10 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

विशेष: पैतृक गांव बटेश्वर में हर सरकार ने किया अटल जी का सपना चकनाचूर

इस पर्यटन अतिथि गृह के उद्घाटन के दौरान मौजूद नेताओं की राजनीति दिनों दिन अटल जी के नाम पर चमकती चली गई लेकिन इसकी दीवारों से उतरा रंग आज तक नहीं चढ़ सका। - अटल जी के जाने के बाद क्षेत्रीय नेताओं ने भी पर्यटन अतिथि गृह और सांस्कृतिक पर्यटन प्रेक्षागृह की तरफ दोबारा मुड़ कर नहीं देखा।

4 min read
Google source verification

आगरा

image

Amit Sharma

Aug 21, 2018

Atal ji

विशेष: पैतृक गांव बटेश्वर में हर सरकार ने किया अटल जी का सपना चकनाचूर

अमित शर्मा
amit.sharma4@in.patrika.com

आगरा।
भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की दूर दृष्टि का हर कोई कायल रहा। पक्ष- विपक्ष सभी के अटल प्रिय रहे। अटल जी सबको साथ लेकर चलने वाले नेता रहे। जीते जी अटल जी ने जन नायक के तौर पर पहचान बनाई तो मरने के बाद भी हमेशा के लिए लोगों के दिल मेंं जिंदा हैं वो लेकिन मर रहा उनके पैतृक गांव में देखा गया उनका एक सपना।

दरअसल 1999 में प्रधानमंत्री रहते हुए अटल जी ने अपनी पैतृक स्थली और सभी तीर्थों का भांजा कहे जाने वाले बटेश्वर को धार्मिक पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने का सपना देखा था। प्रधानमंत्री के तौर पर बड़े मन से अटल जी ने एक आलीशान पर्यटन अतिथि गृह और सांस्कृतिक पर्यटन प्रेक्षागृह का उद्घाटन किया। इस पर्यटन अतिथि गृह के उद्घाटन के दौरान मौजूद नेताओं की राजनीति दिनों दिन अटल जी के नाम पर चमकती चली गई लेकिन इसकी दीवारों से उतरा रंग आज तक नहीं चढ़ सका। अटल जी के जाने के बाद क्षेत्रीय नेताओं ने भी पर्यटन अतिथि गृह और सांस्कृतिक पर्यटन प्रेक्षागृह की तरफ दोबारा मुड़ कर नहीं देखा। जैसे-जैसे अटल जी सक्रिय राजनीति से अलग हुए इस पर्यटन अतिथि गृह और सांस्कृतिक पर्यटन प्रेक्षागृह का भी उल्टा पहिया घूमता गया। मुख्य मंदिरों की श्रखंला से सटा अटल जी का यह सपना बदहाल भूतिया बंगले के शक्ल में बदल गया है। इस दौरान कई सरकारें आईं और गईं लेकिन किसी ने अटल जी के सपने को पूरा करने की कोशिश नहीं की।

1999 में हुआ था उद्घाटन

दरअसल अटल जी ने प्रधानमंत्री रहते हुए अपने गांव बटेश्वर में रेलवे ट्रैक की आधारशिला रखी। इसीके साथ उन्होंने 6 अप्रैल 1999 को पर्यटन अतिथि गृह और सांस्कृतिक पर्यटन प्रेक्षागृह का उद्घाटन किया। उद्घाटनन के दौरान राज्यपाल उत्तर प्रदेश सूरजभान, तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, तत्कालीन लोक निर्माण एवं पर्यटन मंत्री कलराज मिश्रा, क्षेत्रीय विधायक व तत्कालीन मंत्री अरिदमन सिंह, तत्कालीन राज्यमंत्री पर्यटन दलवीर सिंह, तत्कालीन क्षेत्रीय सांसद प्रभूदयाल कठेरिया के अलावा तत्कालीन डीएम, महानिदेशक पर्यटन और कमिश्नर आदि उपस्थित रहे। इनके नाम का बीजक भी गैस्ट हाउस के बाहर आज तक लगा हुआ है। अटल जी के बनवाए इस पर्यटन अतिथि गृह में उस समय अच्छे कमरे, रेस्त्रों, एयर कंडीशरन आदि सभी प्रमुख सुविधाएं थीं लेकिन आज इस अतिथि गृह मेंं पर्दे, खिड़की औऱ दरवाजे भी नहीं बचे हैं। अटल जी के सपने की ऐसी अनदेखी हुई कि आज वह बदहाली के आंसू बहा रहा है।

