scriptसबसे कम उम्र में डॉ. केशव मल्होत्रा के नाम बड़ी उपलब्धि | Dr Keshav malhotra honored by Budding Embryologist of the year award | Patrika News
आगरा

सबसे कम उम्र में डॉ. केशव मल्होत्रा के नाम बड़ी उपलब्धि

– युवा डॉक्टर को मिला Budding Embryologist of the year award-भारत में सबसे पहले आरआई विटनेस सिस्टम स्थापित करने का भी श्रेय

आगराOct 07, 2019 / 03:35 pm

धीरेंद्र यादव

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आगरा। सच है, उम्र नहीं हौसला बड़ा होना चाहिए। आगरा के युवा डॉक्टर केशव मल्होत्रा से यही प्रेरणा मिलती है। कम उम्र में ही डॉ. केशव मल्होत्रा ने न सिर्फ बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं, बल्कि आईवीएफ के क्षेत्र में इलाज की कई नई और आधुनिक तकनीकों को भी आगरा और उत्तर प्रदेश में स्थापित करने वाले चिकित्सक बन गए हैं। रेनबो हॉस्पिटल के एंब्रियोलॉजिस्ट डॉ. केशव मल्होत्रा के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ गई है। दिल्ली में आयोजित एक समारोह में उन्हें बडिंग एंब्रियोलॉजिस्ट ऑफ द ईयर अवॉर्ड से नवाजा गया है। उन्हें यह सम्मान एशिया होल्डिंग कंपनी के विशाल बाली ने दिया।
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माता-पिता को श्रेय
आईवीएफ के क्षेत्र में भारत में हुए एक सर्वे और 10 लोगों की ज्यूरी के फैसले के आधार पर डॉ. केशव मल्होत्रा का नाम बडिंग एंबियोलॉजिस्ट ऑफ द ईयर अवॉर्ड के लिए चुना गया। महज 28 साल की उम्र में इस सम्मान को ग्रहण करने के बाद डॉ. केशव ने कहा कि उनके लिए यकीन कर पाना मुश्किल हो रहा है कि यह बड़ा सम्मान उन्हें दिया गया है। हालांकि डॉ. केशव ने इसका श्रेय अपनी मां डॉ. जयदीप मल्होत्रा और पिता डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा को देते हुए कहा कि जब आपके माता-पिता आप पर यकीन करते हैं तो दुनिया में कोई भी लक्ष्य ऐसा नहीं है जिसे हासिल न किया जा सके।
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आरआई विटनेस सिस्टम स्थापित किया
एक अनुमान के मुताबिक भारत में 3000 से अधिक आईवीएफ केंद्रों पर मान्यता प्राप्त एंब्रियोलॉजिस्ट महज 400 से 500 ही हैं। इनमें भी बेहद कम ऐसे हैं जिनके पास विदेश से मान्यताएं हैं। डॉ. केशव मल्होत्रा ने हाल ही में एशरे सर्टिफिकेशन भी हासिल किया है। इस परीक्षा में दुनिया भर से एंब्रियोलॉजिस्ट शामिल होते हैं। डॉ. केशव समेत अब तक देश में 25 डॉक्टरों ने यह परीक्षा उत्तीर्ण की है। भारत में रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटीफिकेशन- आरआई (Radio Frequency Identification) विटनेस सिस्टम स्थापित करने वाले वह पहले एंब्रियोलॉजिस्ट और रेनबो हॉस्पिटल पहला सेंटर है। डॉ. केशव द्वारा लाई गई एंब्रियोस्कोप से भ्रूण की निगरानी तकनीक उत्तर प्रदेश में दूसरे एंब्रियोस्कोप को स्थापित करना है। इंडियन सोसायटी ऑफ असिस्टेड रिप्रोडक्शन के वह पहले यंगेस्ट बोर्ड मेम्बर हैं।
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