
Gangajal project
आगरा। गंगाजल तो आ गया, लेकिन लोगों की प्यास नहीं बुझ पा रही है। हालत ये है कि पेयजल समस्या को लेकर हर रोज प्रदर्शन हो रहे हैं। गंगाजल को आगरा में लाने का श्रेय लेने वाले भाजपा विधायक योगेन्द्र उपाध्याय ने अपनी ही सरकार में जल संस्थान अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विधायक ने प्रेसवार्ता कर बताया कि एक साजिश के तहत जल संस्थान के अधिकारी गंगाजल का सही प्रकार से वितरण नहीं कर रहे हैं, जिसकी शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और नगर विकास मंत्री से की गई है।
आवश्यकता से अधिक मिल रहा पानी
भाजपा विधायक योगेन्द्र उपाध्याय ने जल संस्थान के अधिकारियों पर आरोप लगाते हुये कहा कि पानी की पर्याप्त मात्रा होते हुये भी जल संस्थान के अधिकारी लापरवाही कर रहे हैं। अमूल्य गंगाजल को यमुना में बहाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि आगरा के लिये प्रतिदिन 425 एमएलडी पानी की आवश्यकता होती है। 200 एमएलडी पानी यमुना से प्राप्त हो रहा है, वहीं 375 एमएलडी गंगाजल जल संस्थान को मिल रहा है। इस प्रकार आवश्यकता से अधिक पानी जल संस्थान को मिल रहा है।
विधायक ने लगाया ये आरोप
विधायक योगेन्द्र उपाध्याय का कहना है कि जलकल विभाग के माफिया के कॉकस के कारण पेयजल को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। उन्होंने बताया कि 2015 से लेकर 2018 तक कई बार जलकल विभाग के अधिकारियों, मंडलायुक्त से लेकर शासन के वरिष्ठ अधिकारियों को वे स्वयं आगाह कर चुके थे, कि 2018 में गंगाजल आगरा में आ जाएगा। उसके वितरण की व्यवस्था को पूर्व में ही चुस्त दुरस्त बना लिया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसी का नतीजा है कि आज आज गंगाजल व्यर्थ बहाया जा रहा है।
ये योजना की गई थी तैयार
विधायक योगेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि गंगाजल वितरण के लिये तीन चरण में कार्य योजना प्रस्तुत की थी। पहला जलकल विभाग अपनी वर्तमान वितरण व्यवस्था को गंगाजल वितरण के अनुरूप दुरस्त करले। दूसरा विभिन्न विभागों द्वारा आधी अधूरी तैयार की गई वितरण व्यवस्था को पूर्ण किया जाए और तीसरा जिन क्षेत्रों में जलकल विभाग की पेयजल वितरण व्यवस्था है ही नहीं, उनकी पीएफआर और डीपीआर बनवाकर, स्वीकृत कराकर पेयजल वितरण का प्रबंधन तैयार किया जाए।
मुख्यमंत्री से की शिकायत
विधायक योगेन्द्र उपाध्याय ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अवगत कराया कि आगरा की पुरानी वितरण व्रूवस्था को स्थाई रूप से दुरुस्त कराने में जलकल विभाग के अधिकारी दिलचस्पी नहीं रखते हैं। इसी प्रकार आधी अधूरी व्यवस्थाएं कहीं ओवरहैड टैंक हैं, तो सीडब्लूआर नहीं है और कहीं सीडब्लूआर है, तो पम्पिंग स्टेशन नहीं है। इनको उनकी कार्यदायी संस्थायें शीघ्र दुरस्त करें, अन्यथा गत 7 वर्ष में भगीरथी प्रयास से जो गंगाजल की ऐतिहासिक उपलब्धि आगरा को मिली है, वह जनता के द्वार तक नहीं पहुंच पाएगी।
Published on:
06 Jun 2019 07:09 pm
बड़ी खबरें
View Allआगरा
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
