
CRPF
आगरा। भिगोकर खून में वर्दी कहानी दे गए अपनी, मोहब्बत मुल्क की सच्ची निशानी दे गए अपनी, मनाते रह गए वेलेंटाइन-डे यहां हम तुम,
वहां कश्मीर में सैनिक जवानी दे गए अपनी..। कवि की ये लाइनें अपनी वीर जवानों को नमन करती हैं, जो जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में शहीद हो गए। CRPF जवानों को आपने देखा होगा, लेकिन इनके बारे में वो जानकारी शायद आपको नहीं होगी, जो आपको हम देने जा रहे हैं। एक सीआरपीएफ जवान का जीवन कांटों से भरी राहों से कम नहीं। साफ शब्दों में कहा जाए, तो ये सैनिक 12 वर्ष का वो वनवास काटते हैं, जो खतरों से भरा होता है।
पूरे देश से चुने जाते हैं युवा
सीआरपीएफ के जवान भी सेना की तरह पूरे देश से चुने जाते हैं। इनकी ट्रैनिंग भी बेहद कठिन होती है। सिपाही हों या अधिकारी हर स्तर की ट्रेनिंग का मानक बेहद खतरनाक होता है। इन सैनिकों को मैपिंग, वैपन्स, Anti terrorist, काउंटर इंसरजेंसी की ट्रेनिंग में महारथ हासिल कराई जाती है। 9 से 12 माह की ट्रेनिंग लेने के बाद ये जवान तैयार होते हैं और इसके बाद उनकी परीक्षायें शुरू हो जाती हैं। ये परीक्षा भी आसान नहीं होती, बल्कि खतरों से भरी होती है।
12 वर्ष का खतरनाक वनवास
इन सैनिकों का ट्रेनिंग के बाद 12 वर्ष का खतरों से भरा वनवास शुरू होता है। पहली पोस्टिंग इन्हें नॉर्थ ईस्ट या एंटी टेररिस्ट जम्मू कश्मीर में दी जाती है। इसके बाद नक्सलप्रभावित क्षेत्र और फिर काउंटर इंसरजेंसी में भेजा जाता है। एक वर्ष में दो माह का अवकाश इन्हें मिलता है। इसके बाद सिर्फ तीन साल का समय ऐसा होता है, जब इन सैनिकों को शांतिप्रिय क्षेत्रों में पोस्टिंग दी जाती है, जहां ये अपने परिवार के साथ रह सकते हैं, इसके बाद यही क्रम फिर से शुरू हो जाता है।
इस तरह तैयार होते जवान
जवानों को शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत करने के लिए फर्राटा दौड़, लंबी दौड़, सम्यक व्यायाम, नि:युद्ध, मुष्टि युद्ध और युद्ध अवरोध प्रहार मार्ग पार करने जैसे प्रशिक्षण दिए जाते हैं। जवानों को अनुशासित और विनम्र जीवन जीने व उसूलों पर शत प्रतिशत खरा उतरने के लिए मानसिक रूप से तैयार किया जाता है। इसके अलावा एके 47, इंसास रायफल, एक्स95, यूबीजीएल, सीजीआरएल जैसे अत्याधुनिक हथियारों से दुश्मनों पर अचूक निशाना साधने का भी अभ्यास कराया जाता है। विभिन्न प्रकार के व्यू रचना सिखाई जाती है। युद्ध कला के चार महत्वपूर्ण एम्बुस, रेड, कैसो, सैडो जैसी विधाओं में भी निपुण बनाया जाता है।
इन बातों की दी गई ट्रेनिंग
अभियान के दौरान फील्ड सिंगल एरोडेड, डायमंड, एस्पीयर हेड, सिंगल लाइन, एस्टेवेट लाइन जैसे तकनीक सिखाए जाते हैं, जिसका प्रयोग जवान अभियान के दौरान करते हैं और दुश्मनों को खोज कर मार गिराते हैं। इन तकनीकों का प्रयोग सिर्फ घने जंगलों और पहाड़ों आदि में किया जाता है। जवान इनका प्रयोग कर रात में भी घने जंगल और दुर्गम पहाड़ों में छिपे दुश्मनों की पहचान कर उन्हें निशाना बनाने में करते हैं।
Updated on:
15 Feb 2019 01:51 pm
Published on:
15 Feb 2019 09:22 am
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