कई बार आए मुख्यमंत्री, हर बार अधिकारियों ने छिपाया

पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार के दौरान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तीन बार बाह आए। दो बार वह जरार में बर्ड फेस्टिवल में हिस्सा लेने आए तो एक बार वह बटेश्वर में ह़ॉर्स राइडिंग शो का उद्घाटन करने आए लेकिन उनकी निगाह भी इस अतिथि गृह पर नहीं पड़ी। पर्यटन अतिथि गृह और सांस्कृतिक पर्यटन प्रेक्षागृह के बाद विकसित हुआ चंबल सफारी दिनों दिन तरक्की करता गया लेकिन यह पर्यटन अतिथि गृह और सांस्कृतिक पर्यटन प्रेक्षागृह खंडहर होता गया। अखिलेश सरकार में आगरा के पर्यटन, खास कर चंबल सफारी- ल़ॉयन सफारी क़ॉरीडोर के विकास के लिए सरकारी खजाने का मुंह खोला गया, लेकिन अटल जी के देखे सपने को पंख न लग सके।

अराजक तत्वों का बना अड्डा

स्थानीय लोगों से बातचीत में पता चला कि वर्षों से यहां कोई पर्यटक नहीं आया। इसकी देखरेख के लिए शुरुआत में अच्छा खासा स्टाफ था लेकिन धीरे -धीरे वह कम होता गया और आज एक व्यक्ति भी नहीं रहता। हालांकि पर्यटन निगम की तरफ से एक केयरटेकर यहां तैनात किया जाता है लेकिन चूंकि कोई देखने वाला नहीं है इसलिए वह भी मनमर्जी के मुताबिक रुकता है। स्थानीय लोगों की मानें तो यह पर्यटन स्थल आज अनराजक तत्वों का आड्डा बन चुका है। तमाम अनैतिक कृत्यों को अंजाम दिया जाता है। जुआरी, शराबी और अराजक तत्व बेरोकटोक आते जाते हैं।

अभी भी नहीं गया कोई अधिकारी

24 को अटल जी की अस्थियां उनके पैतृक गांव बटेश्वर लाई जा रही हैं। मुख्यमंत्री योगी के आने की संभावना है। इसको लेकर प्रशासनिक अमला तैयारियों में जुटा है। आला अधिकारी बटेश्वर के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन हैरानी की बात है अभी भी किसी भी अधिकारी की इस पर्यटन अतिथि गृह पर निगाह नहीं पड़ी है जबकि सरकार अटल जी से जुड़ी हर याद को सहेजने की बात कह रही है।

जिम्मेदार अधिकारियों को नहीं जानकारी

पर्यटन अतिथि गृह के बारे में जानकरी करने पर एसडीएम बाह अरुण कुमार यादव से बात की गई तो उन्होंने कहा - 'फिलहाल इस बारे में कोई योजना नहीं बनी है। अभी अटल जी के पैतृक आवास और बटेश्वर में उनकी स्मृतियों से जुड़े अन्य स्थलों को संरक्षित करने के लिए स्थलीय निरीक्षण किया है।' वहीं इस बारे में जानकारी करने पर उप निदेशक पर्यटन से बात की गई तो उनका कहना है कि ' अतिथि गृह शायद अभी बंद है। मैं नया हूं मेरी जानकारी में अभी नहीं है। अटल जी के पैतृक आवास में उनका स्मारक बनाए जाने की योजना है।'