
हिंदुस्तान के राजनीतिक आसमान के चमकते सितारे अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार को निधन हो गया। इसके साथ ही देश की राजनीति में एक युग समाप्त हो गया। अटल बिहारी वाजपेयी सिर्फ देश के पूर्व प्रधानमंत्री ही नहीं थे, बल्कि वे एक ऐसे रत्न थे जिन्होंने राजनीतिक पटल पर अमिट कहानी लिखी। पार्टी के लोग ही नहीं विपक्षी भी उनकी कार्यशैली के दीवाने थे। अटल की भाषा शैली इतनी जबरदस्त थी कि जब वे बोलते थे तो पंडित जवाहर लाल नेहरू जैसे नेता भी उन्हें मंत्रमुग्ध होकर सुना करते थे। पढ़िए इस युग पुरुष के जीवन से जुड़ी खास बातें।
मूलरूप से आगरा के बटेश्वर के रहने वाले थे
मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में 25 दिसंबर 1924 को अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म हुआ था। मूलरूप से वे आगरा के बटेश्वर के रहने वाले थे, लेकिन उनके जन्म से पहले ही उनका परिवार ग्वालियर में रहने लगा था। अटल की शुरुआती शिक्षा भी ग्वालियर में ही हुई। उनके पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा वाजपेयी था। वे छह भाई बहनों में सबसे छोटे थे। अटल बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनके पिता अध्यापक थे और कवि भी थे। सैद्धांतिक जीवन की शिक्षा और कविताओं का हुनर उन्हें अपने पिता से ही मिला था। अटल ने बीए की पढ़ाई ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज सेे की थी। इस कॉलेज को अब लक्ष्मी बाई कॉलेज कहा जाता है। छात्र जीवन से ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और तभी से राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे। इसके बाद उन्होंने कानपुर उत्तर प्रदेश के डीएवी कॉलेज से राजनीति विज्ञान से एमए प्रथम श्रेणी में पास किया।
पिता के साथ मिलकर की पढ़ाई, एक ही हॉस्टल में रहे
अटलजी के जीवन का एक दिलचस्प किस्सा ये है कि उन्होंने कानून की पढ़ाई अपने पिता के साथ की थी। दोनों ने एक साथ कानपुर के डीएवी कॉलेज में दाखिला लिया था। उस समय दोनों एक ही हॉस्टल के एक ही कमरे में रहा करते थे। दोनों के बीच बाप बेटे से ज्यादा दोस्त का रिश्ता बन गया था। अटल बिहारी वाजपेयी अविवाहित रहे, लेकिन उनकी एक दत्तक पुत्री हैं जिनका नाम नमिता भट्टाचार्य है।
पत्रकार बनना चाहते थे
अटल बिहारी वाजपेयी एक पत्रकार बनना चाहते थे लेकिन किस्मत उन्हें राजनीति में ले आयी। कॅरियर के शुरुआती दौर में अटल जी ने पाञ्चजन्य, राष्ट्रधर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे तमाम अखबारों और पत्रिकाओं में काम किया। हालांकि कुछ समय बाद वे पत्रकारिता छोड़कर राजनीति में आ गए।
राजनीतिक जीवन
अटल जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय सदस्य और सन् 1951 में गठित राजनैतिक दल ‘भारतीय जनसंघ’ के संस्थापक सदस्य थे। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भी सक्रिय योगदान दिया और 1942 में वे जेल भी गए। वे सन् 1966-67 सरकारी प्रत्याभूतियों की समिति के अघ्यक्ष, सन् 1967 से 70 तक लोक लेखा समिति के अध्यक्ष रहे। सन् 1968 से 73 तक वे भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष थे। सन् 1975-77 के दौरान आपातकाल में बंदी रहे। 1977 से 79 तक भारत के विदेश मंत्री रहे। वे पहले ऐसे नेता थे जिन्होंने 1977 में जनता सरकार में विदेश मंत्री के पद पर रहते हुए संयुक्त राष्ट्रसंघ में अपना पहला भाषण हिंदी में दिया था। इसके चलते भारत में उनकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ गई थी।
