे। उसी टोकरी में बैठकर शिवाजी अपनी जान बचा पाए। अमरीकी इतिहासकार बर्टन स्टेन की. बर्टन स्टेन ने भारत पर कई किताबें लिखी है। उनकी किताब 'ए हिस्ट्री ऑफ इंडिया' में भी यह वाक्या किताब के 178 पन्ने पर मिलता है। उसमें ये भी लिखा है कि शिवाजी अपने जीवन में सिर्फ एक बार ही आगरा गए और ये किस्सा उसी वक्त का है।
खाफी खां की मुन्तखब-उल-लुबाब किताब
औरंगजेब के दरबारी खाफी खां ने अपनी किताब मुन्तखब-उल-लुबाब में शिवाजी को राजा जयसिंह की हवेली के पास नगर से बाहर एक मकान में ठहराने का जिक्र किया है। इलियट और डाउसन ने इसका संपादन भारत का इतिहास पुस्तक में किया है। लेखक राधेश्याम की किताब'औरंगजेब में शिवाजी को फिदाई हुसैन के निवास पर रखे जाने का उल्लेख किया है।
ये तो बात हो गई इतिहास की। अब बताते हैं उत्तर प्रदेश की राजनीति में छत्रपति शिवाजी महाराज की एंट्री कैसे हुई?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की एक ट्वीट ने महाराष्ट्र तक ध्यान खींचा। सीएम योगी के 14 सितंबर 2020 के ट्वीट पर जमकर प्रतिक्रिया दी गई। दरअसल, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 2015 में आगरा म्यूजियम की मंजूरी दी थी।
आगरा में ताजमहल के पूर्वी गेट के पास करीब डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर इस संग्रहालय परियोजना तैयार करने की बात कही थी। ताजमहल के पास छह एकड़ जमीन दी गई । इस संग्रहालय में मुगल संस्कृति और कलाकृतियों को प्रदर्शित किया जाना था। लेकिन इस पर कोई खास काम नहीं हो पाया।
2017 में प्रदेश में योगी सरकार बनीं। इस कार्यकाल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर कहा कि अब इस संग्राहलय में न सिर्फ मुगल साम्राज्य के इतिहास से संबंधित चीजें रहेंगी, बल्कि छत्रपति शिवाजी महाराज का इतिहास भी संग्रहालय में संरक्षित किया जाएगा।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट को रिट्वीट कर करते हुए लिखा है - जय जिजाऊ, जय शिवराय, छत्रपति शिवाजी महाराज की जय !
दीवान-ए-खास में दरार आने से नहीं हो सका सांस्कृति कार्यक्रम
महाराष्ट्र सरकार ने भारतीय धरोहर पुरातत्व विभाग के सचिव को पत्र लिखा था। छत्रपति शिवाजी महाराज के इस जयंती पर आगरा किला में सांस्कृतिक आयोजन कराना चाहते थे। लेकिन दीवान-ए-खास में दरार आने से सांस्कृति कार्यक्रम आयोजन के लिए स्वीकृत नहीं मिली।