
'गैरकानूनी है जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्रोजेक्ट'
आगरा।आगरा में इंटरनेशनल एयरपोर्ट आना था। लेकिन, जेवर स्थानांतरित कर दिया गया। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा के लिए लड़ाई लड़ रही सिविल सोसायटी आॅफ आगरा ने जेवर हवाई अड्डा के लिए सिविल सोसायटी द्वारा पीआईएल दायर की गई है। रविवार को एक पत्रकार वार्ता का आयोजन कर इस पीआईएल की जानकारी दी गई और जेवर में प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा से संबंधित कुछ तथ्य प्रस्तुत किए। दिल्ली एनसीआर क्षेत्र के नेता रघुराज सिंह आगरा आए और उन्होंने कहा कि जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्रोजेक्ट पूरी तरीके से गैर क़ानूनी है। किसानों की जमीन कॉलोनाइज़रों को हस्तांतरित करवाने का हथकंडा मात्र है। एनसीआर एक्ट बहुराज्य क़ानूनी प्रदिकर्ण है और पार्लियामेंट के एक्ट से बना है। इसमें केवल संवैधानिक संशोधन वावस्ता के तहत है कि किसी भी प्रकार का परिवर्तन संभव है।
पर्यटक दिल्ली या आगरा से पकड़ेगा जहाज
रघुराज सिंह का मानना है कि एनसीआर बोर्ड से अब तक कोई स्वीकृति नहीं है। जोनल मास्टर प्लान में कृषि भूमि हरित क्षेत्र रहना चाहिए। एनसीआर एक्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इसका मुख्य लक्ष्य क्षेत्र की आबादी की संख्या को सीमित रखना है, जबकि जेवर एयरपोर्ट से नागरिक अवस्थापना सुविधाओं पर दबाव बढ़ेगा। यदि पर्यटक दिल्ली या जेवर से फ्लाइट पकड़ता है उसका फायदा आगरा को नहीं मिलेगा। ये दिल्ली एनसीआर के लिए उपयुक्त होगा आगरा को कोई लाभ नहीं मिलेगा।
खत्म हो जाएंगे किसान
जेवर में खेतीबाड़ी और कृषि उपजों पर आधारित कामधंधों के लिए चिन्हित जोन था। गैरकानूनी होते हुए भी उसे इंटरनेशनल एयरपोर्ट के उस ग्रीन फील्ड प्रोजेक्ट को क्रियांवित करवाया जा रहा है जिसमें ग्रामीण अर्थव्यवस्था और क्षेत्रीय परंपरागत परिवेश ना केवल बदल जाएगा बल्कि तीन दर्जन गांव विलुप्त हो जाएंगे। किसानों की जमीन अधिग्रहीत कर मुआवजा तो मिलेगा लेकिन, खेती पर आश्रित किसान जमीन ना होने पर क्या करेगा। इसके लिए कोई कार्य योजना कागजों में नहीं है। जेवर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने के पीछे का तर्क इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर यात्री दबाव को बढ़ना बताया जा रहा है जो गलत है।
दिल्ली पर असर
दिल्ली एनसीआर इस समय आबादी के दबाव से भारी असर है। ढांचागत सुविधाओं की हालत यह है कि अपनी पेयजल स्रोत तक की कोई व्यवस्था नहीं है। गंगा की अपर कैनाल सिस्टम की नहरों का पानी किसानों का हक नकार कर जुटाना पड़ रहा है। होली पर सरकार पानी कम खर्च करने की गुहार लगाती है तो जुमे की नमाज तक के लिए एन सी आर के अधिकांश शहरी क्षेत्रों की मस्जिदें छोटी पड़ गई हैं। सडकों पर मुस्लिम भाईयों को इबादत करने को विवश होना पड़ रहा है। दीपावली, क्रिसमस और बड़ा दिन पर्यावरण का मिजाज दृष्टिगत कर बिना पटाखों और परंपरागत आतिशबाजी के मनाने के लिये माहौल बनाना पड़ रहा है। ऐसे हालातों में नए एयरपोर्ट की स्थापना करने की कल्पना करना भी मुश्किल है।
ये रहे मौजूद
सिविल सोसायटी के पदाधिकारी अनिल शर्मा ने कहा कि सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा चाहती है कि एनसीआरबी अपना कार्य सुचारू रूप से करे। इस से आगरा का भी स्वाभाविक विकास होगा। एनसीआर प्लॉन में पापुलेशन डेंसिटी, लैंड यूज और हरित विकास का प्राविधान है। इस मौके पर राजीव सक्सेना, शिरोमणि सिंह, अधिवक्ता ध्रुव गौतम शामिल थे।

Published on:
20 May 2018 05:37 pm
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