सन् 1977 से 80 तक जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे। लेकिन कुछ समय बाद उनका पार्टी से मोहभंग हो गया और उन्होंने 1980 में जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में मदद करने लगे। सन् 1980-86 वे भाजपा अध्यक्ष रहे। सन् 1980-84, 1986 तथा 1993-96 के दौरान भाजपा संसदीय दल के नेता रहे। सन् 1957 में दूसरी लोकसभा के लिए प्रथम बार निर्वाचित हुए। तब से 2004 में 14वीं लोकसभा के लिए संसदीय आम चुनाव तक वे उत्तर प्रदेश में लखनऊ से प्रत्याशी होकर निर्वाचित होते रहे। सन् 1962-67 और 1986-91 के दौरान अटल जी राज्य सभा के सम्मानित सदस्य थे और सन् 1988 से 89 तक सार्वजनिक प्रयोजन समिति के सदस्य थे। ये सन् 1988-90 में संसद् की सदन समिति तथा व्यापारिक परामर्श समिति के सदस्य रहे। सन् 1990-91 में याचिका समिति के अध्यक्ष बने। सन् 1993 से 1996 तक तथा 1997-98 में विदेश नीति समिति के अध्यक्ष रहे।
तीन बार बने प्रधानमंत्री
16 मई, 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी ने पहली बार प्रधानमन्त्री के रूप में देश की बागडोर संभाली। लेकिन बहुमत साबित न कर पाने के कारण कार्यकाल 13 दिन का ही रहा। इसके बाद 1998 के आमचुनावों में सहयोगी पार्टियों के साथ उन्होंने लोकसभा में अपने गठबंधन का बहुमत सिद्ध किया और इस तरह एक बार फिर प्रधानमंत्री बने। 1999 में हुए चुनाव राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साझा घोषणापत्र पर लड़े गए और इन चुनावों में वाजपेयी के नेतृत्व को एक प्रमुख मुद्दा बनाया गया। गठबंधन को बहुमत हासिल हुआ और वाजपेयी ने एक बार फिर पांच सालों तक प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली। वर्ष 2014 में उन्हें भारत रत्न से नवाजा गया।
वाजपेयी सरकार की अहम उपलब्धियां
प्रधानमंत्री रहते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने अटल सरकार ने 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित कर दिया। 1999 में उनके कार्यकाल के दौरान ही भारत पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध हुआ और भारत ने दुश्मन को युद्ध में धूल चटाकर अपना क्षेत्र मुक्त कराया। वाजपेयी सरकार के दौरान भारत के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना शुरू की गई। इसके अंतर्गत दिल्ली, कलकत्ता, चेन्नई व मुम्बई को राजमार्ग से जोड़ा गया।
2009 में ब्रेन स्ट्रोक
वर्ष 2009 में अटल बिहारी वाजपेयी को ब्रेन स्ट्रोक हुआ। उस दौरान लकवा से ग्रसित होने के कारण वे ठीक से बोल नहीं पाते थे। लिहाजा धीरे धीरे वे लोगों से कटते चले गए। यही वो समय था जब उनका एकांतवास शुरू हुआ। बताया जाता है कि कुछ समय बाद उनको डिमेंशिया की परेशानी हो गई और उन्होंने लोगों को पहचानना बंद कर दिया। करीब दो माह से उनकी हालत ज्यादा खराब हो गई थी। 11 जून 2018 को अटलजी को AIIMS में भर्ती कराया गया था। उस समय उन्हें किडनी नली में संक्रमण, छाती में जकड़न, मूत्रनली में संक्रमण जैसी तमाम समस्याएं थीं। 15 अगस्त की देर शाम हालत और गंभीर हो गई जिसके चलते उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया। 16 अगस्त 2018 को वे पंचतत्व में विलीन हो गए और उनके साथ ही देश की राजनीति के एक युग का अंत हो गया।
Published on:
17 Aug 2018 10:57 am
बड़ी खबरें
View Allआगरा
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
